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क्या BMC चुनाव के बाद BJP एकनाथ शिंदे को इस नेता से रिप्लेस करने वाली है?

Sanjay Raut ने कहा कि उदय सामंत को बीजेपी एकनाथ शिंदे के रिप्लेसमेंट के तौर पर तैयार कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना के भीतर एक नए नेता का 'उदय' हो रहा है. क्या चल रहा है महाराष्ट्र की राजनीति में और इन आरोपों में कितना दम है?

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Eknath Shinde
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ अजित पवार और एकनाथ शिंदे.
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सौरभ
24 जनवरी 2025 (Updated: 25 जनवरी 2025, 05:07 PM IST)
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दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी की खूब चर्चा रही. पर उनसे ज्यादा सुर्खियां बनीं उनके साथ मौजूद मंत्री उदय सामंत की. उद्योग मंत्री सामंत एकनाथ शिंदे की शिवसेना से आते हैं. और फडणवीस के साथ दावोस में उन्होंने शिरकत की. इस जुगलबंदी पर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि उदय सामंत के बहाने बीजेपी शिंदे की शिवसेना को तोड़ना चाहती है. शिवसेना (UBT) और कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी एकनाथ शिंदे को किनारे लगाना चाहती है. राजनीति में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप चलते रहते हैं. लेकिन क्या इन आरोपों में कुछ दम भी है? और बीजेपी और शिवसेना की जो कहानियां बताई जा रही हैं, उनमें असल में दम कितना है?

शिंदे की शिवसेना में नए नेता का 'उदय'!

20 जनवरी को शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि उदय सामंत को बीजेपी एकनाथ शिंदे के रिप्लेसमेंट के तौर पर तैयार कर रही है. उन्होंने कहा-

वह (सावंत) मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ दावोस गए हैं. (महायुति) गठबंधन में गार्डियन मिनिस्टर पद को लेकर मतभेद हैं. पार्टियों के बीच नियुक्तियों को लेकर समस्याएं हैं. अगर शिंदे अपने मंत्रियों को नियंत्रित नहीं कर सकते, तो वे नेतृत्व कैसे कर सकते हैं?

ये दावा महायुति के सिर्फ एक विरोधी की तरफ से नहीं किया गया. कांग्रेस ने भी उदय सामंत को लेकर कुछ ऐसी ही बयानबाजी की. कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा,

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के भीतर एक नए नेता का 'उदय' हो रहा है.

दरअसल, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस का कहना है कि शिंदे गुट की शिवसेना में तोड़फोड़ होने वाली है. और इसके पीछे कोई और नहीं बल्कि खुद बीजेपी ही है. दावा ये भी किया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे को किनारे लगाने की तैयारी की जा रही है, इसलिए पार्टी से दूसरे नेता के तौर पर उदय सामंत को तैयार किया जा रहा है. इन आरोपों के पीछे की कहानी समझने के लिए हमें 2022 में लौटना होना जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत करते हुए शिवसेना तोड़ दी थी.

शिंदे शिवसेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनके खेमे में हमेशा से गुट थे. एक गुट वो जिसमें उद्धव ठाकरे से नाराज़ विधायक थे जो शिंदे के प्रति वफादार भी थे. इन विधायकों की संख्या 20 से कम बताई जाती है. दूसरा गुट वो जो कथित तौर पर ED-CBI के डर और बीजेपी के कहने पर आया था. लल्लनटॉप से बात करते हुए संजय राउत ने भी इस बात को स्वीकारा. उन्होंने कहा-

सिर्फ 17-18 विधायक ऐसे थे जो शिंदे के साथ गए थे. बाकी बाद में जो गए वो सब बीजेपी के कहने पर गए.

सूत्र बताते हैं कि शिवसेना के करीब 15 विधायक ऐसे थे जिन्होंने फडणवीस के कहने पर उद्धव ठाकरे से बगावत की. इनमें उदय सामंत भी शामिल थे.

Maharashtra crisis: Still with Shiv Sena but fed up with conspiracies, says rebel MLA Uday Samant
उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ गुवाहाटी पहुंचे उदय सामंत का स्वागत करते एकनाथ शिंदे. (India Today)

इसके अलावा 23 नंवबर 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही ये तय हो गया था कि इस बार मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा. 28 नवंबर की रात देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने दिल्ली में अमित शाह के साथ उनके घर पर मुलाकात की. सूत्र बताते हैं कि अमित शाह ने शिंदे को इसी बैठक में साफ कर दिया था कि इस बार वो मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे. इसके बाद 29 नवंबर को ये खबर आई कि शिंदे नाराज़ होकर अपने गांव सतारा चले गए हैं. हालांकि, शिंदे की तरफ से आधिकारिक तौर पर कहा गया कि उनकी तबीयत खराब है.

Devendra Fadnavis, Amit Shah and Eknath Shinde.
अमित शाह के आवास पर बैठक के दौरान की तस्वीर. (India Today)

5 दिसंबर को देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. मगर 4 दिसबंर को इस बात पर सस्पेंस बना हुआ था कि शिंदे शपथ ग्रहण में शामिल भी होंगे या नहीं. इस दौरान जब ये खबरें चल रही थीं कि एकनाथ शिंदे नाराज़ हैं, तब बीजेपी और शिंदे के बीच की कड़ी उदय सामंत ही थे. सामंत ने खुद मीडिया के सामने आकर इन बातों को नकारा था कि शिंदे परेशान हैं और उन्होंने उनकी खराब तबीयत का हवाला दिया था.

सूत्र बताते हैं कि जिस दौरान शिंदे नाराज़ थे और इस बात पर संशय बना हुआ था कि वह शपथ ग्रहण में शामिल होंगे भी या नहीं, तब बीजेपी ने प्लान बी तैयार कर लिया था. प्लान के मुताबिक वो विधायक जो बीजेपी के कहने पर शिंदे गुट में शामिल हुए थे, वो बिना एकनाथ शिंदे भी शपथ ग्रहण में शामिल हो जाते.

विपक्ष का कहना है कि अब बीजेपी ने इसी दूसरे गुट को एक्टिव कर लिया है, जिसका नेतृत्व उदय सामंत के हाथ में है. हालांकि, उदय सामंत ने इन आरोपों पर जवाब देते हुए एक वीडियो जारी किया और कहा है कि अगले तीन महीनों में कई शिवसेना (UBT) और कांग्रेस के विधायक और सांसद शिंदे गुट में शामिल होंगे. उन्होंने कहा,

तीन सांसद और पांच विधायक शिंदे जी से मिले हैं और जल्द ही शिवसेना में शामिल होंगे. इसके अलावा, पूर्व विधायकों और अन्य दलों के पदाधिकारियों ने भी शिंदे जी से मुलाकात की है.

उदय सामंत अपने नेतृत्व में शिवसेना में तोड़फोड़ को भले नकार रहे हों, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वाले इस बात को नकारने को बिल्कुल तैयार नहीं है कि शिंदे को आज नहीं तो कल बीजेपी किनारे लगाएगी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े सुधीर सूर्यवंशी कहते हैं-

शिंदे को बैलेंस करने के लिए बीजेपी ऐसे कदम उठा सकती है. लेकिन ऐसा इतना जल्दी होगा, ये संभावना कम है. हालांकि, इस बात को बिल्कुल दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि शिंदे को साइडलाइन करने लिए उदय सामंत को बढ़ावा दिया जा रहा है.

सुधीर कहते हैं कि भले ही उदय सामंत वाली थ्योरी सही ना हो, लेकिन आने वाले समय में शिंदे का पत्ता जरूर कट सकता है. इन अटकलों को बल तब ज्यादा मिलता है जब सरकार बने दो महीने भी नहीं बीते और एकनाथ शिंदे की नाराज़गी की खबरें मीडिया में आने लगती हैं. दरअसल, महायुति में इन दिनों गार्जियन मिनिस्टर को लेकर तकरार चल रही है. रायगढ़ में एनसीपी और नासिक में बीजेपी के मंत्री को प्रभारी बनाया गया है. इन दो जिलों पर शिंदे की पार्टी की दावेदारी थी. जिलों के गार्जियन मिनिस्ट के बंटवारे से डिप्टी सीएम नाखुश हैं और वो रूठकर एक बार फिर सतारा चले गए.

खबर है कि महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और विधायक गिरीश महाजन को उन्हें मनाने सतारा जाना पड़ा. और शिंदे की नाराजगी के बाद सरकार ने इन दोनों जिलों में प्रभारी मंत्रियों के कार्यभार संभालने पर रोक लगा दी. संजय राउत इसी खटपट का हवाला देकर शिंदे को साइडलाइन करने का आरोप लगा रहे थे.

हालांकि, संजय राउत और वडेट्टीवार के दावों पर फिलहाल विश्वास करना जल्दबाजी हो सकती है. लंबे समय से शिवसेना कवर कर रहे और आजतक से जुड़े रित्विक भालेकर कहते हैं-

कुछ ही महीनों बाद BMC चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी कितना भी दावे करे लेकिन फिलहाल उसे शिंदे की जरूरत है. इस वक्त शिंदे को किनारे लगाने के कयास गलत ही साबित होंगे. हालांकि, भविष्य में इसकी संभावना को नकारा नहीं जा सकता.

कौन हैं उदय सामंत?

सामंत का राजनीतिक करियर जितनी तेजी से आगे बढ़ा, उन्होंने पाले भी उतनी ही तेज़ी से बदले. सामंत पिछले 20 साल से विधायक हैं. पार्टी भले ही बदली हो लेकिन चुनाव नहीं हारे. 2004 में उदय सामंत ने एनसीपी से अपना पहला चुनाव रत्नागिरी से जीता. 2009 में फिर से चुनाव जीते और मंत्री बन गए. 2014 में उन्होंने NCP छोड़कर शिवसेना का दामन थाम लिया. 2014 के चुनाव में जीत के बाद उन्हें महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी का जिम्मा दिया गया. 2019 में सामंत ने चौथी बार रत्नागिरी से जीत दर्ज की और उद्धव ठाकरे सरकार में उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री बने. जब शिंदे ने बगावत की, तो सामंत उनके हो लिए.

सामंत को 2022 में शिंदे गुट का प्रवक्ता बनाया गया. शिंदे की सरकार में उन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया. 2024 में मुख्यमंत्री बदले गए, लेकिन सामंत का मंत्रालय वही रहा. हालांकि उद्योग मंत्री रहते हुए वे विवादों में भी रहे. महाराष्ट्र से वेदांता-फॉक्सकॉन, टाटा-एयरबस जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स हाथ से जाने पर सामंत को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.

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दावोस में CM देवेंद्र फडणवीस के साथ उदय सामंत. (X/@samant_uday)

फिलहाल सामंत दावोस में देवेंद्र फडणवीस के साथ मौजूदगी को लेकर चर्चा में आए और इस बात को लेकर भी कि फडणवीस उन्हें जानबूझकर आगे बढ़ा रहे हैं. इंडिया टु़डे मैग्जीन के सीनियर असोसिएट एडिटर धवल कुलकर्णी कहते हैं,

इस बात की संभावना कम है कि बीजेपी उदय सामंत को आगे बढ़ाएगी. क्योंकि सामंत जिस कास्ट से ताल्लुक रखते हैं उसकी जनसंख्या प्रभावी नहीं है. साथ ही सामंत शिंदे के काफी करीबी भी हैं. लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि सामंत महत्वाकांक्षी हैं. और एक समय इसी तरफ एकनाथ शिंदे भी उद्धव ठाकरे के लिए वफादार हुआ करते थे.

हालांकि, इस पूरे राजनीतिक विमर्श में बीजेपी खुद को दूर रखती नज़र आती है. बीजेपी ने इन सभी कयासों को खारिज किया है. लल्लनटॉप से बात करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला कहते हैं कि बीजेपी किसी की पार्टी नहीं तोड़ती, जोड़तोड़ की राजनीति शिवसेना (UBT) और कांग्रेस करती है.
 

वीडियो: नेतानगरी: किस बात पर मान गए एकनाथ शिंदे, प्रियंका गांधी ने अमित शाह से मुलाकात क्यों की?

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