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क्रिकेट साइंस 1 : बॉल स्विंग और रिवर्स स्विंग कैसे होती है?

अच्छे से अच्छे स्विंग बोलर को ये बात पता नहीं होगी.

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जेरोमी टेलर की गेंद खेलते जॉनॉथन ट्रॉट.(सोर्स - गेटी)
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आयुष
22 नवंबर 2019 (Updated: 22 नवंबर 2019, 08:27 AM IST)
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बेहतरीन बोलर्स बॉल को नचाना जानते हैं. लेकिन उसके पीछे का साइंस उन्हें शायद ही पता हो. हम आपको बताएंगे कि इस नाच के पीछे का साइंस क्या है.
कुछ नहीं, इसके पीछे फ़िज़िक्स के कुछ सिंपल से कॉन्सेप्ट्स हैं. एयरोडायनेमिक्स टू बी स्पेसिफिक. हम दो टाइप की बोलिंग को आंख गड़ा कर देखेंगे - स्पिन और स्विंग.
'क्रिकेट साइंस' के पार्ट-1 में हम जानेंगे स्विंग बोलिंग के बारे में. अगले में स्पिन पढ़ेंगे.
आपने सुना होगा कि फलाना बोलर बॉल को स्विंग कराता है. हम स्विंग का जादू (साइंस) तो बताएंगे ही लेकिन सबसे पहले इसका मतलब जान लीजिए.
स्विंग अंग्रेज़ी का शब्द है. स्विंग मतलब होता है झूलना.
आप गेंद को सीधे फेंके और वो सीधी जाए तो क्या ही गेंदबाज़ी हुई. मज़ा तो तब है कि गेंद सीधी फेंके और हवा में ही झूल जाए, स्विंग हो जाए.
जब सीधे रास्ते जाने की बजाए गेंद किसी एक साइड को झूल जाती है तो कहते हैं कि बॉल स्विंग हो गई.
बॉल को स्विंग कराते कैसे हैं?
बॉल और उसकी पट्टी - सीम
जिस बॉल से क्रिकेट मैच खेला जाता है वो अंदर से कॉर्क की होती है. कॉर्क के गोले के ऊपर लेदर के दो टुकड़ों को सिल दिया जाता है. इसलिए बॉल में इस सिलाई की एक गोल पट्टी अलग से दिखती है. इस पट्टी को 'सीम' कहते हैं. बॉल स्विंग कराने की टेक्नीक में इसी सीम का फायदा उठाया जाता है.
बॉल की पट्टी देखिए. इसी को कहते हैं सीम. (सोर्स - गेटी))
बॉल की पट्टी देखिए. इसी को कहते हैं सीम. (सोर्स - गेटी)

बॉल कैसे स्विंग होगी, ये सीम के अलावा बॉल की हालत पर भी डिपेंड करता है. नई बॉल अलग तरीके से स्विंग होती है और पुरानी बॉल अलग तरीके से.

नई गेंद, सादा स्विंग - कनवेंशनल स्विंग

एक दम नई चमचमाती गेंद. कनवेंशनल स्विंग के लिए ये चमचमाना बहुत ज़रूरी है.(सोर्स - विकिमीडिया)
एक दम नई चमचमाती गेंद. कनवेंशनल स्विंग के लिए ये चमचमाना बहुत ज़रूरी है.(सोर्स - विकिमीडिया)

मान लीजिए आपने एक नई बॉल को विकेट्स पर निशाना लगाकर फेंका. इस केस में बॉल कैसे स्विंग होगी ये इस बात पर डिपेंड करता है कि आपने सीम को किस एंगल पर रखा है.
अगर सीम का ओरिएंटेशन उसी डायरेक्शन में है जिस तरफ बॉल जा रही है तो बॉल सीधी जाएगी. वो स्विंग नहीं होगी. स्विंग कराने के ये लिए ज़रूरी है कि उसकी सीम को एक एंगल पर रख के बॉल फेंकी जाए. बॉल को स्विंग कराने का एक थंब रूल है -
जिस तरफ गेंद स्विंग करानी है, सीम का एंगल उसी तरफ रखिए.
मतलब आप सीम का एंगल बॉल के डायरेक्शन के लेफ्ट में रखेंगे तो बॉल लेफ्ट में स्विंग होगी. राइट में रखेंगे तो राइट में स्विंग होगी.
क्रिकेट वालों को यहां तक की बात पता होती है. अपना सवाल इसके आगे का है.
बॉल स्विंग क्यों होती है?
ये इसलिए होता है क्योंकि सीम को एक एंगल पर रखके फेंकने से बॉल के दोनों साइड की हवा बदल जाती है. अएं?
जब बॉल फेंकी जाती है तो वो हवा को चीर के आगे जाती है. बॉल से टकरा कर हवा का फ्लो दो हिस्सों में बंट जाता है.  यानी हवा बॉल के दोनों तरफ से होकर गुज़रती है.
अगर इमैजिन करने में दिक्कत हो रही है तो वो मोमेंट याद कीजिए जब आप बाइक पर बैठे थे और आपके दोनों तरफ से हवा गुज़र रही थी.
अब यहां एक साइड बॉल स्मूद है और दूसरी साइड बॉल की सीम है.
जिस तरफ बॉल स्मूद होती है उस तरफ की हवा का फ्लो भी स्मूद होता है. और जिस तरफ बॉल की सीम होती है उस तरफ सीम से टकराने के कारण की हवा का फ्लो खुरदुरा हो जाता है.
कोई फिज़िक्स-प्रेमी बुरा न माने इसलिए बता देता हूं - स्मूद वाले हवा के बहाव को 'लेमिनार एयर फ्लो' कहते हैं. और खुरदुरे वाले हवा के बहाव को 'टर्बुलेंट एयर फ्लो'.
जिस साइड हवा फ्लो स्मूद (लेमिनार) होता है, उस साइड की हवा बॉल से जल्दी अलग हो जाती है. और जिस साइड हवा का फ्लो खुरदुरा (टर्बुलेंट) होता है उस साइड हवा बॉल से बाद में अलग होती है. ऐसा होने से खुरदुरे वाली साइड पर एयर प्रेशर कम होता है और स्मूद वाली साइड का एयर प्रेशर ज़्यादा.
यूं समझिए आप ऊपर से देख रहे हैं. जहां हवा का फ्लो टर्बुलेंट, वहां का प्रेशर कम. जहां हवा का फ्लो स्मूद, वहां हवा का प्रेशर ज़्यादा.
यूं समझिए आप ऊपर से देख रहे हैं. जहां हवा का फ्लो टर्बुलेंट, वहां का प्रेशर कम. जहां हवा का फ्लो स्मूद, वहां हवा का प्रेशर ज़्यादा.

अब जिस साइड का प्रेशर कम होता है (सीम वाली, टर्बुलेंट हवा वाली साइड), बॉल उस तरफ स्विंग हो जाती है.
पूरी बात एक बार में बताऊं?
एक साइड सीम है इसलिए उस साइड की हवा खुरदुरी हो जाएगी. खुरदुरी हवा बॉल की उस साइड से बाद में अलग होगी. हवा के बाद में अलग होने से उस साइड का एयर प्रेशर कम हो जाएगा. और बॉल उस साइड स्विंग हो जाएगी.
ये तो हुआ कन्वेंशनल स्विंग. जो नई बॉल के केस में होता है. लेकिन बॉल हमेशा तो नई रहती नहीं है.

पुरानी गेंद, उल्टी खोपड़ी - रिवर्स स्विंग

खेल खेले जाने के बाद घिस चुकी गेंद. रिवर्स स्विंग के लिए बॉल का घिसना ज़रूरी है.(सोर्स - विकिमीडिया)
खेल खेले जाने के बाद घिस चुकी गेंद. रिवर्स स्विंग के लिए बॉल का घिसना ज़रूरी है. (सोर्स - विकिमीडिया)

करीब 40 ओवर बीतने के बाद बॉल घिस जाती है. जो हिस्सा पहले चमक रहा होता है, वो खुरदुरा हो जाता है. बॉल उल्टी तरफ स्विंग करने लगती है. इसी को कहते हैं रिवर्स स्विंग. रिवर्स स्विंग का रूल है-
सीम का एंगल जिस तरफ रखेंगे, बॉल उसकी उल्टी तरफ स्विंग होगी.
ये कन्वेंशनल स्विंग से उल्टा क्यों हो रहा है भाई? अब कहां गई साइंस?
स्विंग रिवर्स क्यों हो गया?
हवा बॉल की खुरदुरी साइड से टकराती है तो उसका फ्लो पहले ही टर्बुलेंट हो जाता है. ऐसे में दोनों साइड टर्बुलेंट यानी खुरदुरी वाली हवा बहती है. लेकिन जिस साइड बॉल की सीम होती है वहां की हवा सीम से टकराकर कम टर्बुलेंट हो जाती है.
यहां सीम हवा के खुरदुरेपन पर उल्टा काम करती है. और हवा बॉल से पहले ही दूर हो जाती है. दूसरी वाली तो पूरी साइड खुरदुरी है, ऐसे में वहां की हवा बाद में बॉल से अलग होती है.
सीम उल्टा असर कर रही है.
सीम उल्टा असर कर रही है.

ऐसे में सीम वाली साइड का एयर प्रेशर ज़्यादा हो जाता है और रफ साइड का प्रेशर कम. तो बॉल सीम की उल्टी तरफ स्विंग हो जाती है.

सीधा बच्चा - कॉन्ट्रास्ट स्विंग

कन्वेंशनल स्विंग और रिवर्स स्विंग में हमने देखा कि बॉल की डायरेक्शन और सीम के बीच एक एंगल होना चाहिए. लेकिन सीम को सीधा रखकर भी बॉल को स्विंग कराया जा सकता है. बस सीम की दोनों तरफ के खुरदुरेपन में अंतर (कॉन्ट्रास्ट) होना चाहिए.
सीम सीधी रख कर फेंका गया बस सीम के दोनो तरफ की चमड़ी में अंतर है.
सीम सीधी रख कर फेंका गया बस सीम के दोनो तरफ की चमड़ी में अंतर है.

बॉल की एक साइड स्मूथ रहेगी और दूसरी साइड खुरदुरी. ऐसे में दोनों तरफ के टर्बुलेंस में फर्क रहेगा. उनके प्रेशर में भी फर्क रहेगा. और बॉल ज़्यादा खुरदुरी साइड (कम प्रेशर की साइड) स्विंग हो जाएगी.
बॉल की घिसाई
सीम को किसी एंगल पर फेंकने के बजाए उसे सीधा रखकर फेंकना ज़्यादा आसान होता है. इसलिए फील्डिंग के टाइम ये स्ट्रेटेजी रहती है कि एक साइड लगातार पॉलिश करते रहें और दूसरी साइड खुरदुरी रहे.
आपने फील्डर्स को कई बार बॉल घिसते देखा होगा. दरअसल वो एक साइड को पॉलिश करके उसे स्मूद बनाए रखते हैं. उन्हें अपने कपड़ों से ऐसा करना अलाउड होता है. लेकिन कुछ बॉलर्स स्विंग के लालच में बॉल के साथ ज़्यादा छेड़खानी कर देते हैं. ये करना बॉल टेंपरिंग के अंदर आ जाता है. और ये इल्लीगल भी है.


वीडियो - दुनिया को रिवर्स स्विंग का तोहफ़ा देने वाला महान पाकिस्तानी बोलर

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