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दुनियादारी: क्या इज़रायल-हमास जंग 2024 में खत्म होगी, भारत को कहां ध्यान देना होगा?

2023 का बरस अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है. अलविदा ना कह पाने की कसक को पीछे छोड़ दिया है. आज आपके सामने हम 2023 का अंतिम दुनियादारी पेश करने जा रहे हैं.

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दुनुयादारी एपिसोड 1005
29 दिसंबर 2023
Updated: 29 दिसंबर 2023 21:32 IST
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लाइफ़ ऑफ़ पाइ में इरफ़ान ख़ान के किरदार का एक चर्चित डायलॉग है,
 

“I suppose, in the end, the whole of life becomes an act of letting go. What hurts the most is not getting a moment to say GoodBye!”
 

हिंदी तर्ज़ुमा क्या है?
 

मुझे लगता है कि अंत में ज़िंदगी जाने देने का दूसरा नाम बन जाती है. सबसे ज़्यादा तक़लीफ़ तब होती है, जब हम अलविदा कहने भर का वक़्त भी नहीं निकाल पाते. 2023 का बरस अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है. अलविदा ना कह पाने की कसक को पीछे छोड़ दिया है. इस साल हमने क्या पाया और क्या खोया, उसका लेखा-जोखा हम पहले ही बता चुके हैं. आज आपके सामने 2023 का अंतिम दुनियादारी पेश करने जा रहे हैं. हमारी तरफ़ से आप सबको नए साल की बधाइयां. उम्मीद है, अच्छाइयां बरकरार रहेंगी और बुराइयों को पीछे छोड़ने में हम सफल होंगे.

आज के शो में हम जानेंगे,
- 2024 में दुनिया कैसी होने वाली है?
- 2024 हेवीवेट इलेक्शंस का साल क्यों है?
- और, दुनियाभर में चल रही जंग का क्या होगा?


चैप्टर वन: जियो-पॉलिटिक्स.

साल की शुरुआत एक दबदबे वाले गुट के विस्तार से होगी. 01 जनवरी को BRICS के मेंबर्स की संख्या 11 हो जाएगी. अभी इसमें 05 देश हैं - ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ़्रीका. नए मेंबर्स होंगे - ईजिप्ट, इथियोपिया, यूएई, सऊदी अरब, ईरान और अर्जेंटीना.

भारत पहले नए सदस्य देशों की एंट्री के ख़िलाफ़ था. लेकिन हाल के बरसों में उसने अपना रुख बदला. नए सदस्य चाहते हैं कि उन्हें आर्थिक विकास के लिए अमेरिका और पश्चिमी देश पर निर्भर न रहना पड़े. विस्तार के बाद ब्रिक्स के देशों की कुल जीडीपी पूरी दुनिया की जीडीपी के 30 फीसदी के पार हो जाएगी. कच्चे तेल के उत्पादन में ब्रिक्स का शेयर 43 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा. फिलहाल, ये आंकड़ा 21 के आसपास है. ब्रिक्स की बुनियाद के समय उम्मीद जताई गई थी कि ये विकसित देशों के गुट G7 को टक्कर दे सकता है. अगस्त 2023 में चीन ने ऐसी अपील भी की थी. मगर इसके सदस्य देशों की घरेलू  समस्याएं और आपसी असहमतियां हावी हैं. मसलन, भारत और चीन की आपस में नहीं बनती. चीन और रूस बाहर से एक-दूसरे को दोस्त बताते हैं. मगर उन्हें अपना वर्चस्व स्थापित करना है. नए सदस्यों की बात करें तो ईरान पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. उसपर लोकतंत्र का दमन करने के आरोप लगते हैं. अर्जेंटीना में महंगाई दर 200 प्रतिशत के पार पहुंचने वाली है. इथियोपिया सिविल वॉर से जूझ रहा है. सऊदी अरब और ईरान एक-दूसरे के बड़े प्रतिद्वंदी है. सऊदी अरब और यूएई के बीच भी तकरार चलती है. इन वजहों से ब्रिक्स की प्रासंगिकता पर सवाल उठते हैं. वे कैसे इससे पार पाते हैं, इससे संगठन का भविष्य तय होगा.

01 जनवरी से ही रिपब्लिक ऑफ़ नगोरनो-कराबाख की अलग पहचान खत्म हो जाएगी. अब से ये अज़रबैजान का हिस्सा होगा. नगोरनो-कराबाख ने 1991 में आज़ादी की घोषणा की थी. यहां पर आर्मेनिया के समर्थन से सरकार चलती थी. हालांकि, ये अज़रबैजान की सीमा के अंदर था. कई बार इसको लेकर लड़ाई भी हो चुकी थी. फिर अगस्त में अज़रबैजान ने सेना भेजकर इलाके पर कब्ज़ा कर लिया. नगोरनो-कराबाख की आधी से अधिक आबादी भागकर आर्मेनिया चली गई. जो बच गए हैं, उन्हें अज़रबैजान के कानून से चलना होगा.

जनवरी में ही एक और बड़ा बदलाव आने वाला है. इंडोनेशिया अपनी राजधानी बदल रहा है. सरकार ने नुसनतारा नाम का नया शहर बसाया है. 18 जनवरी 2024 को इसका उद्घाटन है. पूरा प्रोजेक्ट 05 चरणों 2045 तक तैयार होगा. पहले फ़ेज में सरकारी इमारतों और सरकारी अफ़सरों के लिए रिहाइश का इंतज़ाम है.

लेकिन जकार्ता में क्या दिक़्क़त है?

जकार्ता की आबादी 01 करोड़ के पार पहुंच चुकी है. जकार्ता को आज़ादी के बाद इंडोनेशिया की राजधानी बनाया गया. ये शहर समंदर के किनारे बसा है. साथ ही इसकी ज़मीन भी दलदली है. यहां 13 बड़ी नदियां मिलती हैं. क्लाइमेट चेंज की वजह से यहां हर साल भयानक बाढ़ आती है. उत्तरी जकार्ता हर साल औसतन 1-15 सेंटीमीटर डूब रहा है. स्टडीज़ में दावा किया गया है कि पूरा शहर 2050 तक पानी में डूब सकता है. फिर वहां रहना मुश्किल हो जाएगा.
शहर में जाम और प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है. कई बार मंत्रियों को मीटिंग्स में पहुंचे के लिए पुलिस का सहारा लेना पड़ता है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जकार्ता में ट्रैफ़िक जाम के चलते हर साल लगभग 550 करोड़ रुपये का नुकसान होता है.  इससे निपटने के लिए 2019 में राष्ट्रपति जोको विडोडो ने नया शहर बसाने का ऐलान किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नुसनतारा को बनाने में लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा. जकार्ता की घटना क्लाइमेट चेंज की गंभीरता भी बताती है. आने वाले बरसों में कई शहर और देश पूरी तरह पानी में डूब सकते हैं. टुवालू, किरीबाती, नाऊरू, मालदीव जैसे देशों ने भविष्य के लिए नई ज़मीनें तलाशनी शुरू कर दी है.

2024 में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का मुद्दा भी छाया रहेगा. आशंका है कि AI लाखों लोगों की नौकरियां छीन सकता है. इसकी कई खामियां भी गिनाई जा रहीं हैं. दुनियाभर में सरकारों के सामने AI को रेगुलेट करने की चुनौती रहेगी.
2023 में ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और यूरोपियन यूनियन (EU) नियम लेकर आए. EU ने कुछ मामलों में प्रतिबंध लगाने तक की बात कही है. वहीं चीन ने कहा है कि AI के अल्गोरिदम पर निगरानी होनी चाहिए. उसे यूंही बेलगाम नहीं छोड़ा जा सकता. उम्मीद है कि भारत और दूसरे देश अगले साल AI को कंट्रोल करने के लिए नियम ला सकते हैं.

चैप्टर टू: कॉन्फ़्लिक्ट्स


इज़रायल-हमास जंग:
07 अक्टूबर को शुरू हुई जंग में इज़रायल के 15 सौ से अधिक लोगों की जान गई है. इनमें से 1147 लोग हमास के हमले में मारे गए थे. 130 से अधिक लोग हमास के कब्ज़े में हैं. इज़रायल के हमले में मरने वाले फ़िलिस्तीनी नागरिकों की संख्या 21 हज़ार के पार पहुंच चुकी है. इनमें 08 हज़ार से अधिक बच्चे हैं. यूनाइटेड नेशंस (UN) की रिपोर्ट के मुताबिक, गाज़ा पट्टी की 40 फीसदी आबादी अकाल की कगार पर खड़ी है. UN सिक्योरिटी काउंसिल में संघर्षविराम के प्रस्तावों को कई बार खारिज किया जा चुका है. इज़रायल ने फिर से कहा है कि मकसद पूरा किए बगैर जंग नहीं रुकेगी.
यानी, 2024 में भी लड़ाई जारी रहेगी.

रूस-यूक्रेन जंग:
ये जंग भी चलती रहेगी. दिसंबर 2023 में पुतिन ने अपने इरादे साफ कर दिए थे. जब तक यूक्रेन उनकी शर्तें नहीं मानता, रूस पीछे नहीं हटेगा. शर्तें क्या हैं? क्रीमिया पर रूस की संप्रभुता को मान्यता, यूक्रेन का विसैन्यीकरण और यूक्रेन की तटस्थता.

वेनेज़ुएला-गुयाना विवाद.
गुयाना के एसेक़िबो प्रांत पर वेनेज़ुएला दावा पेश कर रहा है. उसने जनमत-संग्रह करवाकर कब्ज़े की तैयारी भी शुरू कर दी. फिर ब्रिटेन ने अपना युद्धपोत भेजा. अमेरिका ने भी चेतावनी दी. तब जाकर वेनेज़ुएला शांत हुआ. लेकिन उसने फिर से सैन्य अभ्यास चालू किया है. इसको उकसावे के तौर पर देखा जा रहा है. जानकार कहते हैं, 2024 की पहली जंग एसेक़िबो की वजह से शुरू हो सकती है.

सूडान.
वहां अप्रैल से रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सेस (RSF) और सूडानी सेना के बीच लड़ाई चल रही है. 10 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है. लाखों ने पलायन किया है. ये जंग सिविल वॉर में बदल गई है. हाल-फिलहाल में इसके थमने की कोई उम्मीद नहीं है.

 चैप्टर थ्री: हेवीवेट इलेक्शंस.

2024 में कम से कम 40 देशों में चुनाव होने वाले हैं. जानकार कहते हैं, ऐसा संयोग पहली बार बना है. ये चुनाव पूरी दुनिया की नियति तय करने वाले हैं.

कुछ बडे़ नाम जानते हैं,
अमेरिका - नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होगा. फिलहाल प्राइमरी इलेक्शन की तैयारियां चल रहीं हैं. इसमें फ़ाइनल इलेक्शन के उम्मीदवार तय होंगे. फिलहाल, डेमोक्रेटिक पार्टी से जो बाइडन का नाम सबसे आगे है. जबकि रिपब्लिकन पार्टी में डोनाल्ड ट्रंप की दावेदारी सबसे मज़बूत है. हालांकि, उन्हें लगातार झटके लग रहे हैं. कोलोराडो के बाद माएन स्टेट ने भी ट्रंप को अयोग्य घोषित कर दिया है. आरोप, उन्होंने जनवरी 2021 में कैपिटल हिल में दंगे के लिए लोगों को उकसाया.
ट्रंप कोलोराडो और माएन के प्राइमरी इलेक्शन में खड़े नहीं हो सकते.

रूस - मार्च में राष्ट्रपति चुनाव है. मौजूद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जीत तय मानी जा रही है. उनके मुख्य विरोधी अलेक्सी नवलनी जेल में हैं. बाकी कैंडिडेट्स में पुतिन को टक्कर देने का माद्दा नहीं है.

भारत - अप्रैल और मई में लोकसभा चुनाव की संभावना है. फिलहाल तारीख़ों का ऐलान नहीं हुआ है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. ग्लोबल साउथ का लीडर बनने का प्रबल दावेदार भी. इसलिए, इस चुनाव पर पूरी दुनिया की नज़र रहेगी.

पाकिस्तान - 08 फ़रवरी को नेशनल असेंबली का इलेक्शन होगा. पिछली बार जीतने वाले इमरान ख़ान फिलहाल जेल में हैं. उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ (PTI) पर मिलिटरी एस्टैबलिशमेंट का चाबुक पड़ा है. PTI के कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी है.
पिछले चुनाव के बाद देश छोड़कर भागने वाले नवाज़ शरीफ़ वापस लौट आए हैं. उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ है. उनके ऊपर फ़ौज का हाथ है. सारे संयोग उनकी जीत की तरफ़ इशारा कर रहे हैं. उलटफेर अपवाद होगा.

ब्रिटेन - दिसंबर 2024 में मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. 28 जनवरी 2025 तक नई सरकार बनाने की डेडलाइन है. इसलिए, 2024 में ही चुनाव कराया जा सकता है. इस चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी की जीत पर संशय है. ये पार्टी फिलहाल सरकार चला रही है. लेकिन अंदरुनी कलह और पोलिटिकल स्कैंडल्स ने उनकी पोजिशन कमज़ोर की है. पार्टी 03 प्रधानमंत्री बदल चुकी है. बोरिस जॉनसन, लिज़ ट्रस और फिर ऋषि सुनक. उनके बीच आपसी तालमेल की कमी है. जॉनसन को कोविड लॉकडाउन के बीच पार्टियां करने के चलते कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. इस घटना ने भी पार्टी की छवि ख़राब की है.

कंज़र्वेटिव पार्टी नहीं तो और कौन?

लेबर पार्टी 2010 से विपक्ष में है. लेकिन अबकी बार उनकी वापसी की संभावना है. रिसर्च फ़र्म इप्सोस की रिपोर्ट के मुताबिक, 54 प्रतिशत लोग लेबर पार्टी की सरकार के पक्ष में हैं. जबकि 62 फीसदी जनता लेबर पार्टी के लीडर कीर स्टार्मर को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहती है.

यूक्रेन - मौजूदा राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की का कार्यकाल 20 मई को खत्म हो रहा है. 31 मार्च तक चुनाव होना है. लेकिन जंग की वजह से मुल्क में मार्शल लॉ लगा है. इसलिए, चुनाव की गुंजाइश नज़र नहीं आ रही है.

साउथ अफ़्रीका - मई 2024 में चुनाव की उम्मीद है. साउथ अफ़्रीका में पहला लोकतांत्रिक चुनाव 1994 में हुआ था. तब अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) ने चुनाव जीता था. पार्टी के नेता नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति बने थे. तब से हर बार ANC ही जीतती आ रही है. लेकिन इस दफा उनका सपोर्ट सिस्टम हिला है. न्यूज़ एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट के मुताबिक, ANC का समर्थन पहली बार 50 प्रतिशत के नीचे गया है. मुख्य विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक अलायंस झटका दे सकती है.
साउथ अफ़्रीका ऊर्जा संकट, भ्रष्टाचार और बढ़ते अपराध जैसे मसलों से जूझ रहा है. इस चुनाव में ये मुद्दे छाए रहेंगे.

बांग्लादेश - 07 जनवरी को आम चुनाव है. मौजूदा प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की आवामी लीग की जीत तय मानी जा रही है. वो 2009 से सरकार चला रहीं हैं. उनपर विपक्ष को दबाने और फ़्री प्रेस पर ताला लगाने के इल्ज़ाम लगते हैं.

ताइवान में 13 जनवरी को राष्ट्रपति का चुनाव है. ये चुनाव चीन के साथ चल रहे विवाद का भविष्य तय करेगा. (इसके बारे में हमने दुनियादारी में विस्तार से बताया है. लिंक डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा.)

 और कहां-कहां चुनाव हैं?

- इंडोनेशिया में राष्ट्रपति चुनाव - 14 फ़रवरी को.
- श्रीलंका में राष्ट्रपति और संसद का चुनाव - अभी तारीख़ नहीं आई है.
- साउथ कोरिया में संसदीय चुनाव - 10 अप्रैल को.
- अज़रबैजान में राष्ट्रपति चुनाव - 07 फ़रवरी को.
- घाना में राष्ट्रपति और संसद का चुनाव - 07 दिसंबर को.
- अल्जीरिया में राष्ट्पति चुनाव - तारीख़ तय नहीं है.
- वेनेज़ुएला में राष्ट्रपति चुनाव - दिसंबर में उम्मीद है.
- मेक्सिको में राष्ट्रपति चुनाव - 02 जून को.
- रोमेनिया में राष्ट्रपति चुनाव - नवंबर या दिसंबर में.

ये तो हुई बड़े चुनावों की लिस्ट. इसके अलावा भी कई देशों में नई सरकार देखने को मिल सकती है.

 चैप्टर फ़ोर: गेम्स

खेलों की दुनिया में सबसे बड़ा आयोजन ओलंपिक्स इस बार पैरिस में होगा. 26 जुलाई से 11 अगस्त के बीच. उसके बाद 28 अगस्त से 08 सितंबर तक पैरालंपिक्स का आयोजन भी तय है. क्रिकेट की बात करें तो ICC मेन्स टी20 वर्ल्ड कप इस बार जून में खेला जाएगा. मेज़बानी वेस्ट इंडीज़ और अमेरिका मिलकर करेंगे. इस टूर्नामेंट में 20 टीमें हिस्सा लेंगी. वीमेंस टी20 वर्ल्ड कप अक्टूबर में बांग्लादेश में खेला जाएगा. इसमें 10 टीमें भाग लेंगी.

नए साल से आपको क्या उम्मीदें हैं, हमें कॉमेंट बॉक्स में बताना ना भूलें.
आज के दुनियादारी में इतना ही. अब नए साल में मुलाक़ात होगी. तब तक के लिए विदा लेती हूं. शुक्रिया. शुभ रात्रि.

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