विवाद जस्टिस कर्णन का पीछा क्यों नही छोड़ते? अब नए मामले में घिर गए हैं
अभद्र टिप्पणियों के विडियो वायरल होने के बाद वकीलों ने मद्रास हाई कोर्ट में मुकदमा कर दिया है

'हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है………'
फिल्म का नाम है कसौटी और सिंगर हैं किशोर कुमार.
लेकिन इस गाने की उपरोक्त लाइनें हाई कोर्ट के जज रहे सी एस कर्णन अक्सर गुनगुनाते होंगे. फर्क सिर्फ इतना है कि वे जब कभी भी जुबान खोलते हैं, कोई न कोई विवाद खड़ा कर देते हैं. अपनी इन हरकतों की वजह से वे एक बार जज रहते हुए भी जेल की सजा काट चुके हैं. फिर भी नहीं मानते. अब एक बार फिर वे विवादों में फंस गए हैं और इस बार उनके साथ-साथ तमिलनाडु के पुलिस महानिरीक्षक (D.G.P.) और चेन्नई के पुलिस कमिश्नर को भी परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है. एस कर्णन गिरफ्तार भी कर लिए गए हैं.
आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
पिछले महीने मद्रास हाई कोर्ट में तमिलनाडु बार काउंसिल की ओर से एक याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में मद्रास और कोलकाता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज सी एस कर्णन के खिलाफ जजों की पत्नियों, महिला वकीलों और अदालत की महिला स्टाफ को बलात्कार की धमकियां देने और यौन टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया था. याचिका में कहा गया है कि वायरल वीडियो में दिया गया जस्टिस कर्णन का कथित बयान एक महिला को अपमानित करने के बराबर हैं. इसलिए इस विडियो को उनपर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत के तौर पर लिया जाए. बार काउंसिल ने यह भी शिकायत की है कि जुडिशियल सिस्टम के लिए सी एस कर्णन एक खतरा बन गए हैं. वे लगातार न्यायपालिका और उसके कामकाज के खिलाफ अनैतिक और अनर्गल टिप्पणियां कर रहे हैं. गौरतलब है कि कर्णन के द्वारा महिलाओं के विरूद्ध अभद्र टिप्पणियों से जुड़े 33 कथित विडियो वायरल हुए हैं.

जस्टिस सी एस कर्णन महिलाओं के खिलाफ कथित अभद्र टिप्पणियों के कारण एक बार फिर सुर्खियों में हैं.
19 नवंबर को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एम सत्यनारायणन और जस्टिस आर हेमलता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जस्टिस कर्णन (जो एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर रह चुके हैं) इस स्तर पर पहुंच गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व और वर्तमान जजों और उनके परिवार के सदस्यों, विशेषकर महिलाओं के खिलाफ बार-बार निंदनीय, अश्लील, अपमानजनक और असंवेदनशील टिप्पणियां कर रहे हैं.'
इसके बाद कल यानी 30 नवंबर को इन्हीं दो जजों की बेंच ने तमिलनाडु के डीजीपी और चेन्नई के पुलिस कमिश्नर को 7 नवंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है.
दरअसल इस साल की शुरूआत में मद्रास हाई कोर्ट की एकल बेंच ने तमिलनाडु पुलिस को आदेश दिया था कि सोशल मीडिया पर गाली-गलौज और अभद्र टिप्पणियों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई के लिए तमिलनाडु पुलिस 2 महीने के भीतर एक स्पेशल सेल का गठन करे. लेकिन अबतक स्पेशल सेल का गठन नही हुआ. इसी बीच रिटायर्ड जस्टिस कर्णन की महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों वाला कथित विडियो वायरल हो गया. जिस वजह से दोनों जजों (जो कर्णन मामले की सुनवाई कर रहे हैं) ने तमिलनाडु पुलिस के दोनों बड़े अधिकारियों को कोर्ट में हाजिर होने को कहा है. न्यायालय का स्पष्ट मानना है कि यदि एकल बेंच के आदेश के अनुसार स्पेशल सेल का गठन हो गया होता तो यह विडियो वायरल नहीं होता और इस वजह से उन महिलाओं (जिनपर कर्णन ने अभद्र टिप्पणियां की हैं) के सम्मान को ठेस नही पहुँचती.

मद्रास हाईकोर्ट जहां कर्णन से जुड़े वायरल विडियो विवाद की सुनवाई चल रही है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि सी एस कर्णन कोई पहली बार विवादों में फ़ंसे हैं. उनका और विवादों का एक लंबा इतिहास रहा है. आइए नजर डालते हैं उनसे जुड़े कुछ विवादों पर.
पहला विवाद :
जस्टिस कर्णन के साथ विवादों की शुरूआत 2011 में ही हो गई थी जब उनकी बतौर स्थाई जज मद्रास हाई कोर्ट में नियुक्ति हुई थी. स्थायी जज बनने के कुछ ही दिन बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर अपने एक साथी जज पर जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए थे. इन आरोपों के लिए उन्होंने न तो न्यायालय में कोई कंप्लेन दर्ज नहीं कराई और न ही अपने मुख्य न्यायाधीश को इस बारे में सूचित किया था. वे सीधे प्रेस में चले गए थे. इसके बाद से लगातार कोई न कोई विवाद उनके साथ जुड़ता चला गया.
दूसरा विवाद :
साल था 2015. मद्रास हाई कोर्ट की एक बेंच जजों की नियुक्ति के मामले से जुड़े एक केस की सुनवाई कर रही थी. तभी जस्टिस कर्णन सुनवाई के बीच में ही कोर्ट पहुँच गए और खुद को इस मामले में पार्टी बनाए जाने की मांग रख दी. एक सीटिंग जज का खुद को पार्टी बनाए जाने की मांग को सुनकर सभी सकते में आ गए.
तीसरा विवाद :
2015 में ही जस्टिस कर्णन ने मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जातिगत भेदभाव (caste discrimination) के आरोप लगा दिए थे. इतना ही नहीं, इसी दरम्यान उन पर अपने साथी जजों के साथ दुर्व्यवहार करने उन्हें धमकाने के आरोप भी लगते रहे. तब उनके साथ काम करने वाले 21 जजों ने, जिनमें कुछ दलित भी थे, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष जस्टिस कर्णन के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी.
चौथा विवाद :
साल 2016 में जस्टिस कर्णन एक कदम और आगे बढ़ गए. इस बार उन्होंने अपने ही मुख्य न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए. इसके बाद हंगामा होना स्वाभाविक था. तब देश की न्यायपालिका के प्रधान यानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने कर्णन का ट्रांसफर मद्रास से कलकत्ता हाई कोर्ट में कर दिया. इसके बाद जस्टिस कर्णन ने एक अनोखा फैसला दे दिया. उन्होंने अपने ट्रांसफर के आदेश पर खुद ही स्टे ऑर्डर जारी कर दिया. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन के इस आदेश पर को पलट दिया तब कर्णन एक कदम और आगे बढ़ गए. इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उन जजों के खिलाफ भी जातिगत भेदभाव के आरोप लगा दिए जिन्होंने उनके फैसले (खुद के ट्रांसफर पर स्टे का फैसला) को पलटा था. इन सबके बाद जब चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने उनकी हरकतों को देखते हुए जब उन्हें समन भेजा तब जाकर उन्होंने अपने व्यवहार के लिए माफ़ी मांगी और कहा कि ‘हताशा के कारण वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे थे.’ माफी मांगने के साथ ही उन्होंने ट्रांसफर ऑर्डर को भी मान लिया और कोलकाता हाई कोर्ट आ गए. लेकिन यहां भी उनके साथ विवाद घटने की बजाए बढ़ते चले गए.

कोलकाता हाईकोर्ट जहां जज रहने के दौरान कर्णन की न्यायिक शक्तियां छीनी गई थी.
पांचवा विवाद :
जनवरी 2017 में जस्टिस कर्णन एक कदम और आगे बढ़ गए. इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 20 जजों पर भ्रष्टाचार का सनसनीखेज आरोप लगाया था और साथ ही इसकी लिखित शिकायत प्रधानमंत्री की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर हरकर में आए इस मामने का स्वतः संज्ञान लेते हुए कर्णन के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू की. जज ही कोर्ट की अवमानना करें - यह सुनने में कितना अजीब लगता है और इसी वजह से इस मामले पर 7 जजों की एक संविधान पीठ का गठन किया गया, जिसने जस्टिस कर्णन के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना से जुड़ी कार्रवाई शुरू की. साथ ही उनको न्यायिक कार्यों से अलग-थलग करने का आदेश भी जारी कर दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट बुलाए जाने पर 2 बार जस्टिस कर्णन कोर्ट में पेश नहीं हुए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च 2017 को उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कर्णन ने जजों पर लगाए गए आरोपों के लिए माफी मांगने से भी इनकार किया था.
इसके बाद अप्रैल 2017 में कर्णन ने एक और अजीबोगरीब आदेश जारी कर दिया. कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत 7 जजों को अपने बंगले की अदालत में पेश होने को कहा. जस्टिस कर्णन ने कहा, ‘सातों माननीय न्यायमूर्ति 28 अप्रैल 2017 को सुबह साढ़े ग्यारह बजे मेरे रोजडेल आवासीय अदालत में पेश होंगे और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के उल्लंघन को लेकर कितनी सजा हो, इसके बारे में अपनी राय रखेंगे।’ जस्टिस कर्णन का कहना था कि 7 जजों की बेंच ने बेवजह, जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उनका अपमान किया है.
लेकिन उनके इस आदेश का कोई मतलब नही था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश के तहत पहले ही उन्हें न्यायिक कार्यों (Judicial activities) से अलग-थलग कर दिया था.
इसके बाद मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने जस्टिस कर्णन को अदालत की अवमानना का दोषी पाया और 6 महीने की कैद की सजा सुना दी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के लिए भी एक आदेश जारी कर दिया कि 'कोई भी कर्णन के बयान को नहीं छापेगा.' सजा के बाद जस्टिस कर्णन अचानक लापता हो गए. तकरीबन एक महीने बाद उन्हें खोजकर निकाला गया और कोलकाता के प्रेसीडेंसी जेल भेज दिया गया. दिसंबर 2017 में अपनी सजा पूरी कर वे बाहर निकले.

2017 में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया था और छह महीने के कैद की सजा सुनाई थी.
कर्णन ने अपनी राजनीतिक पार्टी भी बनाई :
मई 2018 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई और उसका नाम रखा एंटी करप्शन डायनामिक पार्टी. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 2 सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की. एक सीट वाराणसी की (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ) और दूसरी चेन्नई सेन्ट्रल की लोकसभा सीट. लेकिन लड़े सिर्फ चेन्नई सेन्ट्रल से. और वहाँ भी उनकी जमानत जब्त हो गई. वे सातवें नंबर पर रहे और कुल 5763 वोट उन्हें मिले.
अभी-अभी खबर आ रही है कि वायरल विडियो में जस्टिस कर्णन को जजों, उनके परिवारवालों और कोर्ट स्टाफ को अपशब्द कहने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है.