महंगाई पर सरकार की रिपोर्ट, प्याज-टमाटर के दाम घटेंगे या बढ़ेंगे ये भी बता दिया
मंत्रालय ने वैश्विक स्तर पर मौजूद रुकावटों और घरेलू स्तर पर बने मुश्किल हालात के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है.

महंगाई से परेशान हैं तो आने वाले दिनों के लिए कमर थोड़ी और कस लीजिए. फिलहाल ये महंगाई जाने वाली नहीं है. आने वाले दिनों में चीजों के दाम बढ़े हुए ही रहेंगे. हालांकि खाने-पीने की चीजों के दाम में कमी आ सकती है. केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में ये सब बातें कही गई हैं. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव बना रह सकता है. मंत्रालय ने वैश्विक स्तर पर मौजूद रुकावटों और घरेलू स्तर पर बने मुश्किल हालात के आधार पर यह चेतावनी जारी की है.
बता दें कि जुलाई में खुदरा महंगाई की दर 7.4 फीसदी पर पहुंच गई थी. यह बीते 15 महीनों में महंगाई की सबसे ऊंची दर थी. अब सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई के मोर्चे पर जो हालात उभर रहे हैं उस हिसाब से सरकार और RBI को सख्त निगरानी रखने की जरूरत है.
ये रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से जारी की गई है. इसमें विभाग ने मानसून के दौरान बारिश में कमी को लेकर भी चिंता जाहिर की है. इंडिया टुडे के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है,
महंगाई की वजहें भी बताई हैं‘रिपोर्ट लिखने तक अगस्त में कम बारिश हुई है. खाने-पीने वाली चीजों की महंगाई नीचे लाने के लिए सरकार पहले ही कई उपाय कर चुकी है. आने वाले समय में ताजा पैदावार के साथ कीमतें जल्दी कम हो सकती हैं. दुनिया भर में डिमांड सुस्त हो रही है, लेकिन मर्चेंडाइज निर्यात बढ़ाने पर काम जारी रखना होगा.’
रिपोर्ट में महंगाई के कारणों पर भी बात की गई है. उसके मुताबिक, वैश्विक स्तर पर मौजूद चुनौतियों की वजह से भारत में महंगाई बढ़ी है. खासकर अनाज, दाम और सब्जियों के दाम तेजी से बढ़े हैं. इन सामानों की महंगाई दर पिछले साल के मुकाबले जुलाई महीने में दो अंकों में बढ़ी है. घरेलू स्तर पर भी उत्पादन घटा है, इस कमी ने महंगाई को हवा दी है. आगे लिखा है,
जल्दी सस्ता होगा खाने-पीने का सामान!"कर्नाटक के कोलार जिले में सफेद मक्खियों की वजह से टमाटर की फसल खराब हुई थी, जिससे बाजार में कम टमाटर पहुंचा. इसके अलावा उत्तर भारत में मानसून अनुमान से जल्दी पहुंच गया. इसने भी फसल को खराब किया और कीमतें आसमान पर पहुंच गईं. वहीं, दालों की कीमतें बढ़ने के पीछे रकबा घटने को कारण बताया गया है."
रिपोर्ट के मुताबिक, खाने-पीने की कीमतों में दिख रहा उछाल अस्थायी है. अगस्त के आखिर या सितंबर की शुरुआत टमाटर की नई पैदावार बाजार में आ जाएगी. उम्मीद की गई है कि इससे टमाटर की कीमतें नीची आ सकती हैं. तुअर दाल का आयात भी जारी है. इसलिए आगे जाकर दालें भी सस्ती हो सकती हैं.
मंत्रालय की रिपोर्ट में लिखा है कि इन कदमों के अलावा सरकार के प्रयासों से महंगाई घटकर औसत स्तर पर आ सकती है. लेकिन रिपोर्ट ये भी कहती है कि आने वाले कुछ महीनों तक महंगाई बनी रहेगी, हालांकि खाने-पीने वाली चीजों की महंगाई कम होने की संभावना है.