BJP ने पहली लिस्ट जारी करते हुए स्मृति ईरानी के साथ ऐसा क्यों किया?
जबकि स्मृति ईरानी खुद ऐसा नहीं मानतीं...
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स्मृति ईरानी खुद को हिंदू मानती हैं. मगर उनकी पार्टी बीजेपी किसी और लाइन पर है. वो स्मृति को पारसी बताती है. 100 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करती है और उसमें बस स्मृति का धर्म डिक्लेयर करने की जरूरत समझी जाती है.
बीजेपी ने लोकसभा चुनावों के लिए लिस्ट निकाली. इसमें 184 नाम थे. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल इन राज्यों की सीटें हैं. लिस्ट में किसी भी उम्मीदवार के आगे उसका धर्म नहीं बताया गया है. सिवाय स्मृति ईरानी के. उनके नाम के आगे ब्रैकेट में लिखा है- Parsi. पार्टी को बस स्मृति का ही धर्म डिक्लेयर करने की जरूरत क्यों महसूस हुई? क्या उसे ये लगा कि लोग स्मृति के नाम से जुड़े 'ईरानी' सरनेम को कुछ और समझ सकते हैं? उम्म्म... कुछ और क्या? कहीं मुसलमान तो नहीं? क्या पार्टी को ये आशंका थी कि स्मृति को कोई मुसलमान न समझ ले? पता नहीं पार्टी ने क्या सोच कर ये किया.ये लिस्ट जारी हुई 21 मार्च को. इसमें 29वें नंबर पर है स्मृति का नाम. वो अमेठी की सीट से खड़ी की गई हैं. लिस्ट में उनके अलावा 183 और उम्मीदवारों के भी नाम हैं. हिंदू भी, मुस्लिम भी. मगर किसी का धर्म मेंशन नहीं है. ऐसे में ये सवाल तो बनता है कि बस स्मृति का ही धर्म क्यों बताया गया?

इस लिस्ट में 100 नाम हैं. इनमें बस स्मृति के नाम के आगे धर्म का ज़िक्र है. बाकी किसी का धर्म बताने की जरूरत नहीं समझी गई.
पहले 'पारसी' लिखा, तो बाद में हटा क्यों दिया? इसमें भी एक दिलचस्प बात हुई. बीजेपी की तरफ से मीडिया को जो लिस्ट जारी की गई, उसमें स्मृति के आगे उनकी पारसी पहचान का ज़िक्र है.
लोगों ने इसके बारे में लिखना शुरू किया. बाद में जब ये लिस्ट बीजेपी ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की, तो उसमें ये पारसी रेफरेंस नहीं था.
तो क्या आलोचनाओं के बाद ये तब्दीली की गई? अगर हां, तो क्यों? पहले लिखा ही क्यों? हटा क्यों दिया?

ये वही लिस्ट है. मगर बीजेपी ने इसे अपने यहां अपलोड करते समय पारसी वाला रेफरेंस हटा दिया. हटाया तो अच्छी बात है, लेकिन पहले डाला ही क्यों था.
स्मृति कहती हैं, वो हिंदू हैं पार्टी ने भले स्मृति के नाम के आगे पारसी लिखा हो, मगर वो खुद को हिंदू मानती हैं. अतीत में सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं कि पारसी से शादी करने पर भी उन्होंने अपना हिंदू धर्म नहीं छोड़ा है. वो अब भी हिंदू ही हैं. नवंबर 2018 में उन्होंने एक ट्वीट किया था. इसमें लिखा था-
मेरा गोत्र कौशल है. मेरे पिता का, उनके पिता का, उनके पिता का और उनके भी पिता का. सबका यही गोत्र था. मेरे पति और बच्चे पारसी है. इसीलिए उनका गोत्र नहीं हो सकता. मैं अभी भी हिंदू धर्म मानती हूं और उसे फॉलो करती हूं. मैं जो सिंदूर लगाती हूं, वो मेरे हिंदू होने के नाते है.

और भी कुछ मौकों पर स्मृति ईरानी कह चुकी हैं कि उनके पति पारसी हैं, लेकिन वो खुद प्रैक्टिसिंग हिंदू हैं. उनके इस ट्वीट का आखिरी लाइन पढ़कर लगता है कि वो खुद पर उठाए गए सवाल से चिढ़ गई थीं. ये वाजिब रिऐक्शन था. मगर जरूरी है कि औरों के मामले में भी इस बात का ध्यान रखा जाए.
किसी ने स्मृति से उनके धर्म पर सवाल किया था ये ट्वीट स्मृति ने एक ट्विटर यूजर को जवाब देते हुए लिखा था. उस शख्स ने एक ट्वीट करके स्मृति, उनके पति और बच्चों का गोत्र पूछा था. स्मृति के ट्वीट के आखिर में लिखा था- अब वापस अपनी ज़िंदगी का रुख कीजिए. पढ़ने से लगा कि वो इस सवाल से चिढ़ गई थीं. चिढ़ना भी चाहिए. धर्म क्या, जाति क्या, गोत्र क्या, ये सब कितने दो-कौड़ी के वाहियात सवाल हैं. पूछना है तो किसी की योग्यता पूछो. पढ़ाई-लिखाई और बाकी ढंग की चीजें पूछो.
इंदिरा गांधी और स्मृति ईरानी की कहानी एक सी है मगर स्मृति के इस कॉन्टेक्स्ट से नेहरू-गांधी परिवार की याद आती है. स्मृति का ये पक्ष बिल्कुल इंदिरा गांधी जैसा है. इंदिरा खुद हिंदू थीं. उनके पति फिरोज गांधी पारसी थे. बीजेपी इस बात को काफी उछालती है. कहती है, पारसी से शादी करने पर इंदिरा हिंदू कैसे रहीं? ब्राह्मण कैसे बची रहीं? फिर ये भी कि सोनिया तो ईसाई हैं. फिर उनके बच्चे राहुल और प्रियंका कैसे रहे ब्राह्मण? मतलब इंदिरा के मामले में पिता का धर्म बच्चे की पहचान बन जाएगा. और सोनिया के मामले में मां के धर्म से बच्चों का धर्म डिसाइड होगा! बल्कि कई जगहों पर तो फिरोज को मुसलमान तक बता दिया जाता है. अगर पारसी से शादी करके स्मृति खुद को हिंदू मान सकती हैं, तो इंदिरा और उनके बच्चों की आइडेंटिटी पर सवाल कैसे उठा सकती है बीजेपी? बल्कि पार्टी को चाहिए कि वो स्मृति को सॉरी बोले. क्योंकि उसने स्मृति को उनके स्टैंड के उलट जाकर पारसी बताया. हम तो चाहते हैं कि हमारी पॉलिटिक्स धर्म-जाति पर हो ही न. ये चीज एक कौड़ी की भी वैल्यू न रखे पब्लिक लाइफ में. ऐसा हो क्योंकि ऐसा ही होना चाहिए. क्योंकि तब ही तमीज के मुद्दे अपनी जगह पा सकेंगे.May I have the privilege to ask the gotra of @smritiirani
— Rituraj Konwar (@RiturajKonwar15) November 28, 2018
ji, her husband and kids? The sindoor she wear is religious or style statement? @PMOIndia
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भुखमरी से आज़ाद हुआ कालाहांडी तो लोग फैक्ट्री गेट पर मरने लगे