The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Popular Marathi Playwright Vijay Tendulkar's birth Anniversary

जानिए पांच बातें मराठी नाटककार विजय तेंडुलकर के बारे में

आज तेंडुलकर की बरसी है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
प्रतीक्षा पीपी
19 मई 2017 (Updated: 19 मई 2017, 01:32 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
तेंडुलकर. ये शब्द सुनकर एक ही छवि दमाग में कौंधती है. सचिन तेंडुलकर. क्रिकेट का भगवान. लेकिन एक और तेंडुलकर हुआ था, जो अपने 'क्लास' के लिए जाना जाता था. नाम था - विजय तेंडुलकर. दुनिया विजय तेंडुलकर को एक मशहूर मराठी नाटककार और आलोचक की तरह देखती है. पर उन्होंने फिल्मों और टीवी के लिए भी लिखा. एक पत्रकार और सोशल कमेंटेटर के रूप में भी उन्हें जाना गया है. बीते 50 सालों में उन्हें मराठी का सबसे बड़ा नाटककार माना गया है. जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी पांच बातें:
1. 6 जनवरी, 1928 में कोल्हापुर में जन्म हुआ. पिता छोटे से प्रकाशक थे. इस नाते तेंडुलकर को घर में लिखने के लिए बढ़िया माहौल मिला. 6 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली कहानी लिखी. करियर के शुरूआती दिनों में मुंबई की एक चाल में रहते थे. गरीबी और समाज के संगीन चेहरे हो करीबी से देखा. नाटक देखते हुए बड़े हुए. 11 साल की कच्ची उम्र में अपना पहला नाटक सिर्फ लिखा ही नहीं, उसे डायरेक्ट कर उसमें रोल भी किया.
2. 14 साल की उम्र में 1942 के अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो अभियान में कूद पड़े. परिवार, पढाई, दोस्त, सब छूट गए. लिखने में ही सुकून पाया.
3. अखबारों के लिए लिखना शुरू किया. शुरूआती नाटक फ्लॉप रहे. जब 'गृहस्थ' नाम का नाटक छपने पर निराशा के अलावा कुछ न मिला तो कसम खायी कि दोबारा न लिखेंगे. अच्छा ही रहा कि 1956 में न लिखने का प्रण वापस लिया और 'श्रीमंत' लिखा. श्रीमंत ने उन्हें वो सफलता दिलाई जो वो डिजर्व करते थे. नाटक ने धूम मचा दी क्योंकि कहानी एक अविवाहित मां की थी. उस समय इन मुद्दों पर कम ही लोग बात करने की हिम्मत रखते थे.
4. 2002 के गोधरा दंगों के बाद उन्होंने स्टेटमेंट दिया: "अगर मेरे पास पिस्टल होती तो चीफ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी को गोली मार देता." नरेंद्र मोदी के समर्थकों ने विजय तेंडुलकर के खिलाफ नारे लगाए और पुतले जलाए. कुछ समय बाद तेंडुलकर ने अपने शब्द वापस लेते हुए कहा कि वो गुस्से में बहक गए थे, और किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हैं.
5. अपने राइटिंग करियर में 2 उपन्यास, 30 से भी ज्यादा नाटक, 3 अनुवाद, और लगभग 15 फिल्मों के लिए स्क्रीनप्ले लिखा. पद्मभूषण समेत 12 राष्ट्रीय स्तर के अवार्ड्स इन्हें मिले. 'शांतत! कोर्ट चालू आहे' और 'घाशीराम कोतवाल' इनके सबसे पॉपुलर नाटकों में रहे. 19 मई 2008 को इनका निधन हुआ.
 
ghashirsam k
घाशीराम कोतवाल का एक सीन


* ज़्यादातर जगह सचिन और विजय के नाम के साथ 'तेंदुलकर' लिखा मिलता है. लेकिन सही शब्द 'तेंडुलकर' है.



 
ये भी पढ़ेंः

मंटो को समझना है तो ये छोटा सा क्रैश कोर्स कर लो

अश्लील, फूहड़ और गन्दा सिनेमा मतलब भोजपुरी सिनेमा

चेतन भगत क्या वाकई बुरे लेखक हैं?

इकबाल के सामने जमीन पर क्यों बैठे नेहरू?


वो गायिका जिनकी आवाज़ में बगावत धड़ धड़ धड़कती है


Advertisement