हर दूसरे दिन दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट कैसे बदल जाती है?
टॉप 30 में भी न रहने वाले एलन मस्क दुनिया के दूसरे सबसे ज़्यादा अमीर इंसान कैसे बन गए...

ये ख़बर इसलिए बड़ी है, क्यूंकि,
# अव्वल तो नेटवर्थ के मामले में एलन मस्क ने बिल गेट्स को पीछे छोड़ा है. उन्हीं बिल गेट्स को, जो, अगर आपको याद होगा तो, 90 के दशक में और उसके बाद भी कई सालों तक दुनिया के सबसे अमीर इंसान बने हुए थे. हालांकि बाद में बिल गेट्स कभी दूसरे कभी तीसरे-चौथे नम्बर पर आते रहते थे. और अब वो फिर से तीसरे नम्बर पर खिसक गए हैं. और अब उनकी संपत्ति है, 129 बिलियन डॉलर.बिल गेट्स, जेफ़ बेजोस और एलन मस्क के अलावा ख़बर मुकेश अंबानी को लेकर भी है. मुकेश, जो कुछ दिनों पहले तक टॉप टेन से हट गए थे, अब फिर इस लिस्ट में आ गए हैं. अबकी बार दसवें नम्बर पर. 75 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ. मतलब साढ़े पांच लाख करोड़ रुपए के करीब की संपत्ति के साथ वो दुनिया के सबसे अमीर शख़्स हैं.
# दूसरी बात ये कि इस साल की शुरुआत में एलन मस्क टॉप 10 तो क्या टॉप 20 या 30 में भी नहीं थे. तो ये लंबी रेस इसी साल लगी है.
जिन भी अमीर लोगों की संपत्ति हम आपको बता रहे हैं, वो 25 नवंबर, 2020 को भारतीय समयानुसार 12:30 बजे के हिसाब से है.

हमने आपको केवल दिन ही नहीं, समय भी इसलिए बता दिया क्यूंकि जिस 'चीज़' से संपत्ति की गणना होती है, वो 'चीज़' साल या महीने के हिसाब से नहीं मिनट और सेकंड के हिसाब से बदलती रहती है. इसलिए हर दूसरे दिन अमीरों की लिस्ट बदल जाती है. यानी जब आप ये स्टोरी पढ़ रहे होंगे, तो बहुत संभावना है कि ऊपर बताए गए सभी आंकड़े बदल गए हों.
चलिए आपको भी बिलकुल आसान भाषा में बताते हैं कि वो कौन से कारक हैं जिनसे इतनी जल्दी-जल्दी दुनिया का सबसे अमीर इंसान बदल जाता है.
# वो चीज़ जो आपको दुनिया का सबसे अमीर इंसान बनाती है-
मान लीजिए कि सुंदरप्रसाद का साड़ियों का इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिज़नेस है. कभी वो एक दिन में ही करोड़ों कमा लेते हैं, कभी महीनों तक कोई आय नहीं होती. किसी दिन उल्टा नुकसान भी हो जाता है. तो कैसे पता करें कि सुंदरप्रसाद की नेटवर्थ कितनी है?
आप कहेंगे कि उनके साल भर के प्रॉफ़िट-लॉस से हिसाब लगाया जा सकता है. लेकिन इसमें भी एक दिक्कत है. उनकी दुकान, उनकी गाड़ियां, उनकी गुडविल, उनकी सप्लाई चेन, उनके कर्मचारी… इन सब चीजों का हिसाब-किताब कैसे लगाया जाए?
साथ ही अगर किसी बड़े CA को हायर करके ये सब हिसाब लगा भी लिया, तो भी, एलन मस्क या बिल गेट्स की संपत्ति में तो हर मिनट हर सेकंड परिवर्तन आ रहा है, जबकि सुंदरप्रसाद की संपत्ति पूरे एक साल तक सेम रहेगी.
दरअसल जो भी रेटिंग एजेंसी या संस्थाएं, नेट वर्थ और रैंकिंग तय करती हैं, वो इस तरह से नहीं करतीं. बल्कि ये कहा जा सकता है कि किसी की भी नेट वर्थ की गणना ऐसे होती ही नहीं.
वो होती है आपकी कंपनी या कंपनियों की मार्केट में क्या वैल्यू है, इससे. कंपनियों की मार्केट में क्या वैल्यू है, अब ये कैसे पता चलेगा? बड़ा आसान है. सुंदरप्रसाद के उदाहरण को आगे बढ़ाते हुए समझते हैं.

तो सुंदर प्रसाद क्या करते हैं कि अपने इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के बिज़नस का एक हिस्सा बेच देते हैं माता प्रसाद को. चलिए पहले सुंदर प्रसाद की कंपनी का कोई नाम रख लिया जाए. जैसे 'सुंदर साड़ीज़’.
तो, सुंदर प्रसाद, 'सुंदर साड़ीज़’ का 10 प्रतिशत हिस्सेदार बना देते हैं माता प्रसाद को. और इसके एवज़ में लेते हैं 10 करोड़ रुपए. लेकिन ये 10 करोड़ रुपए वो खुद नहीं रखते. कंपनी में इन्वेस्ट कर देते हैं. क्यूंकि ये उनकी नहीं, कंपनी की कमाई है.
याद रखिए, कॉमर्स का पहला पाठ: कंपनी और उसका मालिक दो अलग-अलग चीज़ें हैं.मतलब अगर सुंदर प्रसाद, 'सुंदर साड़ीज़’ के गल्ले से पैसे निकालते हैं तो ये नहीं कि उन्होंने अपने ही पैसे निकाले. इसे ऐसे कहा जाएगा कि ‘सुंदर प्रसाद ने सुंदर साड़ीज़ से पैसे निकाले.’
बहरहाल, 'सुंदर साड़ीज़’ को मिलते हैं 10 करोड़ रुपए. माता प्रसाद को मिलते हैं कंपनी के 10% शेयर. लेकिन सोचिए इस प्रक्रिया में सुंदर प्रसाद को क्या मिला? उल्टा, जिस कंपनी में उनकी पूरी हिस्सेदारी थी, वो घटकर 90% हो गई.
लेकिन यहीं पर तो कहानी में ट्विस्ट है. जैसे ही माताप्रसाद ने, 'सुंदर साड़ीज़’ के 10% शेयर्स 10 करोड़ रुपए में ख़रीदे, तुरंत कंपनी की क़ीमत हो गई 100 करोड़ रुपए की.
क्यूं? वो ऐसे, कि अगर ‘सुंदर साड़ीज़’ के 10% शेयर 10 करोड़ के हुए तो पूरी कंपनी कितने की हुई? ऑफ़ कोर्स 100 करोड़ रुपए की. और यही होता है किसी कंपनी का ‘वैल्यूएशन’.
और सुंदर प्रसाद की संपत्ति कितनी हो गई? ‘सुंदर साड़ीज़’ के 90% शेयर के बराबर. यानी 90 करोड़ रुपए. ये हुई सुंदर की नेट वर्थ.

अब सोचिए कुछ महीनों बाद अगर माता प्रसाद अपने 10% शेयर्स सीताराम को 9 करोड़ में बेच दे तो? तो बेशक सुंदर प्रसाद का इस लेन देन में कोई हाथ नहीं था, लेकिन फिर भी कंपनी का वैल्यूएशन हो गया 90 करोड़ रुपए और सुंदर प्रसाद की संपत्ति घटकर हो गई 81 करोड़ रुपए.
अब लास्ट सिनेरियो. सीताराम ने जो 9 करोड़ रुपये में ‘सुंदर साड़ीज़’ के 10% शेयर्स ख़रीदे थे, वो अगर उसे कचरा को 20 करोड़ रुपए में बेच दे तो? तो अब आपको समझ आ गया होगा कि इससे ‘सुंदर साड़ीज़’ की वैल्यूएशन हो जाएगी 200 करोड़ रुपए और सुंदर प्रसाद की संपत्ति हो जाएगी 180 करोड़ रुपए.
आगे बढ़ने से पहले सोचिए कि माता प्रसाद ने सीताराम को शेयर्स सस्ते में और सीताराम ने कचरा को शेयर महंगे में क्यूं बेचे होंगे. और कचरा ने इतनी महंगी हिस्सेदारी ख़रीदी क्यूं होगी? वो इसलिए कि जब ‘सुंदर साड़ीज़’ नुक़सान में जा रही होगी या किसी विवाद में होगी, तब माता प्रसाद ने सीताराम को हिस्सेदारी बेची होगी और जब ‘सुंदर साड़ीज़’ को मोटा मुनाफ़ा हो रहा होगा या कोई बड़ी डील हाथ लगी होगी तब कचरा ने महंगे में भी हिस्सेदारी ख़रीद ली होगी. लेकिन इस पूरे दौरान सुंदर प्रसाद की संपत्ति घटती-बढ़ती रही, बावज़ूद इसके कि उसने हिस्सेदारी की कोई ख़रीद फ़रोख़्त नहीं की.
लेकिन इस दौरान उसने या उसकी कंपनी ने ऐसे काम ज़रूर किए, जिससे वो क्रमशः डूब रही थी या चढ़ रही थी.
तो ऐसा नहीं है कि कंपनी का मालिक कुछ किए बिना ही अमीर या गरीब होता चला जाए. माता प्रसाद हों, सीताराम हों या कचरा, सभी इंवेस्टर्स दरअसल कंपनी और उसके मालिक की परफ़ॉर्मेंस के आधार पर अपने हिस्से का मूल्य लगा रहे हैं और फिर उसी हिसाब से कंपनी के मालिक की नेटवर्थ घट-बढ़ रही है.
लेकिन फिर इससे भी तो बड़ी देर-देर बाद सुंदर प्रसाद की नेटवर्थ का पता चल रहा है. हमने तो ऊपर कहा था कि सेकंडों के हिसाब से नेटवर्थ बदलती है.

साथ ही इस तरह के कैल्क्यूलेशन में एक और दिक्कत है. वही दिक्कत जो एग्ज़िट पोल में होती है. यहां पर भी कंपनी और उसके मालिक की कितनी क़ीमत है ये जानने या बताने लिए हमारे पास गिनती के लोग हैं. और हो सकता है कि जिनको सुंदर प्रसाद ने हिस्सेदारी बेची हो, वो उसके जानने वाले या रिश्तेदार हों. उनको जो हिस्सेदारी बेची गई, वो बहुत कम या बहुत ज़्यादा क़ीमत पर बेच दी गई हो?
# पैरलल वर्ल्ड-
तो इसे समझने के लिए शुरू से शुरू करते हैं. किसी पैरलल वर्ल्ड में, सुंदर प्रसाद अपने शेयर माता प्रसाद को बेचने के बजाय सेबी का दरवाज़ा खटखटाते हैं. सेबी, भारत में शेयर मार्केट की नियामक संस्था है. इसके बारे में आप विस्तार से यहां पर पढ़ सकते हैं.
तो सुंदर प्रसाद सेबी से कहते हैं कि मुझे अपनी कंपनी के लिए फंड चाहिए और इसके लिए मैं उसकी 10% हिस्सेदारी आम लोगों में बेचना चाहता हूं. सेबी सारी चीज़ें वेरिफ़ाई करती है और कहती है कि तुम इसका IPO निकाल सकते हो. IPO बोले तो, इनिशियल पब्लिक ऑफ़र. मतलब ये कि, सेबी कहती है तुम अपने शेयर मार्केट में ला सकते हो. तो यूं सुंदर प्रसाद अपनी कंपनी के 10% शेयर IPO के माध्यम से बाज़ार में बेचकर 10 करोड़ कंपनी के लिए कमा लेते हैं. जैसा माताप्रसाद द्वारा हिस्सेदारी ख़रीदने पर हुआ था, वैसे ही ‘सुंदर साड़ीज़’ का वैल्यूएशन हो जाता है 100 करोड़ रुपया और सुंदर प्रसाद की नेट वर्थ हो जाती है 90 करोड़ रुपए. लेकिन अब ‘सुंदर साड़ीज़’ की वैल्यूएशन, वैल्यूएशन न कहलाके कहलाती है मार्केट कैपिटलाइज़ेशन. इसी को शॉर्ट में कह देते हैं मार्केट कैप.
अच्छा जब सुंदर प्रसाद अपनी कंपनी की 10% हिस्सेदारी शेयर मार्केट में बेचते हैं तो वो किसी 1-2 या 10-20 लोगों को नहीं बेचते. वो करते है 10% शेयर के करोड़ों टुकड़े और फिर जिसकी जितनी मर्ज़ी ख़रीदो-बेचो.
सुंदर प्रसाद के उदाहारण से ही समझिए. उन्होंने अपनी कंपनी की 10% हिस्सेदारी बेचने के लिए मार्केट में 1 करोड़ शेयर्स उतारे. और हर शेयर का मूल्य रखा 10 रुपया. यूं हर शेयर से 10 रुपये की कमाई हुई और 1 करोड़ शेयर्स से 10 करोड़ रुपए की कमाई. इससे अब ये भी स्थापित हो गया कि सुंदर प्रसाद के पास कंपनी के कुल 9 करोड़ शेयर्स और हैं. हर शेयर की क़ीमत, ऑफ़ कोर्स 10 रूपये और यूं सुंदर प्रसाद की संपत्ति 90 करोड़.

यूं किसी कंपनी का मार्केट कैप कितना हुआ?
कंपनी का मार्केट कैप = उसके कुल शेयर x एक शेयर का मूल्य
और किसी बंदे की नेट वर्थ कितनी हुई?नेट वर्थ = बंदे के पास उपलब्ध शेयर x एक शेयर का मूल्य
देखिए अब चूंकि सुंदर प्रसाद के करोड़ों शेयर्स, शेयर मार्केट में हैं तो अब शेयर मार्केट ही उसकी कंपनी का मार्केट कैप तय करेगा. और मार्केट ही तय करेगा सुंदर प्रसाद की कुल संपत्ति या नेट वर्थ भी. और आपको तो पता ही होगा कि शेयर मार्केट में सेकंडों के हिसाब से शेयर्स के मूल्य बदलते हैं. सोचिए अगर 1 घंटे पहले जिस शेयर का मूल्य 10 रुपये था अब वो बढ़कर 11 रुपये हो जाए तो? तो सिर्फ़ एक घंटे में सुंदर प्रसाद की नेट वर्थ 90 करोड़ से बढ़कर 99 करोड़ हो जाएगी. सीधे 9 करोड़ 1 घंटे में अंदर. इसलिए हमने कहा था कि अमीरों की लिस्ट आए दिन बदलती रहती है. जो एलन मस्क कल तक टॉप 30 में भी नहीं थे, अब वो दूसरे नंबर पर हैं.अब अमीरों की नेटवर्थ पर जाने से पहले लास्ट बात. ये जो शेयरों की संख्या और हर शेयर की क़ीमत के आधार पर कह दिया जाता है कि बंदा इतना अमीर है, वो इसलिए क्यूंकि अभी जितने शेयर्स उस बंदे के पास हैं अगर वो पूरे मार्केट में बेच डाले तो उसके पास उतना कैश आ जाएगा. सिंपल.
# रियल केस सिनेरियो
हमने आपको शुरू में अमीरों की बात तो बताई, पर उनकी कंपनी के नाम नहीं बताए. हालांकि उनकी कंपनियां के नाम आपको पता ही होंगे. पर हम आपको लास्ट में इसलिए बता रहे हैं, क्यूंकि अब आप जानते हैं कि कोई बंदा कितना अमीर है, ये डिपेंड करता है कि उसके पास किस कंपनी के शेयर हैं और कुल कितने शेयर हैं. और हर शेयर की क़ीमत कितनी है.
यूं अब हम जान सकते हैं कि टेस्ला के मार्केट कैप के चलते एलन मस्क अमीर हैं. माइक्रोसॉफ़्ट के मार्केट कैप के चलते बिल गेट्स अमीर हैं और रिलायंस के मार्केट कैप के चलते मुकेश अंबानी.
चलिए दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ़ बेजोस के उदाहरण से सारी चीज़ों का एक बार रिवीज़न कर लिया जाए.
ये ब्लूमबर्ग वाली लिस्ट में बताई गई राशि के काफ़ी क़रीब है.
- जेफ़ बेजोस के पास अपनी कंपनी ऐमज़ॉन के 11.8% के क़रीब शेयर्स हैं.
- ऐमज़ॉन का मार्केट कैप इस वक़्त है लगभग 1.57 ट्रिलियन डॉलर.
- तो, जेफ़ बेजोस की संपत्ति हुई 1.57 ट्रिलियन डॉलर की 11.8 प्रतिशत. कैल्क्यूलेट कीजिए तो आएगा 185 बिलियन डॉलर के करीब.
इसे ऐसे भी कैल्क्यूलेट कर सकते हैं-
ये भी ब्लूमबर्ग वाली लिस्ट में बताई गई राशि के काफ़ी क़रीब है. थोड़ा ‘लगभग’ और ‘मान लें’ के चलते ‘कुछ अरब डॉलर’ का इधर-उधर हो गया होगा बस. ;-)
- जेफ़ बेजोस के पास अपनी कंपनी ऐमज़ॉन के 59 मिलियन शेयर्स हैं.
- ऐमज़ॉन के एक शेयर का मूल्य है लगभग 3,118 डॉलर.
- तो जेफ़ बेजोस की संपत्ति = ऐमज़ॉन के एक शेयर का मूल्य x जेफ़ बेजोस के पास ऐमज़ॉन के शेयर्स की संख्या = 59 मिलियन x 3,118 = क़रीब 184 बिलियन डॉलर.
# कुछ और फ़ैक्ट्स-
हमारी इक्वेशन (नेटवर्थ = बंदे के पास उपलब्ध शेयर x हर शेयर का मूल्य) के हिसाब से सिर्फ़ इस बात से ही फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपके पास किसी कंपनी के कितने शेयर्स हैं, न ही सिर्फ़ इस बात से कि एक शेयर की वैल्यू कितनी है. कहने का मतलब ये कि-
# जबकि जेफ़ के पास ऐमज़ॉन के 12% से भी कम और मुकेश के पास रिलायंस के 50% के क़रीब शेयर है, फिर भी जेफ़ अमीरी के मामले में मुकेश से 9 पायदान ऊपर हैं. क्यूंकि रिलायंस कंपनी का मार्केट कैप, ऐमज़ॉन से कई गुना कम है.
# माइक्रोसॉफ़्ट के मालिक नीचे खिसकते जा रहे हैं, बावज़ूद इसके कि उनकी कंपनी के शेयर की वैल्यू बढ़ती जा रही है. कारण है कि वो अपनी काफ़ी संपत्ति दान कर चुके हैं. मतलब अपने शेयर्स या शेयर्स बेचकर आए पैसे.