The Lallantop
Advertisement

लादेन को समंदर में क्यों दफ़नाया गया?

पुलित्ज़र विजेता पत्रकार ने ओसामा की मौत को लेकर क्या खुलासे किए?

Advertisement
laden
02 मई, 2011 की तड़के सुबह यूएस नेवी की सील्स टीम ने पाकिस्तान के ऐब्टाबाद में ऑपरेशन चलाकर लादेन को मारने का दावा किया. (सांकेतिक तस्वीर: getty)
pic
कमल
2 मई 2023 (Updated: 1 मई 2023, 19:30 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

साल 2011 की बात है. 2 मई की तारीख. पूरी दुनिया को अचानक पता चला कि इतिहास का सबसे मशहूर आतंकी ओसामा बिन लादेन मारा गया है. हल्ला होना लाज़मी था. कैसे क्या , कब, इसकी पूरी कहानी छपी. इंटरव्यू लिए गए. हॉलीवुड ने फ़िल्म तक बना डाली. पूरी दुनिया इस कहानी को जान चुकी थी. पाकिस्तान की खूब ट्रोलिंग हुई. अमेरिका ओसामा को उसकी नाक के नीचे उड़ा गया और उन्हें खबर भी ना लगी. शर्म की बात थी. और पाकिस्तान के आला अधिकारी मान भी रहे थे कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं था. लेकिन क्या ये पूरा सच था? (Osama Bin Laden)

एक आदमी था, जिसे इस कहानी पर विश्वास नहीं था. सीमोर हर्श. हर्श का कहना था कि ये पूरी कहानी गढ़ी हुई थी. ओसामा को 11 साल से ट्रैक किया जा रहा था, पाकिस्तान को बिना खबर लगे, नेवी सील्स के दो हेलिकॉप्टर एबटाबाद में उतरे और 40 मिनट बाद लादेन की डेड बॉडी लेकर वापिस चले गए. सीमोर हर्श के लिए ये सब झूठ था. दुनिया में तमाम कान्सपिरेसी थियोरीज चलती हैं. इसलिए सीमोर हर्श की इस बात को अगर आप किसी सिरफिरे का बड़बोलापन समझ लें, तो कुछ अचरज नहीं. लेकिन उनकी बात ख़ारिज करने से पहले ये जानिए कि सीमोर हर्श हैं कौन. (Laden Death)

ISI के अफसर ने लादेन को फंसाया? 

सीमोर पेशे से एक खोजी पत्रकार हैं. उन्होंने वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना द्वारा निहत्थे लोगों के नरसंहार का पर्दाफ़ाश किया था. जिसके लिए उन्हें पुलित्ज़र पुरस्कार से नवाज़ा गया था. 2004 में उन्होंने इराक़ में अमेरिकी सैनिकों द्वारा क़ैदियों के उत्पीड़न का खुलासा किया था. इसके अलावा उनकी खोजी पत्रकारिता के ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनके लिए उन्हें दर्जन से ज़्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं. अब जानिए हर्श ने लादेन की मौत पर क्या खुलासा किया? (Laden Buried at Sea)

seymour hersh
अमेरिकी वरिष्ठ खोजी रिपोर्टर सीमोर हर्श ने 2023 में दावा किया कि अमेरिका ने रूस  और यूरोप के बीच नॉर्ड पाइपलाइन पर हमला किया था (तस्वीर: getty)

2015 में लंदन रिव्यू ऑफ़ बुक्स में उनका एक लेख छपा. इसमें सीमोर बताते हैं कि अमेरिकी प्रशासन के उनके सूत्रों ने बताया, पाकिस्तानी आर्मी के जनरल अशफ़ाक परवेज़ क़यानी और ISI के तत्कालीन हेड अहमद शुजा पाशा को इस ऑपरेशन की पूरी खबर थी.  इस मसले पर उन्होंने पाकिस्तान में ISI के पूर्व हेड, असद दुर्रानी से बात की. उन्होंने भी इस बात की तस्दीक़ की कि उनके सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान में आर्मी के उच्च पदों पर बैठे लोगों को लादेन की पूरी खबर थी. सवाल ये कि फिर पाकिस्तान ने अमेरिका के इस ऑपरेशन को रोका क्यों नहीं. या कोई विरोध क्यों नहीं किया. ख़ासकर तब, जब लादेन का पाकिस्तान में पकड़ा जाना, उनके लिए शर्मिंदगी की बात होने वाली थी.

सीमोर बताते हैं कि प्लान कुछ और था लेकिन आख़िर में अमेरिका ने गच्चा दे दिया. लादेन को 2006 से ISI की शरण मिली हुई थी. और उसके लिए सउदी अरब से खर्च मिलता था. आधिकारिक नैरेटिव के अनुसार अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेन्सी CIA लंबे समय से एक आतंकी पर नज़र रखी हुई थी. जो उन्होंने एबटाबाद वाले उस बंगले तक ले गया, जहां लादेन रह रहा था. इसके बाद CIA ने एक फ़र्ज़ी वैक्सीन प्रोग्राम के बहाने कुछ लोगों को उस घर में भेजा और वहां रहने वाले लोगों का DNA इकट्ठा किया. इसके बाद सैटेलाइट से उस घर पर नज़र रखी जाने लगी. जब काफ़ी कुछ पक्का हो गया कि वहां लादेन हो सकता है, तब जाकर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.

लादेन को मारने का दूसरा प्लान 

हर्श बताते हैं कि ऐसा कुछ नहीं था. ISI को लादेन की खबर थी लेकिन अमेरिका को नहीं.. खोजी पत्रकार एड्रीयन लेवी और कैथी स्कॉट क्लार्क, अपनी किताब 'स्पाई स्टोरीज़, इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ओफ़ रॉ एंड ISI' में बताते हैं कि 9/11 हमलों के बाद ISI और अमेरिका के बीच डील हुई थी. जिसमें हर आतंकी को पकड़ने का मोटा पैसा मिलता था. 2003 में 9/11 के असली मास्टरमाइंड ख़ालिद शेख़ मुहम्मद को ISI ने ही पकड़वाया था. लेकिन इन गिरफ़्तारियों के चलते पाकिस्तान में कट्टरपंथियों का एक धड़ा ISI के ख़िलाफ़ बग़ावत पर उतरने लगा था. जनता भी अमेरिका की मदद की हिमायती नहीं थी. इसलिए ISI ने तय किया कि सही वक्त पर वो लादेन को अमेरिका को सौंपेंगे, लेकिन अपनी शर्तों पर.

laden
एबटाबाद में मौजूद उस बंगले का एक मॉडल जिसमें लादेन छुपा हुआ था (तस्वीर: getty)

2010 तक लादेन आराम से ISI की शह पर दिन गुज़ार रहा था लेकिन फिर एक रोज़ ISI का एक सीनियर अधिकारी खुद लालच में आ गया. लादेन के सिर पर अमेरिका ने 196 करोड़ रुपये का इनाम रखा था. इनाम के चक्कर में इस अधिकारी ने इस्लामाबाद के CIA स्टेशन के चीफ़ जोनाथन बैंक्स से मुलाक़ात की और उन्हें लादेन का ठिकाना बता दिया. 
2014 में एक पाकिस्तानी अख़बार ने दावा किया था कि इस अधिकारी का नाम था ब्रिगेडियर उस्मान खान. जिनकी 2014 में मौत हो गई थी. ISI को लादेन की पूरी खबर थी, ये दावा कुछ और लोगों ने भी किया था. मसलन न्यू यॉर्क टाइम्स की पत्रकार गॉल ने एक खबर में दावा किया था कि लादेन ISI के संरक्षण में रह रहा था. एक और अमेरिकी संस्थान NBC न्यूज़ ने भी खबर की थी कि एक ISI अफ़सर ने CIA को लादेन की खबर दी थी.

सीमोर लिखते हैं कि इस खबर लगने के बाद CIA ने अपनी एंड से पक्का किया कि ये जानकारी सही है. इसके बाद उन्होंने ISI से बात की. शुरुआती इनकार के बाद ISI ने भी मान लिया कि लादेन उनके संरक्षण में है. अब बारी थी ऑपरेशन की. ISI को सउदी से मोटा पैसा मिल रहा था. इसलिए वो उसकी हत्या के पक्षधर नहीं थे. दूसरा उन्हें अपनी जनता से भी इस बात का भारी विरोध सहना पड़ता. लेकिन फिर आर्थिक और रक्षा मदद की एवज़ में ISI तैयार हो गई. हालांकि अभी भी ISI ये नहीं चाहती थी कि इस मामले में किसी तरह उनका नाम आए. तय हुआ कि इमारत से ISI की सुरक्षा हटा ली जाएगी और नेवी सील्स की टीम अपने काम को अंजाम देगी. इसके बाद इमारत में एक मिसाइल दागी जाएगी, और आधिकारिक नरेटिव बनेगा कि अमेरिका ने पाकिस्तान की धरती पर हमला किया है. इस बहाने ISI की जान बच जाएगी.

लादेन को समंदर में क्यों दफनाया? 

एक और नरेटिव तैयार हुआ था कि लादेन की लाश को लेकर CIA दावा करेगी कि वो उन्हें अफ़ग़ानिस्तान बॉर्डर से मिला. ऑपरेशन के रोज़ इत्तेफ़ाक से नेवी सील्स का हेलिकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ और ये दोनों नरेटिव फेल हो गए. अंत में अमेरिका ने दावा किया कि उन्होंने बिना पाकिस्तान को बताए एबटाबाद में एंट्री की और लादेन की लाश लेकर चले गए.

laden 2
वॉर रूम में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा लादेन को मारने का ऑपरेशन देखते हुए (तस्वीर: getty)

2012 में रिलीज़ की गई सरकारी जानकारी के अनुसार ओसाsमा की डेड बॉडी को 24 घंटे के अंदर समंदर में दफ़ना दिया गया था. इससे पहले पूरे इस्लामिक तौर तरीक़े से उसके शरीर को नहलाकर कफ़न से ढका गया. अरबी भाषा के एक अनुवादक से प्रार्थना पढ़वाई गई और लादेन के शरीर को समंदर में डाल दिया गया. इस प्रक्रिया को महज़ चंद लोगों के सामने एक एयरक्राफ़्ट करियर के ऊपर पूरा किया गया था. समंदर में क्यों? इसके जवाब में बताया गया कि चूंकि सउदी अरब ने लादेन को अपनाने से इंकार कर दिया था, इसलिए समंदर ही आखिरी ऑप्शन बचा था. इसका एक कारण ये भी था कि कब्र मौजूद होने पर वो आतंकियों के लिए तीर्थ स्थल बन जाती.

बहरहाल सच जो भी हो , लादेन के मामले में कई लोगों का हमेशा से मानना है कि ISI को उसके बारे में न पता हो, ये लगभग नामुमकिन है. और अमेरिका की ईमानदारी से दुनिया 2001 से वाक़िफ़ है, जब उसने सामूहिक विनाश के हथियारों का झूठ बोलकर इराक़ पर हमला कर दिया था. 

वीडियो: तारीख: रूस ने पकड़ा अमेरिकी जासूस, पाकिस्तान की लंका लग गई!

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement