The Lallantop
Advertisement

तीन महीने में दो FIR, रविंद्र सिंह भाटी और बीजेपी की अदावत के पीछे क्या खेल चल रहा?

Ravinder Singh Bhati के खिलाफ बाड़मेर और जैसलमेर में सोलर पावर प्लांट के काम को अटकाने के आरोप लगे हैं. बाड़मेर में किसान अपने मुआवजे को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं जैसलमेर में अडाणी समूह की कंपनी को बिजली बनाने के लिए मिली भारी 'बंजर' जमीन का विरोध चल रहा था.

Advertisement
mla ravinder singh bhati fir and protest barmer jaisalmer bjp detail
रवींद्र सिंह भाटी के खिलाफ हुई FIR के राजनीतिक मायने क्या है? (तस्वीर:सोशल मीडिया)
pic
शुभम सिंह
23 जनवरी 2025 (Published: 02:31 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

राजस्थान के शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) के खिलाफ पिछले तीन महीने में दो FIR दर्ज हुई है. उनके खिलाफ बाड़मेर और जैसलमेर में सोलर पावर प्लांट के काम को अटकाने के आरोप लगे हैं. बाड़मेर में किसान अपने मुआवजे को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं जैसलमेर में अडाणी समूह की कंपनी को बिजली बनाने के लिए मिली भारी 'बंजर' जमीन का विरोध चल रहा था. दोनों जगह प्रदर्शनकारियों को रविंद्र सिंह भाटी का साथ मिला. भाटी ने प्रोजेक्ट में अड़चन डालने के आरोपों को सिरे से नकार दिया है. लेकिन राजस्थान में BJP के नेता उनपर राजनीतिक माइलेज लेने का आरोप लगा रहे हैं.

शिव विधानसभा क्षेत्र में किसानों का प्रदर्शन

दरअसल, बाड़मेर और जैसलमेर में सोलर और विंड एनर्जी से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहे हैं. इसमें हाईटेंशन लाइन बिछाना और टावर निर्माण का काम भी शामिल है. यह कार्य भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ (NSEFI) के प्रोजेक्ट का हिस्सा है. NSEFI सौर्य ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली एक गैर लाभकारी संस्था है. अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, आदित्य बिड़ला रिनेवेबल, एक्सिस एनर्जी ग्रुप जैसे दो दर्जन से अधिक ग्रुप इसके सदस्य हैं.

शिव विधानसभा क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों के किसान अपनी मांगों को लेकर 5 दिसंबर, 2024 से प्रदर्शन कर रहे थे. किसानों की मांग थी कि उनकी जमीन पर खंभे लगाने और हाईटेंशन लाइन बिछाने के लिए उन्हें उचित मुआवजे दिए जाए. किसानों को प्रति टावर 50 हजार रुपये मुआवजे की पेशकश की गई थी. किसान इससे असंतुष्ट थे.

भाटी ने बिजली कंपनियों पर धांधली के लगाए आरोप

किसानों के प्रदर्शन में विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी उनके साथ नज़र आए. भाटी ने 8 दिसंबर को अपने फेसबुक से एक पोस्ट की जिसमें उन्होंने बिजली कंपनियों पर कथित धांधली का आरोप लगाया. उन्होंने लिखा,

शिव क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. किसानों को उनके हक से वंचित करने का कोई भी प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मैंने इस मामले को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से साफ कहा है कि हम विकास कार्यों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हर किसान को उसकी जमीन का उचित मुआवज़ा दिलाना सुनिश्चित किया जाए.

रविंद्र सिंह भाटी ने 28 दिसंबर को धरना स्थल से तहसील ऑफिस तक प्रदर्शनकारियों के साथ पैदल मार्च निकाला.

मुआवजे को लेकर बनी सहमति

बाड़मेर में लगभग 70 दिनों तक चला किसानों का प्रदर्शन 17 जनवरी को समाप्त हो गया. बाड़मेर के शिव इलाके में बाबा गरीबनाथ मंदिर में विधायक भाटी, किसानों और कंपनी के प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बातचीत हुई. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, यह बातचीत सफल रही और कंपनी द्वारा किसानों को उनका पूरा हक देने की सहमति बनी. किसानों ने इसे अपनी बड़ी जीत बताया.

लेकिन भाटी के खिलाफ उनकी विधानसभा में FIR दर्ज

आम सहमति बनने के दो दिन बाद रविंद्र सिंह भाटी के खिलाफ 19 जनवरी को बाड़मेर के शिव पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज हो गई. उनपर 8500 करोड़ से जुड़े अक्षय उर्जा प्रोजेक्ट में अड़चने डालने का आरोप लगा. इंडियन एक्सप्रेस ने शिव पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर मगन खान के हवाले से लिखा है कि रविंद्र सिंह भाटी के खिलाफ BNSS की धारा 302 लगाई गई है. यह धारा जबरन वसूली के संबंध में लगाई जाती है. चूंकि आरोप विधायक के खिलाफ लगे हैं इसलिए मामले की जांच CID- CB की अपराध शाखा को सौंप दी गई है.

भाटी के खिलाफ यह FIR भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ (NSEFI) के लिखे एक पत्र के आधार पर हुई है. NSEFI के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुब्रमण्यम पुप्लिका ने पीएम नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा था. 

NSEFI के लेटर का स्क्रीनशॉट
NSEFI के लेटर का स्क्रीनशॉट

पुप्लिका ने लिखा कि बाड़मेर के शिव इलाके में पवन और सौर ऊर्जा की परियोजनाओं से जुड़े प्रबंधकों को स्थानीय निर्दलीय विधायक की हरकतों के कारण लगातार भयंकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. परियोजना से जुड़े कर्मचारियों को धमकियां मिल रही हैं जिसमें जबरन वसूली की मांग भी की जा रही है. पत्र में आगे लिखा है,

इस कारण 2000 मेगावाट तक की परियोजनाएं बिना किसी समाधान के 3 से 6 महीने तक के लिए रुकी हुई हैं. इस अनचाहे हस्तक्षेप के कारण 8500 करोड़ रुपये के निवेश पर असर पड़ा है. अगर इस मसले का हल नहीं हुआ तो कंपनियों को मजबूरन दूसरे प्रदेशों में जाना होगा.

इस पत्र को मुख्य सचिव और राजस्थान के डीजीपी को भी भेजा. इसको आधार बनाकर पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा के निर्देश पर भाटी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

सहमति बनने के बाद भी क्यों हुई FIR?

रविंद्र सिंह भाटी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा,

मैंने किसी भी प्रोजेक्ट में कोई रुकावट नहीं डाली है. क्षेत्र में लग रहे ऊर्जा से जुड़े प्रोजेक्ट्स से कंपनियां आगे चलकर करोड़ों-अरबों का लाभ कमाएंगी लेकिन जिन किसानों की जमीन पर ये प्रोजेक्ट लगाए जा रहे उन्हें मामूली मुआवजा देकर उनकी आवाज को चुप कराया जा रहा था.

किसानों और सोलर प्रोजेक्ट से जुड़ी कंपनी के बीच सहमति बनने के बाद भी रविंद्र सिंह भाटी के खिलाफ FIR क्यों हुई? इस बारे में इंडिया टुडे से जुड़े बाड़मेर के स्थानीय पत्रकार विमल भाटिया बताते हैं, 

कंपनी के जिस लेटर पर यह कार्रवाई हुई है उसमें तारीख 7 जनवरी लिखी है. वो सार्वजनिक 17 जनवरी को हुई और उसके अगले दिन भाटी पर FIR हो गई. किसानों और कंपनियों के बीच सहमति बनने के अगले दिन FIR का निर्देश जारी करने का मकसद है रविंद्र सिंह भाटी पर दवाब बनाना ताकि वे बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में प्रोजेक्ट को लेकर आगे कोई ‘अड़चन’ न पैदा कर दें.

जैसलमेर में भी हुए प्रदर्शन के दौरान भी भाटी के खिलाफ दर्ज हुई थी FIR

राजस्थान के रेगिस्तानी जिले जैसलमेर में ओरण यानी चारगाहों की जमीन को संरक्षण करने की कवायद लंबे समय से चल रही है. सोलर और विंड एनर्जी से जुड़ी कंपनियों और स्थानीय लोगों में इन जमीनों को लेकर रस्साकशी कई सालों से जारी है.

दरअसल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने ‘अडाणी बाड़मेर वन लिमिटेड’ को 600 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट लगाने के लिए जैसलमेर के बइया, गाले की बस्ती और मगरा इलाके में बंजर और बारानी किस्म की 5,280.58 बीघा जमीन दी थी. इसके अलावा कंपनी ने इलाके में 351 बीघा जमीन किसानों से सीधे तौर पर खरीदी या किराए पर ली है. 

इंडिया टुडे हिंदी मैगजीन के आनंद चौधरी की रिपोर्ट के मुताबिक, किराए वाली जमीन के लिए तीनों गांवों के सैकड़ों किसानों को दो साल से 10,800 रुपये बीघा किराया दिया जा रहा है. और तब से किसी ने भी जमीन आवंटन का विरोध नहीं किया था. लेकिन जब नवंबर, 2024 में कंपनी ने जैसलमेर के बस्ती गांव की जमीन पर बिजली ट्रांसमिशन के लिए ग्रिड स्टेशन बनाने का काम शुरू किया तो काम शुरू होते ही गांवा वालों उसके विरोध में आ खड़े हो गए.

प्रशासन और स्थानीय लोगों की झड़प हुई जिसके बाद पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया और 30 लोगों को डिटेन किया गया. प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही विधायक रविंद्र सिंह बइयां गांव पहुंचकर धरने पर बैठ गए. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को रिहा किए जाने तक हटने से इनकार कर दिया था. इस दौरान प्रदर्शन कर रहे दो युवकों को पुलिस ने अपनी गाड़ी में बिठाया. भाटी ने दोनों युवकों को पुलिस की गाड़ी से नीचे उतार दिया.

जैसलमेर में प्रदर्शनकारियों के साथ रवींद्र सिंह भाटी
जैसलमेर में प्रदर्शनकारियों के साथ रविंद्र सिंह भाटी. (तस्वीर:इंडिया टुडे मैगजीन)

इसको लेकर रविंद्र सिंह भाटी के खिलाफ 16 नवंबर को झिनझिनियाली थाने में FIR दर्ज किया गया. उनके खिलाफ प्रशासन के कार्यों में बाधा पहुंचाने सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया. हालांकि, गिरफ्तार किए गए लोगों को प्रशासन ने छोड़ दिया. लेकिन ओरण बचाने का आंदोलन जारी है. इंडिया टुडे हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, सोलर प्लांट का काम बंद पड़ा है. गांववालों और प्रशासन के बीच तनाव की स्थिति है.

ग्रामीणों की मांग है कि सरकारी रिकॉर्ड में बंजर और बारानी इस जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में ओरण घोषित किया जाए. लेकिन प्रशासन का कहना है कि अडाणी समूह को नियम के तहत जमीन आवंटित की गई है. इंडिया टुडे हिंदी ने जैसलमेर के अतिरिक्त कलेक्टर एम.आर. बगड़िया का बयान छापा है. उन्होंने कहा,

“अडाणी बाड़मेर वन प्राइवेट लिमिटेड को नियमानुसार जमीन आवंटित की गई है. पर ग्रामीण अब इसे ओरण घोषित करने की मांग कर रहे हैं जो कि गलत है.”

लेकिन क्या भाटी पर FIR बीजेपी की छटपटाहट है?

राजस्थान में बीजेपी की सरकार है, यहां रविंद्र सिंह भाटी के खिलाफ पिछले दो महीने में दो FIR दर्ज हो चुके हैं. राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने हाल ही में भाटी को ‘छुट्टा सांड’ तक बता दिया था. उन्होंने 19 जनवरी को पत्रकारों से भाटी के विरोध को लेकर किए गए सवाल के जवाब में कहा,

“वोे करेगा ना, फ्री है, विरोध में है, छुट्टा सांड होता है, ना तो अब क्या करें कुछ भी करें.”

क्या ये भाटी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण बीजेपी की ‘छटपटाहट’ है, नई सियासी जमीन तलाशने का कोई पैंतरा?

अपने 26वें बड्डे पर पहली बार विधायक चुने गए रविंद्र सिंह भाटी छात्र राजनीति से ही लोकहित के मुद्दों को बढ़-चढ़कर उठाते रहे हैं. उन्होंने दिसंबर, 2023 में विधायक बनने के बाद से खानाबदोश जनजातियों और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए आवास का मुद्दा उठाया है. इसके अलावा उन्होंने प्राइवेट कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण की मांग की है.

छात्र संघ के दिनों से ही भाटी और बीजेपी के रिश्तों में उतार चढ़ाव देखे गए हैं. उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय कहे जाने वाले ‘जय व्यास नारायण यूनिवर्सिटी’ से की है. कॉलेज के दिनों में उनका झुकाव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की विचारधारा की तरफ था. लेकिन पार्टी ने उन्हें 2019 के छात्रसंघ के चुनाव में टिकट नहीं दिया. उन्होंने निर्दलीय पर्चा भरा और यूनिवर्सिटी के 57 सालों के इतिहास में वे पहले निर्दलीय छात्रसंघ अध्यक्ष बने.

इसके बाद 2022 में जेएनवीयू छात्र संघ चुनावों में भाटी ने निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद भाटी का समर्थन किया. अरविंद ने NSUI के कैंडिडेट को हराकर जीत हासिल कर ली थी. उसे तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का समर्थन हासिल था. रविंद्र सिंह भाटी की इस सफलता से उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई. इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हुए. लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. लिहाजा उन्होंने निर्दलीय पर्चा भरा. शिव विधानसभा सीट पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में भाटी को फायदा मिला और वे लगभग तीन हज़ार वोटों से चुनाव जीत गए.

समर्थकों के बीच रवींद्र सिंह भाटी.
समर्थकों के बीच रविंद्र सिंह भाटी.

दिसंबर में विधानसभा चुनाव में अपनी सफलता से उत्साहित भाटी ने 4 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव के लिए बाड़मेर लोकसभा सीट से पर्चा भर दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, BJP ने उन्हें मनाने के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को भेजा था, लेकिन रविंद्र सिंह भाटी पर कोई असर नहीं हुआ.  

इसके बाद बीजेपी ने बाड़मेर सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया. अपने कैंडिडेट कैलाश चौधरी के चुनाव प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की फौज मैदान में उतार दी. पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम मोहन लाल शर्मा, पहलवान द ग्रेट खली, बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत समेत कई नेताओं ने कैलाश के समर्थन में प्रचार किया.

4 जून 2024 को आए नतीजों में रविंद्र सिंह भाटी दूसरे नंबर पर रहे और जीत कांग्रेस के कैंडिडेट उम्मेदा राम बेनीवाल की हुई. लेकिन बीजेपी के कैलाश चौधरी से 30 हज़ार वोट अधिक पाने वाले भाटी ने मनोवैज्ञानिक लड़ाई में बढ़त हासिल कर ली. तब से भाटी और बीजेपी के बीच जारी अदावत और तेज हो गई है.

राजस्थान की राजनीति पर नज़र रखने वाले एक पत्रकार कहते हैं भाटी का बाड़मेर और जैसलमेर के प्रदर्शन में शामिल होना एक रणनीति भी है. वे कहते हैं,

शिव विधानसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय होने से रविंद्र सिंह भाटी तीन हज़ार वोटों से जीत गए हैं लेकिन अगली बार के लिए वे कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. इसलिए वे पश्चिमी राजस्थान के इलाकों में जनसमर्थन जुटाने की लगातार कोशिश में लगे हैं.

अब ये देखना होगा कि 27 साल के रविंद्र सिंह भाटी और बीजेपी के बीच ये अदावत किस रूप में नया रंग लेती है. 

वीडियो: पुलिस से भिड़ना पड़ गया महंगा, रविंद्र सिंह भाटी पर SHO ने दर्ज कराया केस

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement