JVM: वो पार्टी जो झारखंड में किंगमेकर बनते- बनते रह गई
पिछली बार छह विधायक बीजेपी सरकार से जा मिले थे.
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झारखंड के पहले सीएम रहे बाबूलाल मरांडी किंगमेकर बनते-बनते रह गए.
'जनता ही किंगमेकर होती है. जैसा भी जनादेश आएगा उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी. राजनीति में कोई अछूत नहीं होता है, ऐसे में नतीज़ों के आधार पर ही पार्टी अपनी रणनीति तय करेगी.'मरांडी ने ऐसा क्यों कहा? इसका जवाब हमें मिलेगा 2015 में. 2014 के चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा ने आठ सीटें जीती थीं. फरवरी, 2015 में पार्टी के छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. चुंकि, दल बदलने वाले विधायकों की संख्या दो-तिहाई से ज्यादा थी, ऐसे में वो सत्ता के करीब भी हो गए और उनकी विधायकी भी बनी रही. ऐसे में जानकारों का कहना है कि पिछली बार जो हुआ, उसे मरांडी दोहराना नहीं चाहेंगे. और जो दल सत्ता के करीब जाता दिखेगा, वह उसे अपना समर्थन दे देंगे. शुरुआती रुझान के बाद खबरें ये भी आईं कि बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से बातचीत शुरू कर दी है. अगर नतीजे ज़रा भी बीजेपी के पक्ष में झुकते नज़र आते तो माना जा रहा था कि आजसू और झाविमो किंगमेकर बनकर बीजेपी की नैय्या पार लगा सकते हैं. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद का गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर चुका है. राज्य में सत्ता परिवर्तन तय है. हेमंत सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे. दूसरी बार राज्य की सत्ता उनके हाथ में होगी. ऐसे में किंगमेकर बनने का सपना देख रही झाविमो के पास कोई विकल्प नहीं बचा है. फिर भी देखना होगा कि सदन में पार्टी के विधायक कौन सा पाला चुनते हैं. सरकार का या विपक्ष का.