The Lallantop
Advertisement

ये RDE क्या है जिसने सारी गाड़ियों के दाम फिर बढ़ा दिए?

अब साल में एक बार नहीं, हर सेकेंड मालूम चलेगा गाड़ी से कितना प्रदूषण हो रहा है.

Advertisement
RDE BS6 Phase 2 new norms
RDE नॉर्म्स, गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण कम करने की एक नई कोशिश हैं (प्रतीकात्मक फोटो- आज तक)
pic
शिवेंद्र गौरव
6 अप्रैल 2023 (Updated: 6 अप्रैल 2023, 09:31 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

शहरों की हवा बहुत गंदी हो चली है. जिसकी बड़ी वजह है- गाड़ियों के इंजन में फॉसिल फ्यूल्स के जलने पर निकलने वाला धुआं. इसीलिए सरकार लगातार कानून को सख्त बनाती जा रही है. इसी लीक पर चलते हुए सरकार ने 1 अप्रैल 2023 से RDE यानी रीयल ड्राइविंग इमिशन नॉर्म्स लागू कर दिए हैं. इसे BS6 का फेज़ 2 कहा गया है. ये नए नियम लागू होने से कारें और टू व्हीलर्स महंगे हो गए हैं. कुछ ऑटो कंपनियों को तो अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ सकता है.

इसीलिए आज की मास्टरक्लास में RDE नॉर्म्स की बात होगी. ये आपकी जेब पर कितना भारी पड़ने वाले हैं और इनके आने से कुछ गाड़ियों के बंद होने की नौबत क्यों आ गई है?

सबसे पहले BS नॉर्म्स क्या हैं ये जान लेते हैं.

BS नॉर्म्स क्या हैं? 

भारत सरकार ने पहली बार साल 2000 में यूरोप की तर्ज पर उत्सर्जन यानी एमिशन के लिए कुछ मानक तय किए थे. इन्हें भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड्स यानी BSES कहा गया. इसके बाद के सालों में इन मानकों को अपग्रेड किया गया. यानी उत्सर्जन और प्रदूषण पर नियंत्रण के नियम कुछ और सख्त होते रहे. और इन नए मानकों को BS1, BS2, BS3 एंड सो ऑन कहा जाता रहा. साल 2017 में BS4 मानक आए. और उसके बाद साल 2020 की 1 अप्रैल को सीधे BS6 लागू कर दिया गया. BS5 को स्किप करते हुए.

BS6 नॉर्म्स के तहत गाड़ियों में पॉल्यूटेंट्स का एमिशन कम करने के लिए कुछ और नई तकनीकें लाई गईं जैसे पर्टिकुलेट फिल्टर्स और SCR यानी सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन वगैरह. पर्टिकुलेट फिल्टर्स धुएं के साथ निकलने वाले कणों को रोकते हैं और कैटेलिटिक रिडक्शन से हानिकारिक गैस कम निकलती है. इससे इतर इंजन का मैनेजमेंट सिस्टम भी बेहतर किया गया. 

इन सब नए लेकिन पर्यावरण के लिहाज से जरूरी बदलावों का ऑटोमोटिव सेक्टर पर फर्क पड़ा. उत्सर्जन के नए सख्त मानक अपना पाना हर गाड़ी के लिए मुश्किल था. छोटी हैचबैक कारों और सेडान सेगमेंट में डीज़ल इंजन वाली गाड़ियां गायब हो गईं. वजह थी, कि इन गाड़ियों को नए मानकों के मुताबिक अपग्रेड करने में कंपनी को खर्च ज्यादा आ रहा था, और बाजार में इन गाड़ियों की मांग कम हो चली थी. जिन गाड़ियों को BS6 नॉर्म्स के हिसाब से अपग्रेड किया गया, वो महंगी हो गईं.

और अब लागू हुए हैं RDE नॉर्म्स.

BS6 का फेज़ 2 है RDE

यूं समझिए कि BS6 के नियमों में कुछ नियम और जोड़े गए हैं. इनमें सबसे जरूरी है- ‘रीयल ड्राइविंग एमिशन’. माने अब सभी गाड़ियों में उत्सर्जन के स्तर की रीयल टाइम में निगरानी की जाएगी. और इसके लिए गाड़ियों में OBD सिस्टम लगाया जाएगा. OBD यानी ‘ऑन बोर्ड डायग्नोस्टिक सिस्टम’. ये डिवाइस कैटेलिटिक कन्वर्टर और ऑक्सीजन सेंसर जैसे इंजन के जरूरी हिस्सों की निगरानी करेगा. और इंजन से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के स्तर को मापेगा. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, कार और बाइक चलाने के हमारे एक्सपीरियंस में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा और न ही गाड़ियों में कोई मॉडिफिकेशन नजर आएगा. कुल मिलाकर कहें तो BS6 के पहले फेज़ और इस फेज़ में यही एक फर्क है कि BS6 वाली गाड़ियों में प्रदूषण की जांच लेबोरेटरीज में ही होती थी लेकिन अब BS6 के फेज़ 2 मॉडल को अपनाने वाली गाड़ियों में प्रदूषण की रियल टाइम जांच होती रहेगी. रियल टाइम मॉनिटरिंग को ऐसे समझिए कि एक ही कंपनी की एक ही मॉडल की दो गाड़ियां दो अलग-अलग ड्राईवर अलग-अलग तरह से चला रहे हैं या उनके रास्ते के ट्रैफिक में फर्क है तो उनका एमिशन लेवल अलग-अलग हो सकता है.

तब भी गाड़ियां बंद हुई थीं, अब भी होंगी

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, कई छोटे डीज़ल इंजन वाली गाड़ियों में नाइट्रोजन ऑक्साइड का एमिशन कम करने के लिए LNT (Lean NoX Trap) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता था. ये टेक्नोलॉजी सस्ती थी. लेकिन BS6 नॉर्म्स में SCR यानी 'सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन टेक्नोलॉजी' का इस्तेमाल जरूरी कर दिया गया. इस तकनीक पर एक्स्ट्रा खर्च आ रहा था. इसलिए कई गाड़ियों को बंद कर दिया गया. BS6 के इस फेज़ 2 को अपनाना भी कई कार कंपनियों के लिए मुश्किल रहा.

कौन सी गाड़ियां बंद हुई हैं?

फाइनेंशियल एक्सप्रेस अख़बार के मुताबिक,

-रेनो डस्टर के इंडिया से जाने के बाद, निसान की किक्स के भी बंद होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. और अब RDE नॉर्म्स के आने के बाद किक्स की विदाई हो रही है. ये गाड़ी दो पेट्रोल इंजन ऑप्शंस में उपलब्ध थी.

-हॉन्डा सिटी 4th जनरेशन को भी बंद कर दिया गया है. अब हॉन्डा ने भारत में इसका 5th जनरेशन मॉडल लॉन्च किया है.

-हॉन्डा की WR-V का नया वर्जन साल 2017 में लॉन्च किया गया था. लेकिन अब इसका RDE अपडेटेड वर्जन आएगा या नहीं इस पर संशय है. 

-महिंद्रा की मराज़ो कार ग्राहकों के बीच बहुत पसंद नहीं की गई. नए मानकों के आने के साथ ही इसे बंद किया जा रहा है. 

-महिंद्रा की कॉम्पैक्ट SUV, KUV100 को भी बंद किया जा रहा है.

-मारुति सुजुकी की ऑल्टो 800 गाड़ी को भी बंद किया जा रहा है. जबकि भारत में ये सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ियों में से एक थी. नए RDE नॉर्म्स के खर्चे के अलावा नई ऑल्टो K10 की उपलब्धता भी इसके बंद होने की एक वजह है. 

-क्विड भी 800CC इंजन की छोटी, सस्ती और खूब बिकने वाली गाड़ी थी. इसे भी बंद किया जा रहा है.

जो बिकेंगी, महंगी बिकेंगी

अब उन गाड़ियों की बात करते हैं जो RDE नॉर्म्स के हिसाब से अपडेट होने के चलते महंगी बिकने वाली हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोटा-माटी दो पहिया वाहनों में अलग-अलग मॉडल्स पर करीब 2 हजार से 10 हजार रुपए तक की बढ़ोत्तरी होगी और कारों की कीमतें भी 10 हजार से 50 हजार रुपए तक बढेंगी. 

महिन्द्रा ने अक्टूबर 2022 से ही स्कॉर्पियो एन, स्कॉर्पियो और महिंद्रा थार 2WD की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी है. MG यानी मॉरिस गैरेजेज़ ने भी बीते दिनों में अपने हेक्टर, हेक्टर प्लस जैसे मॉडल्स की कीमतें बढ़ाई हैं. मारुति सुजुकी ने कहा है कि उसके बाकी मॉडल्स की कीमतों में 0.8% की बढ़ोतरी की जाएगी. हुंडई की CRETA, Alcazar औए वेन्यू जैसे मॉडल्स की भी कीमतें बढ़ी हैं. 

वहीं हॉन्डा ने अपने मॉडल ‘अमेज़’ की कीमत में 12 हजार रुपए की बढ़ोत्तरी की घोषणा की है. हॉन्डा ने अपने आधिकारिक बयान में कीमतें बढ़ाने की वजह BS6 के फेज़-2 नॉर्म्स के चलते उत्पादन की लागत बढ़ना बताया है. इसी तरह टाटा ने अपने कमर्शियल व्हीकल्स की कीमत में 5 फीसद और हीरो मोटोकोर्प ने 2 फीसद बढ़ोत्तरी करने का ऐलान किया है. 

वीडियो: 7 दिन पहले ही 26 हज़ार की गाड़ी खरीदी थी, 47 हज़ार 500 का चालान हो गया

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement