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जब पहली बार दुनिया ने 'पाकिस्तान' शब्द सुना था

पहली बार ब्रिटेन में पढ़ रहे लड़कों ने पाकिस्तान का नाम लिया था

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Pakistan (Photo Source - AajTak/Wikimedia Commons)
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शिवेंद्र गौरव
28 जनवरी 2022 (Updated: 3 मार्च 2022, 06:25 PM IST) कॉमेंट्स
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'शेक्सपियर ने अपने प्ले ‘रोमियो एंड जूलिएट’ में कहा था, ‘नाम में क्या रखा है? गुलाब को चाहें जिस नाम से पुकारो उससे अच्छी खुशबू ही आएगी’ लेकिन देशों के नाम इतनी आसानी से नहीं पड़ते. उनके पीछे सालों की राजनीति, कुनीति, कुटिल नीति, संघर्ष, हर्ष, और अमर्ष  की कहानी होती है.'

साल 1906 में मुस्लिम लीग बनने के बाद इसके शुरूआती एजेंडे में 'अलग देश की मांग' शामिल नहीं थी. 1916 में इंडियन नेशनल कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच ‘लखनऊ पैक्ट'(Lucknow Pact) हुआ था. पैक्ट कराने के धन्यवाद स्वरुप सरोजिनी नायडू ने जिन्ना को ‘एम्बेसडर ऑफ़ यूनिटी’(Ambassador of Unity) का दर्ज़ा भी दिया था. लेकिन 1920 में जिन्ना के इंडियन नेशनल कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के साथ ही एक अलग देश बनाने की सोच भी जन्म लेती है. धीरे-धीरे यह सोच पहले एक राजनीतिक विचार और फिर एक मांग का स्वरूप ले लेती है. और भारत की आज़ादी के एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान नाम का एक अलग देश दुनिया के मानचित्र पर दर्ज हो जाता है.


टू नेशन थ्योरी साल था 1932. जगह, इंग्लैंड के कैंब्रिज शहर की हम्बरस्टोन रोड पर मौजूद कॉटेज नंबर 3. ब्रिटिश इंडिया से यहां पढ़ाई करने आए रहमत अली और उनके कुछ साथी नौजवान ‘अल्लामा इक़बाल’(Allama Iqbal) की दी गई 'टू नेशन थ्योरी' पर काम करने में मशगूल थे. (बताते चलें, अल्लामा एक पर्शियन शब्द है. जिसका बोलचाल की भाषा में अर्थ होता है, ‘पढ़ा लिखा फेमस आदमी’ और उस ज़माने में ये शब्द मोहम्मद इक़बाल के लिए यूज़ किया जाता था .)
मोहम्मद इक़बाल (photo Source India Today)
मोहम्मद इक़बाल (फोटो सोर्स - India Today)


वही मोहम्मद इक़बाल जिन्होंने 'तराना ए हिंदी' नाम से ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा’ की रचना की थी. खैर वापस कैम्ब्रिज चलते हैं. ये पहली बार नहीं था जब रहमत अली और उनके साथी सेपरेट नेशन पर चर्चा कर रहे थे. उस समय ब्रिटिश भारत में जब भी कोई बड़ा पोलिटिकल इवेंट होता था तो इधर ये बहस भी गर्मा जाया करती थी. बहस के मुद्दे कुछ यूं होते थे कि एक अलग मुस्लिम नेशन की जियोग्राफ़ी क्या हो, उसका नाम और आधिकारिक भाषा क्या होनी चाहिए, आदि-आदि. चौधरी रहमत अलीचौधरी रहमत अली (photo Source Wikimedia Commons)
चौधरी रहमत अली (फोटो सोर्स- Wikimedia Commons)


चौधरी रहमत अली ही नौजवानों की इस टोली के लीडर थे. लंबी चली बहस के बाद आख़िरकार आपसी सहमति से एक पैम्फलेट तैयार किया गया. और 1932 में लंदन में होने वाली 3rd राउंड टेबल कांफ्रेंस के डेलिगेट्स तक पहुंचाया गया. ये पहली बार था जब इस पैम्फ्लेट में रहमत अली ने पाक्स्तान (Pakstan) शब्द का इस्तेमाल किया था. रहमत अली ने अपने दिए नाम ‘पाक़स्तान (PAKSTAN)’ को जस्टिफाई करते हुए कहा था,
P से Pakistan, A से Afgania, K से Kashmir, S से Sindh और Tan से BaluchisTAN.
बाद में इसमें i जोड़ दिया गया था. पाकिस्तान डिक्लेरेशन

इसके बाद 28 जनवरी 1933 यानी आज ही के दिन ये पैम्फलेट चार पन्नों की एक बुकलेट की शक्ल अख्तियार कर चुका था. यही वह बुकलेट थी जिसमें किसी देश के सन्दर्भ में 'पाकिस्तान; (Pakistan) शब्द का यूज़ पहली बार आधिकारिक रूप से किया गया.

बुकलेट को चौधरी रहमत अली की लीडरशिप में तैयार किया गया था सो रहमत अली ने ही इस बुकलेट के संपादक की हैसियत से उसका नामकरण ‘पाकिस्तान डिक्लेरेशन’ दिया. और पहले पन्ने की हैडिंग में लिखा, ‘Now or Never’ Are we to live or Perish for Ever?'  जिसका हिंदी अनुवाद होता है- अभी या कभी नहीं, क्या हमें जीना है या हमेशा के लिए ख़त्म हो जाना है?

इस बुकलेट के डिक्लेरेशन में चौधरी रहमत अली के दस्तख़त के साथ लिखा गया था,


‘मैं पाकिस्तान के तीस मिलियन मुसलमानों की ओर से एक अपील रहा हूं, जो भारत के पांच उत्तरी इलाकों - पंजाब, उत्तर-पश्चिम सीमा (अफगान) प्रांत, कश्मीर, सिंध और बलूचिस्तान में रहते हैं. यह अपील उनकी इस मांग का प्रतीक है कि धार्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिकता के आधार पर पाकिस्तान को एक अलग संघीय संविधान और भारत के बाकी निवासियों से अलग राष्ट्रीय दर्जा दिया जाए.'

इस डिक्लेरेशन के बारे में प्रोफेसर ख़ुर्शीद कमाल अज़ीज़, रहमत अली की बायोग्राफी में लिखते हैं,


‘रहमत अली ने अकेले इस डिक्लेरेशन को लिखा है. ‘पाकिस्तान’ शब्द पहली बार इसी डिक्लेरेशन में प्रयोग किया गया है. इस डिक्लेरेशन को और भी ज्यादा रिप्रेजेन्टेटिव बनाने के लिए अली अब और लोगों को मना रहें हैं जो उनके अलावा इस पर साइन कर सकें.'

पाकिस्तान

जब रहमत अली ने ‘Now or Never’ को प्रकाशित किया तब उसमें पाकिस्तान का नक्शा भी शामिल किया था. इस नक्शे में भारत के अंदर तीन अलग मुस्लिम देशों को दिखाया गया था. ये देश थे- पाकिस्तान, बंगिस्तान यानी पूर्वी बंगाल और उस्मानिस्तान यानी निजाम की रियासत हैदराबाद. गौरतलब बात ये है कि रहमत अली के पाकिस्तान और अल्लामा इकबाल के सेपरेट मुस्लिम नेशन में कहीं भी बंगाल का जिक्र नहीं है. लेकिन पाकिस्तान जब एक आज़ाद देश बना तो पूर्वी बंगाल को भी 'पूर्वी पाकिस्तान' के बतौर उसमें शामिल किया गया. जो कि बाद में पाकिस्तान से कटकर स्वतंत्र राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ बना. रहमत का मानना था कि भारत का पूर्वी  हिस्सा भी मुस्लिम बहुल है और इसे भी एक अलग मुस्लिम देश होना चाहिए. एक नया देश

जब ‘Now or Never’ प्रकाशित हुई, उस समय रहमत अली की उम्र 36 वर्ष थी. रहमत अली की पैदाइश 1897 में पंजाब के होशियारपुर की थी. 1930 में रहमत कैम्ब्रिज शहर के एमैनुएल कॉलेज चले आए थे, जहां से 1933 में BA और 1940 में MA की डिग्री ली थी. ‘Now or Never’ बुकलेट उन लोगों के बीच खासी पसंद की गई जो पाकिस्तान के भारत से अलग होने की राय रखते थे. जिन्ना सहित मुस्लिम लीग के नेताओं ने रहमत अली की खूब तारीफ की थी.

1934 में रहमत अली मोहम्मद अली जिन्ना से मिले. तब प्रोफेसर के, के. अज़ीज़ की किताब के मुताबिक जिन्ना ने रहमत से कहा, ‘मेरे प्यारे रहमत, इतनी जल्दबाज़ी मत करो’. लेकिन रहमत ने साल 1935 में एक और किताब ‘पाकिस्तान: दी फादरलैंड ऑफ़ पाक नेशन’ प्रकाशित की थी. जिसमें रहमत ने खुद को पाकिस्तान लिबरेशन मूवमेंट का फाउंडर और प्रेसिडेंट बताया था.

मार्च 1940 में आल इंडिया मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में रहमत अली के सुझाए नाम ‘पाक़िस्तान’ पर मुस्लिम लीग के सभी बड़े नेताओं ने मुहर लगा दी. 1943 आते-आते जिन्ना सहित लीग के सभी बड़े नेता पाकिस्तान शब्द का पब्लिक्ली यूज़ करने लगे थे. रहमत अली ने विद्यार्थी जीवन में जो सोचा था, लगभग 10 साल बाद वो सच हो रहा था.

फरवरी 1946 में ब्रिटेन में एटली सरकार के समय कैबिनेट मिशन भारत आया था. कैबिनेट मिशन का मुख्य उद्देश्य था कि भारतीय सरकार को ट्रांसफर ऑफ़ पावर कैसे की जाए. हालांकि मिशन के प्लान में अलग देश की मांगे नहीं मानी गई. जिसके बाद जिन्ना ने जुलाई 1946 में कैबिनेट मिशन प्लान से अपना सपोर्ट वापस ले लिया और जनरल स्ट्राइक करने का फैसला लिया. 16 अगस्त 1946 को जिन्ना ने डायरेक्ट एक्शन डे बताया था और अलग देश की मांग रखी. जिसे लंबी कूटनीतिक जद्दोजहद के बाद मान लिया गया. और आखिरकार जब 15 अगस्त 1947 की रात जब भारत आज़ाद हुआ तब पाकिस्तान नाम का एक नया शब्द दुनिया के मानचित्र पर अपनी जगह बना चुका था.


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