नासिक में व्यापारियों की हड़ताल, अब टमाटर की तरह लाल होगा प्याज़?
केंद्र ने NAFED और NCCF के ज़रिए सब्सिडी पर प्याज़ बेचकर कुछ राहत देने का प्रयास किया है. लेकिन ये व्यवस्था अस्थायी है. अगर समाधान न निकला, तो प्याज़ के दाम बढ़कर रहेंगे.
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महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में प्याज़ व्यापारियों ने 20 सितंबर से नीलामी रोक दी है. व्यापारियों की सबसे बड़ी मांग है कि केंद्र सरकार प्याज़ के निर्यात पर लगाई गई 40 प्रतिशत ड्यूटी तुरंत हटाए. नासिक जिले के प्याज़ व्यापारियों की सारी समस्याओं और मांगों को व्यापारी संघ ने एक ज्ञापन के जरिए मुख्यमंत्री और विपणन मंत्री को दे दिया है. हालांकि, नाशिक जिलाधिकारी और मार्केटिंग बोर्ड ने सभी कृषि उपज मंडी को आदेश दे दिया है कि जो व्यापारी प्याज़ की नीलामी में नहीं आए, उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाए. उनकी जगह नए ट्रेडर्स को लाइसेंस मुहैया कराए जाएं.
21 सितंबर की मीटिंग में क्या हुआ?21 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री दादाजी भुसे ने प्याज़ व्यापारियों के साथ एक बैठक की और उनसे प्याज़ रीदने की अपील की. हालांकि, इस बैठक में भी कोई फैसला नहीं हुआ. भुसे ने प्याज़ व्यापारियों, संगठनों और किसान प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि 26 सितंबर को होनी वाली बैठक में प्याज़ व्यापारियों और किसानों से चर्चा कर प्याज़ के मुद्दे पर उचित निर्णय लिया जाएगा.
नासिक के कलेक्टर जलज शर्मा ने कहा कि उन्होंने व्यापारियों से सोमवार (18 सितंबर) को मीटिंग की थी. 26 सितंबर को व्यापारियों की मुलाकात विपणन मंत्री अब्दुल सत्तार से होनी है. व्यापारियों ने इस मीटिंग का इंतज़ार किए बिना हड़ताल शुरू कर दी.
क्यों नाराज़ हैं व्यापारी?बीते कुछ दिनों में पूरे देश में प्याज़ के दाम बढ़े. रेट 40-50 रुपये प्रति किलो तक पहुंचा गया था. और इसकी वजह भी थी. भारत में हर साल जून से लेकर सितंबर तक रबी की फसल (प्याज़़) बिकती है. महाराष्ट्र के नासिक, अहमदनगर, पुणे के जुन्नर और सोलापुर से पूरे भारत में रबी का प्याज़ सप्लाई होता है. सबसे ज्यादा स्टोर किया गया प्याज़ नासिक से सप्लाई होता है. रबी की फसल ख़त्म होते-होते 15 सितंबर तक खरीफ की फसल आ जाती है. ये साइकिल ठीक रहे तो प्याज़ के दाम ठीक रहते हैं.
पर इस साल बारिश कम हुई. खरीफ का प्याज़ देरी से लगाया गया. उससे पहले हुई बेमौसम बारिश ने रबी में उगे प्याज़ को खराब भी किया. ‘किसान तक’ की रिपोर्ट के मुताबिक खरीफ की फसल का सिर्फ 2 फीसदी प्याज़ ही सितंबर के पहले दो हफ्तों में मार्केट तक आया. इसके चलते प्याज़ के दाम ऊपर जाने लगे. तो केंद्र सरकार ने 22 अगस्त को फैसला लिया कि NAFED और NCCF प्याज़ बेचेंगे. ये दोनों सरकारी संस्थाए हैं - भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारिता संघ (NCCF).
क्रेडिट रेटिंग इन्फॉर्मेशन सर्विसेज़ ऑफ इंडिया लिमिटेड या क्रिसिल (CRISIL) ने अगस्त में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि प्याज़ के दाम सितंबर 2023 में 150 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि प्याज़ के दाम 70 रुपये प्रति किलो को भी पार कर जाएंगे. इस रिपोर्ट के बेसिस पर ही सरकार ने NAFED और NCCF को मैदान में उतारा.
NAFED और NCCF ने सीधे किसानों से 2410 रुपये प्रति क्विंटल प्याज़ खरीदना शुरू कर दिया. पहली खेप में 3 लाख क्विंटल प्याज़ खरीदा गया और आगे और 2 लाख क्विंटल खरीदने का प्लान है. केंद्र सरकार के मुताबिक ऐसा इसलिये किया जा रहा है, कि किसानों को नुकसान ना हो. NAFED और NCCF ने कुछ दिनों तक राशन सेंटर और डेयरी की दुकानों पर भी प्याज़ बेचा. सरकारी रेट था - 25 रुपया किलो. इसके चलते प्याज़ के खुदरा दाम में थोड़ी गिरावट हुई. इसके बाद इन दोनों संस्थानों ने सब्ज़ी विक्रेताओं को भी प्याज़ बेचा. बता दें, ये बिक्री सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं थी. e-NAM पोर्टल के जरिए प्याज़ देश के हर कोने तक पहुंचा.
लेकिन प्याज़ के दाम नीचे आने से प्याज़ व्यापारी और चिंतित हैं. क्योंकि इससे उन्हें होने वाली आय और मुनाफे पर फर्क पड़ेगा. प्याज़ उत्पादक संघटन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने आजतक से कहा कि NAFED को तब प्याज़ बेचना चाहिए, जब इसका दाम 6,000 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा हो जाए.
सिस्टम ठीक तो है, फिर बवाल क्यों?आप सोच रहे होंगे, दाम बढ़े, फिर कम हो गए. प्याज़ सब्सिडी पर मिल ही रहा है. तो दिक्कत आई कैसे. ये समझने के लिए अपन नासिक चलते हैं. नासिक की 17 कृषि उपज बाजार समितियां (APMCs) अनिश्चित काल के लिए बंद हैं. इससे एक दिन में लगभग 30 से 40 करोड़ का कारोबार बंद हो जाएगा. नासिक जिलाधिकारी और मार्केटिंग बोर्ड ने इस पर क्या कहा, हमने पहले ही बताया.
रिपोर्ट के मुताबिक प्याज़ व्यापारी एशोशिएशन के सुशील पारख ने कहा कि व्यापारियों ने कोई भी मार्केट बंद नहीं किया है. उन्होंने कहा कि वो लोग बस नीलामी में हिस्सा नहीं लेंगे. व्यापारियों ने अपनी मांगे पहले भी मंत्री गिरीश महाजन को दी थी. तब हड़ताल को जिलाधिकारी के कहने पर दो दिन में ख़त्म कर दिया गया था. हालांकि, अब तक मांगों पर कुछ कार्यवाही नहीं हुई. व्यापारियों का कहना है कि वे बातचीत करने के लिए तैयार हैं, हल निकला तो वो नीलामी में शामिल होंगे.
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जिला व्यापारी संघ की मांगें- बाजार समिति द्वारा लिए जाने वाले बाजार शुल्क की दर प्रति 100 रुपये पर एक रुपये की बजाय डेढ़ रुपये किया जाए. यानी हर 100 रुपये की खरीद पर APMC को 1 की जगह 1.5 रुपए मिले.
- विक्रेताओं से शुल्क वसूली के लिए पूरे भारत में शुल्क दरें 4 प्रतिशत की जाए.
- प्याज़ के निर्यात पर 40 फीसदी ड्यूटी तुरंत रद्द की जाए. (बता दें, ये ड्यूटी स्थायी नहीं है. ये 31 दिसंबर 2023 तक लगाई गई है).
- 'NAFED' और 'NCCF' मंडी परिसर में प्याज़ बेचें.
- प्याज़ की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें व्यापारियों को व्यापार पर 5 प्रतिशत और घरेलू परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे.
व्यापारियों की एक और मांग है. प्याज़ व्यापारी सूरज पारख ने आजतक से जुड़े प्रवीण ठाकरे से बात करते हुए कहा कि NAFED और NCCF सीधे ग्राहक को प्याज़ बेचें. रास्ते पर स्टॉल लगा कर बेचें. पर विक्रेताओं को ना बेचें. इससे दाम गिरते हैं और किसानों को भी नुकसान होता है.
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देश पर क्या असर?नासिक की इस मंडी पर बड़े किसान 1000-2000 रुपये प्रति क्विंटल तक प्याज़ बेचते हैं. प्याज़ की बोली लगती है. लाइसेंसी व्यापारी इसे खरीदते हैं और देश भर में बेचते हैं. ये सप्लाई चेन अच्छी है. पर इतनी भारी मात्रा में प्याज़ होने की बदौलत इन लोगों के पास इस पूरी फसल की मोनोपोली आ जाती है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि ये व्यापारी ही प्याज़ के दाम कंट्रोल करते हैं. देश में प्याज़ के ज्यादातर बड़े किसान और व्यापारी, दोनों इसी इलाके से आते हैं.
NAFED और NCCF जो कर रहे हैं, वो अस्थाई व्यवस्था है. अगर बड़े किसान अपनी फसल नहीं बेचते हैं, तो या तो प्याज़ का दाम बढ़ता ही जाएगा. ऐसे में सरकार को लंबे समय तक सबसिडी देनी पड़ सकती है. ये स्थिति इकनॉमी के लिए ठीक नहीं है.
यानी नासिक में गतिरोध जल्द समाप्त हो, इसमें किसान, व्यापारी, सरकार और जनता - सबकी भलाई है.
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