कोरोना: सरकार का आरोग्य ऐप सेतु डाउनलोड करने से पहले जान लें, ये काम कैसे करता है
इस ऐप से प्राइवसी का मसला क्यों उठ खड़ा हुआ है?
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कोरोना से बचाने वाले आरोग्य सेतु ऐप का पूरा हिसाब-किताब दे दिया है, देख लो.
भारत सरकार अब चीन और साउथ कोरिया की राह पर है. लॉकडाउन तो हो ही रहा है. टेस्टिंग पर धीरे-धीरे बढ़त बन रही है. लेकिन अब एक ऐप आ गया है. भारत सरकार का. नाम है आरोग्य सेतु. देसी ऐप. कोरोना से बचने के लिए. ऐपल का फ़ोन रखने वाले और ऐंड्रॉइड का फ़ोन रखने वाले. सभी आराम से डाउनलोड कर सकते हैं. जल्दी ही उस डाउनलोड करने वाली जगह — जिसे आप प्ले स्टोर या ऐप स्टोर कहते हैं — में उपलब्ध हो जाएगा.
लेकिन ये ऐप क्या है? क्यों है? क्या काम करेगा? कैसे काम करेगा? और क्या सवाल हैं? सब बतायेंगे आपको. एकदम आसान भाषा में. क्यों बनाया गया है आरोग्य ऐप?
कोरोना के संक्रमण से ग्रस्त कुछ देशों में ऐप बनाए गए. चीन ने फ़ेमस वेबसाइट अली बाबा के साथ मिलकर ऐप का निर्माण किया. इस ऐप में जोन बने हुए थे. कोरोना से ज़्यादा प्रभावित इलाके इस ऐप में ग्रीन और रेड से मार्क किए होते थे. साउथ कोरिया ने भी ऐप बनाया. इस ऐप से कोरोना से प्रभावित लोग किन-किन लोगों से मिले, इसकी भी जानकारी उपलब्ध हो जा रही थी. इस जानकारी को कांटैक्ट ट्रेसिंग कहा गया. भारत भी इसी राह पर. ऐप इसलिए बनाया गया कि कोरोना के मरीज़ पर नज़र रखी जा सके. मरीज़ कहां-कहां जा रहा? किससे-किससे मिल रहा? इस सबकी जानकारी पुख़्ता रखी जा सके.
क्या-क्या होगा ऐप में?
सबसे पहली बात ये ऐप अंग्रेज़ी के अलावा 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है. आपके द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर ये ऐप आपको बताएगा कि आप कोरोना पॉज़िटिव होने से सेफ़ हैं या नहीं. इसके साथ ही ऐप आपको ये भी जानकारी देगा कि आप किसी कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति के सम्पर्क में आए हैं या नहीं. साथ ही अगर कोई कोरोना पॉज़िटिव या ऐसे ही लक्षणवाले व्यक्ति आइसोलेशन में न होकर अगर पब्लिक स्पेस में है, तो भी इसकी जानकारी प्रशासन के पास पहुंच जाएगी. इसके अलावा इस ऐप में कोरोना से बचाव के लिए सभी ज़रूरी गाइडलाइन और सुझाव भी नत्थी किए गए हैं. सबकुछ कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए. कैसे काम करेगा ऐप?
सबसे पहले अपने फ़ोन के ऐप स्टोर या प्ले स्टोर से ऐप को डाउनलोड करना होगा. इंस्टाल हुआ. ऐप खोलिए. अपनी सहजता की भाषा चुनिए. अपना फ़ोन नम्बर भरिए. OTP आएगा. उसकी मदद से अकाउंट बनाइये. अपनी डिटेल भरिए. नाम, पता, उम्र और तमाम. इस स्टेप पर आपसे ईमानदारी की अपेक्षा की जाती है. ईमानदारी कि आप अपनी सही जानकारी देंगे. इस समय ऐप आपसे परमिशन भी मांगेगा. एक तो आपके फ़ोन का GPS इस्तेमाल करने की परमिशन और आपके फोन का ब्लूटूथ इस्तेमाल करने की परमिशन. जानकारी-परमिशन के बाद ऐप आपसे पूछेगा कि आपने बीते कुछ दिनों में किन-किन देशों की यात्रा की है. बहुत सारे देशों की लिस्ट है. वहाँ पर भी ईमानदारी से बताना होगा. जवाब देना होगा. इसके बाद आपसे कुछ बेसिक से सवाल पूछे जायेंगे. सही जवाब दीजिए. उसके बाद ऐप आपको बताएगा कि आप सेफ़ हैं या नहीं हैं.
GPS और ब्लूटूथ की मदद से ऐप इस बात का पता लगाएगा कि क्या आप किसी कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति के सम्पर्क में तो नहीं आए हैं? इसका पता कैसे? इसका पता भी तभी चल सकता है कि यदि कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति ने भी इस ऐप को इंस्टॉल कर रखा हो. इसको निश्चित करने के लिए सरकार कैम्पेन के माध्यम से ‘आरोग्य सेतु’ ऐप का प्रचार करने जा रही है, ऐसी ख़बरें चल रही हैं. अब अगर आप सम्पर्क में आ गए. तो प्रशासन से सम्पर्क कीजिए. नहीं करते तो? तो ऐप में आपका हिसाब-किताब पड़ा ही हुआ है. स्वास्थ्य विभाग को ख़ुद पता लग जाएगा. और बाक़ी आगे जांच, आइसोलेशन और उस हिसाब से ट्रीटमेंट.
ऐप पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
चीन और साउथ कोरिया वाले ऐप पर भी उठे थे. कहा था कि लोगों की निजता यानी प्राइवसी भंग हो रही है. भारत वाले पर भी वैसे ही सवाल हैं. सरकार का दावा है कि लोगों की लोकेशन और उनके मूवमेंट की जानकारी रखने वाला ये ऐप “प्राइवसी-फ़र्स्ट” के सिद्धांत पर बनाया गया है. ऐप के यूज़र का जो भी डेटा ये ऐप लेता है, वो encrypted है. ऐसा सरकार का दावा है. ये भी कहना है कि यूज़र के डेटा का ग़लत इस्तेमाल नहीं होगा. लेकिन यही पर पेच है. दिल्ली के वक़ील एस प्रसन्ना इंडीयन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताते हैं,
“लोगों का जो डेटा लिया जा रहा है, वो आगे किस इस्तेमाल में लिया जा सकता है, इसकी कोई गारंटी नहीं है. अगर डेटा को भारत सरकार के साथ साझा कर लिया जाता है, तो सरकार लोगों को बताए कि इन आँकड़ों का वो आगे आने वाले समय में क्या करने वाली है? ये भी नहीं पता है कि कोरोना का संक्रमण ख़त्म होने के कितने समय बाद तक सरकार के पा ये डेटा रहेगा.”लेकिन फ़िलहाल सरकार और लोगों को इस ऐप की ज़रूरत महसूस हो रही है. साउथ कोरिया, सिंगापुर और चीन जैसे देशों ने दबाकर इस ऐप का इस्तेमाल किया. कांटैक्ट ट्रेसिंग में बहुत मदद मिली. लोकेशन और ब्लूटूथ की मदद से. सरकार बता रही है कि ज़रूरी है मामला. तभी तो लॉंच होने के तीन दिनों के भीतर इस ऐप के 50 लाख से ज़्यादा डाउनलोड हो चुके हैं.
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