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जब एक मां ने भरी अदालत में लिया अपनी बेटी की मौत का बदला; जज, पुलिस, वकील, सब देखते रह गए

मैरीएन की कहानी इतनी फेमस हुई कि उस पर एक नाटक, तीन फ़िल्में, और तीन डाक्यूमेंट्री बनाई गई, क्या है आखिर इस कहानी में? क्यों एक मां ने बदले के लिए सारी सीमाएं पार कर दीं?

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marianne bachmeier shot criminal named grabowski in court
मैरीएन बाकमायर की कहानी दुनियाभर में फेमस है (दाएं-सांकेतिक फोटो, बाएं-मैरीएन बाकमायर)
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30 मार्च 2024 (Updated: 6 अप्रैल 2024, 08:41 IST)
Updated: 6 अप्रैल 2024 08:41 IST
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काला कोट पहने एक महिला अदालत के अंदर दाखिल होती है. और चुपचाप एक जगह जाकर खड़ी हो जाती है. अंदर एक मर्डर केस की सुनवाई शुरू होने वाली थी. मुलजिम कठघरे में खड़ा था. जज साहब अपनी कुर्सी पर बैठे थे. और वकील तैयारियों में लगे थे. तभी अचानक भरी अदालत में एक गोली की आवाज आती है. गोली सीधे जाकर मुलजिम को लगी थी और वो वहीं गिर पड़ा था. लोगों की नजर पीछे घूमी. पिस्तौल काले कोट वाली महिला के हाथ में थी. गोली चलाने के बाद उसने अपना हाथ नीचे किया और चुपचाप खड़ी हो गई. पुलिस पकड़ने आई तो उसने कोई विरोध भी नहीं किया. उसके चेहरे पर एक अजीब शांति थी. मानो अदालत की प्रक्रिया पूरी हो गयी हो. ‘मुजरिम’ के साथ न्याय हो गया हो.

एक कातिल जिसे पूरा देश हीरो मानता रहा

कहानी की शुरुआत होती है एक नाम से -मैरीएन बाकमायर. वेस्ट जर्मनी में रहने वाली मैरीएन की जिंदगी मुश्किलों में गुज़री थी. गरीबी में बचपन गुजरा. बाप मारता-पीटता था. 16 साल की उम्र में प्रेग्नेंट हो गई. दो बच्चे हुए. देखभाल करने के लिए न पैसा था, न उम्र. सो बच्चों को उसने एडॉप्शन के लिए दे दिया. फिर 19 साल की उम्र में उसकी मुलाक़ात एक लड़के से हुई. लड़का पब का मैनेजर था. मैरीएन भी वहीं काम करती थी. दोनों ने शादी कर ली. कुछ साल बाद दोनों की एक बेटी हुई. जिसका नाम उन्होंने रखा - एना. दो बच्चों को छोड़ चुकी मैरीएन के लिए एना उसका सबकुछ थी. पति से तलाक होने के बाद उसने उसे अकेले पाला. खुद काम करती रही. इसके कुछ नुकसान भी थे. 

मैरीएन बाकमायर

एना कई बार घर पर अकेले रहती. कई बार मैरीएन को रात को काम करना पड़ता. इसलिए दिन में वो अपनी नींद पूरी करती. और एना को दिन अकेले गुजारना पड़ता. हालात ऐसे थे कि सात साल कि उम्र में एना अपनी उम्र से कहीं ज्यादा समझदार हो गई थी. उसे नाचना गाना पसंद था. दिन में खेलने के लिए वो अपने पड़ोस के घरों में जाती थी. और वहां रहने वाले कुत्ते बिल्लियों के साथ अपना वक्त गुजारती थी. मैरीएन और एना की जिंदगी साधारण थी. पैसा बहुत नहीं था. लेकिन सब कुछ ठीक था. नॉर्मल. इस नॉर्मल जिंदगी में फिर एक रोज़ एक भूचाल आया.

साल 1980. 7 मई की तारीख. सात साल की एना स्कूल से घर आई. उस सुबह घर से निकलते हुए उसकी अपनी मां से किसी बात पर लड़ाई हो गयी थी. और एना अभी तक उस बात को लेकर दुखी थी. घर पहुंचकर उसने फ्रिज से खाना निकाला, और उसे गर्म करके खाने लगी. मैरीएन के घर आने में अभी वक्त था. अक्सर ऐसे में एना खेलने के लिए पड़ोस में चली जाती थी. उस रोज़ भी ऐसा ही हुआ. वो घर से निकली. लेकिन फिर कभी वापिस नहीं लौट पाई. शाम को जब उसकी मां घर लौटीं, उसने पाया कि एना घर में नहीं है. उसने आसपास पूछा लेकिन एना कहीं नहीं थी. देर रात तक भी जब एना घर नहीं लौटी, उसकी मां सीधे पुलिस स्टेशन गई. और उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी. पुलिस ने एना को ढूंढने की काफी कोशिश की. लेकिन उसका कहीं पता न चला. फिर एक रोज़ एक शख्स पुलिस के पास आया. उसने कहा कि उसे एना के बारे में कुछ जानकारी देनी है. इस मामले में उसे एना के पड़ोस में रहने वाले एक शख्स पर शक था. जिसका नाम था क्लॉस ग्रैबोस्की.

अपराधी बचने के लिए नपुंसक बन गया

ग्रैबोस्की का नाम पहले से अपराध से जुड़ा था. यौन अपराध के मामले में वो सजा काट चुका था. इस मामले में राहत पाने के लिए उसने खुद अपनी मर्जी से एक मेडिकल प्रोसीजर के जरिए खुद को नपुंसक बना लिया था. और अब वो एक आम जिंदगी जी रहा था. फिर भी शक के आधार पर पुलिस उससे पूछताछ करने पहुंची. थोड़ी सख्ती दिखाने पर उसने पूरी कहानी बता दी.

हुआ यूं कि उस रोज़ जब एना अपने घर से निकली, रास्ते में उसकी मुलाक़ात ग्रैबोस्की से हुई. ग्रैबोस्की पड़ोस में ही रहता था. एना उसे जानती थी. इसलिए ग्रैबोस्की के कहने पर वो उसके साथ उसके घर चली गई. इसके बाद उसने एना का यौन शोषण किया और अंत में उसकी हत्या कर डाली. उसने एना के शव को एक कार्डबोर्ड के बक्से में डालकर पास की नहर में फेंक दिया. ग्रैबोस्की ने अपराध कबूल कर लिया. हालांकि जब अदालत में उसके खिलाफ मामले की शुरुआत हुई. उसने एक नई कहानी बता दी. उसने कहा कि उल्टा एना उससे पैसे मांग रही थी. और उसे ब्लैकमेल करने की धमकी दे रही थी. लिहाजा गुस्से में आकर उसने एना की हत्या कर डाली.

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केस एक बच्ची की हत्या से जुड़ा था. इसलिए ये मामला मीडिया में उठा. लगभग पूरे देश में सब लोगों को इस केस की खबर थी. लोग गुस्सा थे. खासकर इस बात से कि ग्रैबोस्की एना पर ही इल्जाम डाल रहा था. ग्रैबोस्की का केस लम्बा चला. रोज अदालत की कार्रवाई होती. और इस दौरान एक शख्स वहां हमेशा मौजूद रहता. एना की मां, मैरीएन. जो अपनी बेटी की मौत से दुखी थी. ऊपर से उसे सुनना पड़ रहा था कि ये उसकी बेटी की गलती से हुआ था. ग्रैबोस्की ने सिर्फ इतना ही नहीं कहा. उसने एक नया खुलासा भी किया. 

उसके वकील ने दावा किया कि नपुंसक बनने के प्रोसीजर के चलते उसका हारमोन संतुलन बिगड़ गया है. इसी के चलते उसे गुस्से के भयंकर दौरे पड़ते थे. मैरीएन के लिए सबसे दुःख की बात ये थी कि जज पर इस अपील का असर भी पड़ रहा था. अखबारों के अनुसार संभव था कि एक बार फिर ग्रैबोस्की छूट जाए. इन ख़बरों ने मैरीएन को बेचैन कर दिया था. वो अपनी बच्ची की मौत का बदला लेना चाहती थी. और जब उसे अहसास हुआ कि हो सकता है उसकी बेटी को न्याय न मिले. उसने मामला अपने हाथ में लेने की ठान ली.

प्रतीकात्मक-तस्वीर
6 मार्च, 1981 की तारीख.

अदालत में केस की सुनवाई चल रही थी. मैरीएन उस रोज़ अदालत में पीछे खड़ी थी. कोर्ट में लंच के ब्रेक के बाद जब सुनवाई दोबारा शुरू होने जा रही थी. मैरीएन ने अपने पर्स से एक दशमलव 22 कैलिबर की बेरेटा पिस्टल निकाली और ग्रैबोस्की को गोली मार दी. मैरीएन के मन में गुस्सा इस कदर था कि वो एक गोली पर नहीं रुकी. उसने आठ की आठ गोलियां ग्रैबोस्की के सीने में उतार दीं. ताकि उसके बचने की कोई संभावना न रहे. ग्रैबोस्की की मौके पर ही मौत हो गई और मैरीएन को गिरफ्तार कर लिया गया. मौका ए वारदात पर मौजूद गवाहों के अनुसार हत्या के बाद उसने ग्रैबोस्की के शव की ओर नफरत भरी नजरों से देखा. और बोली, "सुअर तू यही डिजर्व करता था". इसके बाद उसने जज की ओर मुखातिब होकर जोर से कहा, 'मैं उसे मारना चाहती थी'.

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मैरीएन ने अपनी बेटी की मौत का बदला लिया था. लेकिन क़ानून की नज़र में वो मुजरिम थी. इसलिए उस पर केस चला. हालांकि इस दौरान सवाल मैरिएन से ज्यादा उस व्यवस्था पर उठा जिसने ग्रैबोस्की को छोड़ दिया था. दरअसल ग्रैबोस्की के मामले में बाद में कुछ बातें सामने आई थीं. पता चला कि उसने नपुंसक होने का फैसला इसलिए लिया था. क्योंकि नपुंसक होने के चलते बार-बार यौन शोषण करने के बावजूद उसकी सजा कम हो जाती थी.  

दूसरी तरफ मैरीएन लोगों के लिए हीरो बन चुकी थी. पब्लिक में उसके प्रति सहानुभूति थी. अदालत में जब उसका केस चला लोग कोर्ट के बाहर खड़े होकर नारे लगाने लगे, "मैरीएन हम तुम्हें समझते हैं".

फिर मां के साथ क्या हुआ?

मैरीएन के पक्ष में 15 हजार लोगों ने खत लिखा कि उसे रिहा कर दिया जाए. अदालत हालांकि ऐसा नहीं कर सकती थी. मैरीएन को सजा मिली. लेकिन कुछ रियायत भी दी गई. उसे मात्र 6 साल जेल की सजा हुई. और सिर्फ 3 साल सजा काटने के बाद उसे रिहा कर दिया गया. मैरीएन इसके बाद देश छोड़कर बाहर चली गई. उसने एक और शादी की लेकिन उसकी जिंदगी कभी पहले जैसी नहीं हो पाई. साल 1996 में उसकी कैंसर से मौत हो गई. मौत के बाद उसे बेटी एना के बगल में ही दफना दिया गया.

 

आगे चलकर मैरीएन की कहानी इतनी फेमस हुई कि उस पर एक नाटक, तीन फ़िल्में और तीन डाक्यूमेंट्री बनाई गईं. इनमें से एक फिल्म का नाम था- नो टाइम फॉर टियर्स, : द बाकमायर केस. फिल्म का वो सीन जिसमें मैरीएन ग्रैबोस्की को गोली मारती है, उसकी रील्स और शॉर्ट्स इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हैं. इसीलिए हमने सोचा क्यों न आपको पूरी कहानी बताई जाए. 

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