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चित्रकूट गैंगरेप केस: गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत 3 को उम्रकैद, 2 लाख का जुर्माना भी भरेंगे

ये पूरा मामला क्या था और क्यों रेप पीड़िता ने बार-बार अपने बयान बदले थे?

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यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति मुलायम सिंह यादव के पैर छूते हुए (फाइल फोटो-आजतक)
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अभय शर्मा
12 नवंबर 2021 (Updated: 12 नवंबर 2021, 01:30 PM IST) कॉमेंट्स
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यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को आजीवन कारावास की सजा मिली है. उन्हें और अन्य को चित्रकूट नाबालिग गैंगरेप मामले में अदालत ने दोषी करार दिया था. शुक्रवार 12 नवंबर को गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य दोषियों की सजा का ऐलान होना था. आजतक के मुताबिक अदालत ने गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत 3 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाने के अलावा उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका है. इन दो और दोषियों के नाम हैं अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला. तीनों गैंगरेप और पॉक्सो ऐक्ट की धाराओं में दोषी पाए गए थे. मामले के अन्य आरोपियों विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह, चंद्रपाल और रूपेश्वर को अदालत ने बरी कर दिया.

कौन हैं गायत्री प्रसाद प्रजापति?

गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 1995 के करीब समाजवादी पार्टी जॉइन की थी. 1996 और 2002 में अमेठी से लड़े और हार गए. लेकिन जुगाड़ू प्रवृत्ति होने के कारण उनके मुलायम सिंह यादव और अखिलेश याद से अच्छे संपर्क बन गए. 2012 में फिर टिकट मिला और इस बार गायत्री प्रसाद ने अमेठी जीत लिया. विधायक बने. सपा की सरकार बनी, तो फरवरी 2013 में मंत्री पद भी मिल गया. सिंचाई मंत्री बने. इसी साल जुलाई में मंत्रिमंडल फेरबदल हुआ, तो स्वतंत्र प्रभार दिया गया. इसके बाद जनवरी 2014 में सूबे के खनन मंत्री बना दिए गए.

दुष्कर्म का आरोप

साल 2016 में चित्रकूट की एक महिला ने गायत्री प्रसाद प्रजापति पर आरोप लगाया कि मंत्री ने उनके और उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया. 18 फरवरी, 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में प्रजापति सहित 7 लोगों के खिलाफ गैंगरेप, जान से मारने की धमकी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. कुछ दिन फरार रहने के बाद मार्च, 2017 में गायत्री प्रजापति को गिरफ्तार कर लिया गया. 18 जुलाई, 2017 को विशेष पॉक्सो अदालत ने गायत्री समेत सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए. बाद में सुनवाई MP-MLA कोर्ट को सौंप दी गई.

साढ़े तीन साल बाद जमानत, 7 दिन बाद ही गिरफ्तार

गायत्री प्रजापति को गिरफ्तारी के साढ़े तीन साल बाद 4 सितंबर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली. बेल बॉन्ड भर भी नहीं पाए थे कि सात दिन में ही फिर गिरफ्तार कर लिए गए. ये गिरफ्तारी जालसाजी के एक मामले में हुई थी, जिसकी एफआईआर एक वकील ने दर्ज कराई थी. FIR में वकील ने गायत्री प्रजापति और पीड़ित महिला को आरोपी बनाया था.

पीड़ित महिला ने कई बार बदले बयान

इस मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति के जेल जाने के कुछ समय बाद पीड़ित महिला ने कई बार अपने बयान बदले. साल 2018 में यूपी पुलिस ने पीड़ित महिला पर आरोप लगाए कि गायत्री की ओर से उसे कुछ आर्थिक लाभ मिले हैं. वो पूर्व मंत्री से कई बार जेल में मिलने भी गई थी. उसी दौरान महिला ने प्रजापति के पक्ष में एक बयान भी दिया था जो काफी चर्चा में रहा था. उसका कहना था,
“गायत्री प्रसाद मेरे लिए पिता की तरह हैं. रिश्ते को राजनीतिक लाभ के लिए कलंकित किया जा रहा है.”
इसके बाद साल 2019 में महिला ने गौतमपल्ली थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई. इसमें उसने आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति को क्लीनचिट दे दी. महिला का कहना था कि राम सिंह और उसके साथियों ने उसकी बेटी को जान से मारने की धमकी देकर पूर्व मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. पीड़िता के मुताबिक इस मामले का मुख्य आरोपी राम सिंह है, जिसने पूर्व खनन मंत्री पर खनन का पट्टा देने के लिए दबाव डाला था. पट्टा न मिलने पर उसने प्रजापति को रेप केस में फंसा दिया. बीती 10 नवंबर को लखनऊ के MP-MLA कोर्ट ने महिला के इन बदले बयानों पर भी संज्ञान लिया. कोर्ट ने बार-बार बयान बदलने के कारण पीड़िता और उसके पक्ष के गवाह राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि किस वजह से, किसके प्रभाव में बार-बार बयान बदले गए? इसकी जांच लखनऊ के पुलिस आयुक्त कराएंगे.

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