भारत बना रहा है 5 हाइपरसोनिक मिसाइलें, पांचवीं की भनक से ही सुपरपावर्स की नींद उड़ गई है!
भारत एक नहीं, पांच हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित कर रहा है. जिनमें से पांचवीं इतनी गोपनीय है कि अमेरिका और चीन तक बेचैन हैं. जानिए DRDO के हाइपरसोनिक प्रोजेक्ट्स, तकनीक, गति, परीक्षण और भविष्य की रणनीति के बारे में पूरी जानकारी.

एक ऐसा दौर चल रहा है जहां वक्त का मोल रफ्तार से तौला जा रहा है. जहां सैन्य ताकत सिर्फ परमाणु बम या टैंक नहीं, बल्कि वो हथियार हैं जो ध्वनि की गति से 5 गुना तेज़ दौड़ते हैं. और अब भारत ने भी इस दौड़ में अपनी एंट्री धमाकेदार अंदाज़ में ले ली है. अमेरिका, रूस और चीन जैसे सुपरपावर्स की कतार में अब भारत भी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के दम पर खड़ा हो गया है. लेकिन ये सिर्फ तकनीक नहीं, ये है रणनीति, आत्मनिर्भरता और आने वाले युद्धों की दिशा को बदल देने वाली क्रांति.
HSTDV: भारत की पहली हाइपरसोनिक छलांगHypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) भारत का पहला और बेहद महत्वाकांक्षी प्रयास है Scramjet तकनीक को मास्टर करने का. इसे DRDO ने विकसित किया है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये हवा से ऑक्सीजन खींचकर उड़ता है – यानी ईंधन कम, स्पीड ज़्यादा. 2020 में इसने अपनी पहली सफल उड़ान भरी, जिसमें यह Mach 6 (यानी ध्वनि से छह गुना तेज़) रफ्तार से 20 सेकंड तक उड़ता रहा. अब इस तकनीक को हथियारों में बदलने का काम शुरू हो चुका है, और उम्मीद है कि 2026 तक भारत के पास अपनी पहली ऑपरेशनल हाइपरसोनिक मिसाइल होगी.

अगर सुपरसोनिक दौर में ब्रह्मोस ने भारत का नाम चमकाया था, तो अब उसकी हाइपरसोनिक अवतार, ब्रह्मोस-II, और भी ज़्यादा खतरनाक बनने जा रही है. इस मिसाइल की गति Mach 7 तक पहुंचाने का लक्ष्य है और यह ज़मीन, समुद्र और वायु – तीनों प्लेटफॉर्म्स से लॉन्च की जा सकेगी. यह परियोजना DRDO और रूस की NPOM के साथ मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की जा रही है. तकनीकी चुनौतियां ज़रूर हैं, लेकिन काम तेजी से हो रहा है और 2026 तक इसकी पहली टेस्ट उड़ान संभव मानी जा रही है.
SFDR: अगली पीढ़ी की एयर-टू-एयर मिसाइलेंSolid Fuel Ducted Ramjet (SFDR) प्रोजेक्ट भारत के वायुशक्ति को नई धार देने वाला है. ये तकनीक ठोस ईंधन पर आधारित है, जिससे ये लॉजिस्टिकली आसान और मिशन-क्लियर होती है. इसकी गति Mach 4.5 से Mach 6 के बीच होती है, और इसे भविष्य की लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों – जैसे Astra Mk3 – में लगाया जाएगा. 2018 से इस पर लगातार सफल परीक्षण हो रहे हैं और अब ये weaponization की स्टेज में है. 2025-26 तक इसके पूरी तरह ऑपरेशनल होने की उम्मीद है.
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शौर्य मिसाइल: ज़मीन से लॉन्च, आसमान में आतंकभारत की Shaurya Missile वैसे तो पहले से सेवा में है, लेकिन अब इसका नया हाइपरसोनिक वर्ज़न आ रहा है. यह एक canister-based tactical missile है, जो ज़मीन से लॉन्च होकर वातावरण के ऊपरी हिस्से में घुसकर glide करती है, जिससे इसे रोक पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. इसकी गति Mach 7.5 तक जाती है, और यह भारत की रणनीतिक क्षमताओं में बड़ा इजाफा करती है. मौजूदा समय में यह सीमित मात्रा में सेना में तैनात है, लेकिन भविष्य का वर्ज़न और भी घातक होगा.
Hypersonic Glide Vehicle: भारत का सबसे रहस्यमय हथियारअब बात करते हैं उस प्रोजेक्ट की जो सबसे कम चर्चित, लेकिन शायद सबसे खतरनाक है – भारत का Hypersonic Glide Vehicle (HGV) प्रोजेक्ट. इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह एक बैलिस्टिक मिसाइल से लॉन्च होकर वातावरण में Mach 10+ की रफ्तार से glide करेगा और लक्ष्य को पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कहीं ज़्यादा तेजी और सटीकता से भेदेगा. अगर यह सफल होता है, तो यह भारत को अमेरिका और चीन के बराबर खड़ा कर देगा. इसका पहला weaponised वर्ज़न 2028–30 तक आ सकता है.

DRDO का सालाना बजट करीब ₹23,000 से ₹25,000 करोड़ के बीच है, जिसमें से हाइपरसोनिक और मिसाइल तकनीक पर करीब ₹3,000 से ₹5,000 करोड़ का निवेश किया जा रहा है. ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत अब सिर्फ रक्षा खरीदार नहीं, बल्कि रक्षा निर्माता बनने की दिशा में साफ इरादों से आगे बढ़ रहा है.
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भारत के 5 हथियार एक नजर में…- HSTDV – Mach 6 | 2026 तक सेना में शामिल होने की संभावना
- BrahMos-II – Mach 7 | 2026 तक परीक्षण, 2028 तक सेना में शामिल होने की संभावना
- SFDR-based missile – Mach 4.5–6 | इस वित्तीय वर्ष के अंत तक इस्तेमाल होना शुरू
- Shaurya (Hyper Variant) – Mach 7.5 | सीमित मात्रा में तैनाती हो चुकी है
- Hypersonic Glide Vehicle – Mach 10+ | 2028 से 2030 के बीच तैयार होने की संभावना
भारत की हाइपरसोनिक मिसाइलें सिर्फ युद्ध की तैयारी नहीं हैं, ये एक साफ संदेश हैं – हम तैयार हैं, और तेज़ हैं. आज जब युद्ध के नियम बदल रहे हैं, जब रफ्तार ही जंग जीतती है, तब भारत की ये टेक्नोलॉजी देश को एक नए रक्षा युग में ले जा रही है. ये सिर्फ विज्ञान नहीं, सैन्य आत्मनिर्भरता का यज्ञ है.
भारत अब सिर्फ देखता नहीं, पहले उड़ता है, फिर मारता है. और वो भी Mach 10 की रफ्तार से.
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