The Lallantop
Advertisement

सैमसंग के वारिस को हुई जेल का तांत्रिक, उसकी बेटी और एक राष्ट्रपति के महाभियोग से क्या रिश्ता?

साउथ कोरिया की सबसे बड़ी कंपनी के उपाध्यक्ष को दोबारा जेल क्यूं हो गई?

Advertisement
Img The Lallantop
ली जे-यंग के बाद सैमसंग का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा? या ये वापस आएंगे? (तस्वीर: AP)
pic
दर्पण
19 जनवरी 2021 (Updated: 19 जनवरी 2021, 07:09 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
दुनियादारी में आज बात एक अदालती फ़ैसले की. जिसके तहत एक मशहूर कंपनी के उत्तराधिकारी को जेल भेजा गया है. तीन सालों में दूसरी बार. इस बार गुनाह है, घूस देने का. वो भी देश की राष्ट्रपति को. इस पूरे मामले में एक तांत्रिक और उसकी बेटी का क्या रोल है? सब विस्तार से बताते हैं. # अभी क्या हुआ है- साउथ कोरिया. तीन चीज़ों के लिए वर्ल्ड फ़ेमस. पहला, अपनी ज़ॉम्बी वाली मूवीज़ के लिए. दूसरा, के-पॉप के लिए. और तीसरा एक मल्टीनेशनल कंपनी के लिए.
सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स. जिसके स्मार्टफोन से लेकर टीवी, फ्रिज जैसे सैकड़ों इलेक्ट्रॉनिक आइटम दुनिया भर में धूम मचाए हुए हैं. सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स इतनी बड़ी कंपनी है कि इसका रेवेन्यू साउथ कोरिया की कुल GDP का 13 प्रतिशत है.
ली कुन-ही इस कंपनी के 1987 से लेकर 2008 तक चेयरमैन रहे थे. फिर कुछ आरोपों के चलते उन्हें अपने इस पद से हटना पड़ा. इन आरोपों में से एक आरोप ये था कि-
ली कुन-ही ने सरकारी अधिकारियों को घूस दी थी. ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि उनके बाद उनका बेटा ही सैमसंग का उत्तराधिकारी बनेगा.
2010 में वो फिर से कंपनी के चेयरमैन बने और अबकी बार 25 अक्टूबर, 2020 तक बने रहे जब उनकी एक लंबी बीमारी के चलते मौत नहीं हो गई. दरअसल 2014 में उन्हें एक हार्ट अटैक आया. इस हार्ट अटैक ने उन्हें शारीरिक रूप से पूरी तरह अक्षम कर दिया. ऐसे में कंपनी की बागडोर 2014 में ही उनके बेटे ली जे-यंग के हाथों में आई.
ली कुन-ही. ली जे-यंग के पिता और सैमसंग के पूर्व चेयरमैन. बीते वर्ष 78 की उम्र में इनकी मृत्यु हो गई थी. (तस्वीर: AP) ली कुन-ही. ली जे-यंग के पिता और सैमसंग के पूर्व चेयरमैन. बीते वर्ष 78 की उम्र में इनकी मृत्यु हो गई थी. (तस्वीर: AP)


ली जे-यंग. ली कुन-ही के बेटे. सैमसंग के उपाध्यक्ष और वारिस. साल 2017 में एक मामले में उन्हें 5 साल की जेल हुई थी. लेकिन तब पहले तो उनकी सज़ा कम कर दी गई थी और फिर एक अपील के बाद पूरी तरह निलंबित. लेकिन इस निलंबन से पहले ही वो एक साल की सज़ा काट चुके थे.
इस सज़ा के निलंबन के बाद एक बार फिर से केस को लेकर सुनवाई शुरू हुई. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने एपेलेट कोर्ट से कहा कि सियोल हाई कोर्ट ने ली के अपराधों को कम करके आंका है. ऐसे में एपेलेट कोर्ट ने फ़ैसले को रिव्यू किया. 18 जनवरी, 2021 को एपेलेट कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया. ली जे-यंग को दोषी पाते हुए अदालत ने अपने फ़ैसले में जो कहा उससे समझ में आ जाता है कि पूरा मामला क्या था. अदालत ने कहा-
ली ने तत्कालीन राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हाय से अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने को कहा. ताकि पिता, की मृत्यु के बाद उन्हें सैमसंग का उत्तराधिकारी बनने में कोई अड़चन न आए. इसके एवज़ में उन्होंने कोरिया की तत्कालीन राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हाय को करोड़ों डॉलर की रिश्वत भी दी.
ली ने राष्ट्रपति पार्क को ये घूस सीधे नहीं दी थी. बल्कि इसमें एक माध्यम भी था. उसका नाम था, चोई सुन-सिल. चोई सुन-सिल कौन? उसके बारे में जानने के लिए हमें 1974 के साल में जाना होगा. # तांत्रिक और राष्ट्रपति के बीच का अजब रिश्ता- जाना होगा 1974 वाले साल में, ठीक भारत की आज़ादी के वर्षगांठ वाले दिन. मतलब 15 अगस्त, 1974 को. जिस दिन साउथ कोरिया में एक हाई प्रोफ़ाइल मर्डर हुआ था. पार्क ग्यून-हाय की मां युक युंग-सू का.
तब पार्क ग्यून-हाय के पिता पार्क चुंग-ही साउथ कोरिया के राष्ट्रपति हुआ करते थे. यूं ये कोरिया की फ़र्स्ट लेडी का क़त्ल था. पार्क के पिता ने तो राजनीति में अपना मन रमा लिया था, लेकिन 22 साल की लड़की अपनी मां को बेतरह मिस करने लगी. ऐसे में उस लड़की को एक चिट्ठी मिली. चिट्ठी जो दावा करती थी कि उसको लिखने वाल पार्क को उसकी मरी हुई मां से मिलवा सकती है.
किसी युवती के मां का बिछड़ जाना एक वॉइड बना जाता है. (पार्क ग्यून-हाय की सांकेतिक तस्वीर/AP) किसी युवती के मां का बिछड़ जाना एक वॉइड बना जाता है. (पार्क ग्यून-हाय की सांकेतिक तस्वीर/AP)


फिर दूसरी चिट्ठी आई, फिर तीसरी… चिट्ठियों का सिलसिला तब तक ख़त्म नहीं हुआ जब तक पार्क चिट्ठी लिखने वाले के बने हुए जाल में नहीं फंस गई.
चोई ताई-मिन. इन चिट्ठियों को लिखने वाला. एक कल्ट लीडर. कोई तांत्रिक सरीखा. उसने दावा किया कि पार्क की माता, यानी युक युंग-सू उसके सपने में आती है और कहती है कि तुम पार्क की मदद करो. धीरे-धीरे चोई ताई-मिन की पार्क ग्यून-हाय से करीबी बढ़ती गई. इतनी कि अंत में वो पार्क का आध्यात्मिक सलाहकार बन गया.
1974 में जिस हमले में पार्क की मां की मृत्यु हुई थी वो प्लॉट दरअसल उनके पिता को मारने के लिए बनाया गया था. तब तो पार्क के पिता बच गए थे लेकिन 1979 में एक और हमले में मारे गए. और उस दिन के बाद से चोई, पार्क के और भी क़रीब आ गया.
विकीलीक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, साउथ कोरिया के राजनीतिक हलकों में ऐसी अफ़वाहें थीं कि पार्क चुंग-ही की मन और आत्मा पर चोई ताई-मिन का पूरा अधिकार हो चुका है. चोई ने इस रिश्ते का फ़ायदा उठाकर कुछ चैरिटी फ़ाउंडेशन बनाए और धीरे-धीरे अमीर होता चला गया.
1994 में चोई की मौत के बाद उसकी बेटी चोई सुन-सिल, पार्क ग्यून-हाय की आध्यात्मिक सलाहकार बन बैठी. यूं आपको पार्क ग्यून-हाय और चोई सुन-सिल के बीच का रिश्ता समझ में आ गया होगा.
चोई सुन-सिल. जर्मनी में एक खोजबीन के दौरान जब पत्रकारों को इनके द्वारा भुला दिया गया एक टैबलेट हाथ लगा, तब कई गुत्थियाँ सुलझीं, कई सबूत इकट्ठा हुए. (तस्वीर: AP) चोई सुन-सिल. जर्मनी में एक खोजबीन के दौरान जब पत्रकारों को इनके द्वारा भुला दिया गया एक टैबलेट हाथ लगा, तब कई गुत्थियाँ सुलझीं, कई सबूत इकट्ठा हुए. (तस्वीर: AP)


इसके बाद, 2013 में पार्क ग्यून-हाय दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति बनीं. और 2017 तक रहीं. इस दौरान चोई सुन-सिल उनके और क़रीब आते रही. ये सब ख़त्म हुआ तब, जब पार्क ग्यून-हाय के ऊपर महाभियोग लगाकर उनको पदच्युत न कर दिया गया. लेकिन इस ख़त्म होने की शुरुआत कैसे हुई? # तांत्रिक की बेटी ने लिखी राष्ट्रपति की बर्बादी की इबारत- राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हाय के कार्यकाल की उल्टी गिनती शुरू होती है 2015 के एक वाक़ये से. राजधानी सियोल की ‘एवा वीमेन यूनिवर्सिटी’ में नए सत्र में एडमिशन के लिए इंटरव्यू चल रहे थे. तभी वहां एक लड़की गोल्ड मेडल लेकर पहुंच गई. चुंग यो-रा नाम की इस लड़की ने ये मेडल 2014 के एशियन गेम्स में जीता था. इंटरव्यू के दौरान ऐसा करना नियमों के विरुद्ध था. बाकी छात्रों ने इसपर आपत्ति ज़ाहिर की. ख़ैर, ये ऐसा बड़ा मुद्दा नहीं था जिस पर तिल का ताड़ बनता. चुंग यो-रा का एडमिशन हो गया.
लेकिन इसके बाद बिना कोई क्लास अटेंड किए, बिना एग्ज़ाम दिए, वो लगातार तीन सेमेस्टर में टॉप करती रही. इससे बाकी बच्चों का चिढ़ना स्वभाविक था. उन्होंने कॉलेज कैंपस में प्रदर्शन किया. साथ में ये मांग भी उठी कि यूनिवर्सिटी के प्रेज़िडेंट इस्तीफ़ा दें. उनपर आरोप जाहिर था, कि वो एक लड़की का फ़ेवर कर रहे हैं. आउट ऑफ़ द वे जाकर.
सवाल ये भी था कि यूनिवर्सिटी के प्रेज़िडेंट, एडमिशन से लेकर आज तक इस लड़की, चुंग यो-रा का समर्थन क्यूं करते आ रहे हैं. थोड़ी सी छानबीन के बात पता चल गया कि ये लड़की, उस वक्त की राष्ट्रपति की करीबी की लड़की है, उसकी आध्यात्मिक सलाहकार की लड़की. मतलब चोई सुन-सिल की लड़की.
यूं जब यूनिवर्सिटी के प्रेज़िडेंट के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए तो चोई सुन-सिल के राष्ट्रपति पार्क के साथ के गहरे रिश्ते भी मीडिया की नज़र में आए. एक कोरियन न्यूज़ चैनल के हाथ चोई का एक टैबलेट लगा. फन फ़ैक्ट ये कि, ये टैबलेट ‘सैमसंग’ कंपनी का था.
चुंग यो रा. चोई सुन-सिल की लड़की. 2014 के एशियन गेम्स में घुड़सवारी में इनकी टीम ने गोल्ड मेडल पाया था. (तस्वीर: AP) चुंग यो रा. चोई सुन-सिल की लड़की. 2014 के एशियन गेम्स में घुड़सवारी में इनकी टीम ने गोल्ड मेडल पाया था. (तस्वीर: AP)


इस टैबलेट में राष्ट्रपति पार्क के कई भाषणों के टेक्स्ट में, कई जगहों पर मार्किंग की गई थी. इससे पता चला कि राष्ट्रपति पार्क के सारे भाषण न केवल चोई से होकर गुजरते थे बल्कि वो इन भाषणों को एडिट भी किया करती थी. इसके अलावा, इसमें राष्ट्रपति के कैबिनेट मीटिंग की जानकरी, उनके सलाहकारों की नियुक्ति समेत कई संदेहास्पद जानकारियां थीं.
अब आप पूछेंगे कि ‘इसमें ग़लत क्या है?’ तो अव्वल तो चोई कोई सरकारी पदाधिकारी नहीं थीं, दूसरा बाद में पता चला कि नॉर्थ-कोरिया के साथ की कई गोपनीय मीटिंग्स जैसे कई संवेदनशील मुद्दों की जानकरी भी उसके पास होती थीं. चोई के ऊपर यह भी इल्ज़ाम लगा कि पार्क के निर्णयों और उसके सार्वजनिक बयानों पर भी चोई का ‘अनुचित और अत्यधिक’ प्रभाव था. परतें खुलीं तो पता चला कि 7 करोड़ डॉलर्स के घोटाले में भी चोई का हाथ था.
अपने को इस सब में फंसता देख चोई कुछ दिनों के लिए जर्मनी भाग गई. लेकिन जब वो लौटीं तो उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया. पहले 23 जून, 2017 को उसे ‘स्कूल एडमिशन घोटाले’ वाले मामले में तीन साल की सज़ा हुई. फिर 13 फ़रवरी, 2018 को बाकी मामलों में 20 साल की सज़ा और हुई. साथ में इस बार उसपर 1.66 करोड़ डॉलर का जुर्माना भी लगा.
चोई सुन-सिल को शक्ति का दुरुपयोग करने, रिश्वत देने, व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए राष्ट्रपति मेनूप्लेट करने और सरकारी कामकाज़ में दखल देने का दोषी ठहराया गया. चोई को इस चीज़ का भी दोषी पाया गया कि उन्होंने बड़ी-बड़ी कंपनियों पर दबाव डाला. कि वे उसकी दो ग़ैर-लाभकरी संस्थाओं दान दें. और दबाव डालने के लिए उसने राष्ट्रपति के साथ अपने रिश्तों का उपयोग किया. अभियोजकों ने आरोप लगाया कि इन ग़ैर-संस्थाओं के लिए इकट्ठा किए गए 7 करोड़ डॉलर में से चोई ने कुछ पैसे अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए उड़ा लिए. जिनका उपयोग उसने अपनी बेटी के घुड़सवारी प्रशिक्षण जैसे कामों के लिए किया.
इस पूरे मुद्दे के सार्वजनिक होने के बाद देश भर में तत्कालीन राष्ट्रपति पार्क के ख़िलाफ़ बड़े स्तर पर प्रदर्शन होने लगे थे. ये 2016 की बात थी. 12 नवंबर, 2016 को 10 लाख के क़रीब लोगों ने सियोल के गवांघवामुन चौराहे पर प्रदर्शन किया. ये लोक राष्ट्रपति पर महाभियोग का मुक़दमा चलाने की और उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे.
12 नवंबर, 2016 के प्रोटेस्ट की एक झांकी. (तस्वीर: AP) 12 नवंबर, 2016 के प्रोटेस्ट की एक झांकी. (तस्वीर: AP)


इसके बाद 19 नवंबर को राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन में यही मांग की गई. फिर 26 नवंबर को पिछले दिनों से बाद प्रोटेस्ट हुआ था. क़रीब 20 लाख लोग इसमें शामिल थे. ये प्रदर्शन इस बात को लेकर थे कि देश के राष्ट्रपति ने एक ऐसे व्यक्ति को इतनी ढेर शक्तियां दी हैं, जो ना तो किसी सरकारी पद पर है और ना ही उसे कोई ‘सिक्योरिटी क्लीयरेंस’ मिली है. प्रदर्शन हुए तो चोई के साथ-साथ राष्ट्रपति भी मुद्दे में फंसती चली गईं. दिसंबर, 2016 में उनपर महाभियोग लगाया गया. 10 मार्च, 2017 को उन्हें राष्ट्रपति के पद से हटा दिया गया.
पार्क को 6 अप्रैल, 2018 को कोर्ट ने 24 सालों के लिए जेल भेजा गया. उन्हें शक्ति का दुरुपयोग करने, रिश्वतखोरी, और गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने का दोषी पाया गया. बाद में उनकी सज़ा को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया था. और अंत में दो और केसेज़ के चलते उनकी सज़ा में 7 सालों की और बढ़त हो गई. जुलाई 2020 में कोर्ट ने उनकी सज़ा घटाकर 20 साल कर दी गई. क्यूंकि कोर्ट ने ये पाया कि 'चोई सुन सिल स्कैंडल’ से उन्हें या तो कोई व्यक्तिगत लाभ हुए ही नहीं, या बहुत कम मात्रा में हुए.

'चोई सुन-सिल' स्कैंडल की सुनवाई और पड़ताल के दौरान कई और घोटालों की बात सामने आई. उनमें से सैमसंग वाला ये मामला भी एक था.

वापस सैमसंग वाले मामले पर आएं तो, बेशक अभी के लिए ली जे-यंग का जेल जाना तय हो गया है. लेकिन वो चाहें तो सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय के ख़िलाफ़ अपील कर सकते हैं. वैसे उनपर एक और केस भी चल रहा है. पिछले साल ली और सैमसंग के 10 अन्य पदाधिकारियों पर अवैध लेन-देन, स्टॉक मेनुप्लेशन और झूठी गवाही के आरोप लगे थे. ये केस अभी भी लंबित है. इनपर फ़ैसला आने में समय लग सकता है. ये वाला मामला भी 2016 के स्कैंडल का ही एक हिस्सा है.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement