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विद्या बालन और सत्यजीत रे की कहानी एक लेटर से आगे जाती है

बेग़म जान की टीम से लल्लनटॉप की बातचीत.

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निखिल
14 अप्रैल 2017 (Updated: 14 अप्रैल 2017, 08:15 AM IST) कॉमेंट्स
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एक फिल्म आई है बेग़म जान. ट्रेलर आप सबने देखा ही है. जिन्हें ठीक लगा होगा, फिल्म देखने का प्लान बना रहे होंगे. दी लल्लनटॉप की जाकर फिल्म की टीम से मिली. बातें-वातें हुईं. विद्या बालन के साथ गौहर खान और पल्लवी शारदा भी थीं. और इन तीनों के साथ थे बेग़म जान के डायरेक्टर सृजित मुखर्जी और प्रोड्यूसर महेश भट्ट. तो माहौल ऐसा बना कि खूब बातें हुईं. और बातों-बातों में हमने जाना कि विद्या के बचपन का एक हिस्सा सत्यजीत रे से जाकर जुड़ता है और उसकी कहानी उस लेटर तक ही सीमित नहीं है जिसका ज़िक्र किया जाता रहा है. बेग़म जान की टीम के लल्लनटॉप के साथ बातचीत कुछ यूं रहीःVidya Baalan*विद्या बालन ने उनके बचपन के बारे में ये बताया कि जब वो 9 साल की थीं तब उनके पापा को हार्ट अटैक आया था. उन्होंने तब सोच लिया था कि जिस-जिस के पापा को हार्ट अटैक हुआ है, उसे ठीक कर देंगी. उन्हें तब मालूम नहीं था कि पापा के साथ-साथ किसी की मम्मी को भी हार्ट अटैक आ सकता है. इसके अलावा उन्होंने उस खत के बारे में बताया जो उन्होंने 14 साल की उम्र में पेंसिल से सत्यजीत रे को लिखा था, जब उनकी तबीयत खराब थी. विद्या के पास सत्यजीत रे का एक चश्मा भी है जो उन्होंने संभाल कर रखा है. Mahesh bhatt*महेश भट्ट ने अपने उस सपने के बारे में बताया जो एक वक्त उन्होंने देखा था. वो चाहते थे कि एक वक्त ऐसा आए कि मुंबई में फिल्म का फिल्म का प्रीमियर हो और उसी दिन उसे कराची जाकर देखा जा सके. कुछेक फिल्मों के मामले में ऐसा हुआ भी. लेकिन फिर दोनों देशों के रिश्तों में लगातार खटास पड़ी और सारी मेहनत मिट्टी में मिल गई. लेकिन वे फिर भी इस काम में लगे रहना चाहते हैं. sirjit* सृजित मुखर्जी ने अपनी फिल्मों के क्रिटिकल और कमर्शियल दोनों तरह से कामयाब होने के पीछे कारण ये बताया कि वो फिल्म कभी गणित को ज़ेहन में रख कर नहीं बनते.  उन्होंने कहा, 'एक डायरेक्टर जब कभी फायदे को ध्यान में रख कर कोई चीज़ (मिसाल के लिए आइटम सॉन्ग) करता है तो वो 'दुकानदारी' ऑडियंस को साफ दिख जाती है.' इसलिए वो हमेशा इस से बचे. un* एक बचपन की याद पल्लवी शारदा ने भी शेयर की. बात ऐसी थी कि उनका बचपन ऑस्ट्रेलिया में बीता जहां एनआरआई लोग हिंदुस्तान और अदरक वाली चाय को बहुत मिस करते थे. तो पल्लवी बचपन से चाहती थीं कि अदरक वाली चाय बनाना सीख जाएं. ऑस्ट्रेलिया में हिंदुस्तान जैसी चाय मिलती नहीं. तो वहां के उनके सारे एनआरआई दोस्त उनके हाथ की अदरक वाली चाय के मुरीद हो गए. इसीलिए मुंबई आने पर उनके यहां के दोस्तों ने उन्हें बांद्रा चाय वाली बुलाना शुरू कर दिया. लल्लनटॉप से टीम बेग़म जान की पूरी बातचीत यहां देखेंः https://www.youtube.com/watch?v=UNEr0PX2GNs

फ़िल्म रिव्यू : बेग़म जान


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