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ब्रिटेन में चीनी जासूस का खुलासा, भारत का क्या कनेक्शन?

जासूस को लेकर MI5 के खुलासे ने ब्रिटिश सरकार की नींद उड़ा दी है

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जासूस को लेकर MI5 के खुलासे ने ब्रिटिश सरकार की नींद उड़ा दी है
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अभिषेक
14 जनवरी 2022 (Updated: 14 जनवरी 2022, 05:54 PM IST) कॉमेंट्स
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‘धड़कन’ फ़िल्म का वो गाना याद है! समीर का लिखा. नुसरत फ़तेह अली ख़ान एंड क़व्वाल पार्टी का गाया. दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता है. इस गाने में एक हिस्सा आता है, पल भर में कैसे बदलते हैं रिश्ते, अब तो हर रिश्ता बेगाना लगता है साल था 2019. तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे चीनी मूल की एक वकील की शान में कसीदे पढ़ रहीं थी. थेरेसा मे ने उसको ‘पॉइंट ऑफ़ लाइट’ अवॉर्ड भी दिया था. वकील का नाम, क्रिस्टीन ली. कट टू 2022. ब्रिटेन की डोमेस्टिक इंटेलिजेंस एजेंसी MI5 एक अलर्ट जारी करती है. बकौल अलर्ट, एक वकील चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की शह पर ब्रिटेन के नीति-निर्माता सांसदों को प्रभावित कर रही है. वकील का नाम, क्रिस्टीन ली. दो साल, अंतर बेमिसाल. एक समय तक सत्ता के गलियारों में पैठ रखने वाली क्रिस्टीन ली ब्रिटेन के लिए ख़तरा बन गईं है. थेरेसा मे ने जो अवॉर्ड 2019 में दिया था, अलर्ट जारी होने के बाद उसे भी वापस ले लिया गया है. आज जानेंगे, MI5 की चेतावनी का मतलब क्या है? क्रिस्टीन ली की असली कहानी क्या है? और, आगे क्या होने वाला है? साल 1921. जुलाई महीने की पहली तारीख़ थी. चीन में कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की स्थापना हुई. इसकी प्रेरणा रूस की बोल्शेविक क्रांति से मिली थी. CCP की स्थापना से दो बरस पहले सन यात सेन ने कुओमितांग पार्टी (KMT) बनाई थी. सन यात सेन चीन में राजशाही विरोधी क्रांति के अगुआ थे. 1920 के दशक के शुरुआती सालों में CCP और KMT के बीच दोस्ती बनी रही. 1926 में सन यात सेन की मौत हो गई.  इसके बाद KMT की कमान च्यांग काई-शेक के हाथों में आ गई. उसने समूचे चीन को एक सूत्र में पिरोने का प्लान बनाया. च्यांग की सेना ने ने रीजनल वॉरलॉर्ड्स को हराने के लिए नॉर्दर्न एक्सपीडिशन शुरू किया. CCP ने इसका विरोध किया. च्यांग ने कम्युनिस्ट पार्टी से नाता तोड़ लिया. वो कम्युनिस्टों को मिटाने पर तुला हुआ था. इसी क्रम में 12 अप्रैल 1927 को शंघाई में भीषण नरसंहार हुआ. KMT ने कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े पांच हज़ार से अधिक लोगों की हत्या की. CCP पर विलुप्ति का ख़तरा मंडरा रहा था. मगर ऐसा हुआ नहीं. क्यों नहीं हुआ, इसके पीछे एक बड़ी वजह थी. दरअसल, CCP ने भारी संख्या में शिक्षकों, बुद्धिजीवियों, लेखकों, छात्रों, उद्योगपतियों और दूसरे प्रभावशाली लोगों से दोस्ती गांठी थी. ये लोग सीधे तौर पर कम्युनिस्ट पार्टी से नहीं जुड़े थे. लेकिन पार्टी के समर्थन में अपनी बात रखा करते थे. वे CCP को लोकतांत्रिक और हितकारी साबित करने की कोशिश करते रहते थे. इस तरह से चीन के भीतर CCP की छवि मज़बूत होती गई. उन्हें कई छोटे-मोटे गुटों का समर्थन मिलने लगा. पार्टी के विरोधी चाहकर भी कुछ बिगाड़ नहीं पाते थे. इस चाल ने CCP को प्रासंगिक बनाए रखा. ये सब सिस्टमैटिक ढंग से चल रहा था. पूरा कॉन्सेप्ट आगे चलकर यूनाइटेड फ़्रंट वर्क डिपार्टमेंट (UFWD) के नाम से जाना गया. 1949 में कम्युनिस्टों ने च्यांग काई-शेक की सेना को हरा दिया. इसके बाद चीन यूनाइटेड फ़्रंट वाले सिस्टम को देश से बाहर लागू किया. फ़ाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, UFW का मुख्य मकसद है, विदेशी दुश्मन को विफल करने के लिए बाहरी शक्तियों को एकजुट करना. यूनाइटेड फ़्रंट विदेशों में चीन के लिए समर्थन जुटाने का काम करती है. कैसे? अगर कोई व्यक्ति या संस्था चीन के प्रति उदार है तो उसे अपनी तरफ़ मिलाने की कोशिश की जाती है. उन्हें कभी पैसे के ज़रिए तो कभी किसी और तरीके से. अगर वे चीन के प्रति उदार नहीं हैं, तो उनके ख़िलाफ़ प्रोपेगैंडा शुरू कर दिया जाता है. यूनाइटेड फ़्रंट को सीधे CCP हाईकमान से निर्देश मिलते हैं. 2017 की एक रिपोर्ट में फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने यूनाइटेड फ़्रंट के मैनुएल को रिव्यू किया. इस मैनुएल में एक जगह लिखा है, यूनाइटेड फ़्रंट एक चमत्कारी हथियार है, जो हमें हज़ारों मुश्किलों से निकाल सकती है. आज हम चीन के यूनाइटेड फ़्रंट की कहानी क्यों सुना रहे हैं? दरअसल, ब्रिटेन की सिक्योरिटी एजेंसी MI6 ने एक बड़ा बम फोड़ा है. MI5 ने ब्रिटिश संसद को आगाह किया है कि क्रिस्टीन ली गुप्त तरीके से यूनाइटेड फ़्रंट के दिशानिर्देश पर काम कर रहीं है. आशंका ये भी है कि वो लंबे समय से ब्रिटेन की सरकारी नीतियों को भी प्रभावित कर रहीं है. ली ने कई ब्रिटिश सांसदों, पॉलिटिकल पार्टियों और उभरते नेताओं को समय-समय पर ख़ूब सारा डोनेशन दिया है. इनमें से एक नाम बैरी गार्डिनर का भी है. वो 1997 से ब्रेंट नॉर्थ से चुनाव जीत रहे हैं. गार्डिनर 2016 से 2020 तक ऊर्जा मंत्रालय में शैडो मिनिस्टर के तौर पर भी काम कर चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, क्रिस्टीन ली की लॉ फ़र्म ने गार्डिनर को लगभग 06 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया है. इसके अलावा, गार्डिनर ने ली के एक बेटे को अपने दफ़्तर में नौकरी भी दी. MI5 की चेतावनी के बाद उसने नौकरी छोड़ दी है. बैरी गार्डिनर का एक भारतीय कनेक्शन भी है. जनवरी 2020 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था. गार्डिनर जिस इलाके से आते हैं, वहां भारतीय समुदाय के लोगों का बोलबाला है. उन्हें भारतीय और ब्रिटिश समुदाय के बीच रिश्ते प्रगाढ़ करने के लिए ये पुरस्कार दिया गया था. अभी ये पता नहीं चल सका है कि गार्डिनर ने भारत से जुड़ी किसी पॉलिसी को प्रभावित किया या नहीं. हालांकि, इस खुलासे को लेकर भारत सरकार चिंतित ज़रूर होगी. MI5 के खुलासे के बाद गार्डिनर ने बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि क्रिस्टीन ली के डोनेशन के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को पूरी जानकारी है. मैंने कुछ छिपाया नहीं है. MI5 की चेतावनी के खुलासे के बाद ब्रिटिश सरकार में हड़कंप मचा हुआ है. गृहमंत्री प्रीति पटेल ने कहा कि आने वाले दिनों में और भी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकतीं है. हमें उसके लिए तैयार रहना चाहिए. चीन ने इस मसले पर क्या कहा? लंदन स्थित चीनी दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि चीन दूसरे देशों के आंतरिक मसलों में दखल नहीं देता. हम किसी भी देश की संसद में हस्तक्षेप नहीं करते. हमें इसकी ज़रूरत नहीं है. चीनी दूतावास ने आरोप लगाया कि ये चीनी समुदाय के लोगों को बदनाम करने की साज़िश है. जहां तक क्रिस्टीन ली की बात है, वो 1974 में हॉन्ग कॉन्ग से आयरलैंड आईं थी. अपने माता-पिता के साथ. वो ब्रिटेन में ही बस गईं. क्रिस्टीन ने वक़ालत की पढ़ाई की. और, फिलहाल लंदन स्थित चीनी दूतावास की चीफ़ लीगल एडवाइज़र के तौर पर काम कर रहीं है. ब्रिटेन के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ उनकी तस्वीरें हैं. 2019 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा मे से अवॉर्ड भी दिया था. क्रिस्टीन ली ने ब्रिटिश चाइनीज़ प्रोजेक्ट (BCP) की स्थापना भी की थी. ये एक नॉन-प्रॉफ़िट संगठन है. ये संगठन चीनी और ब्रिटिश समुदाय के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए काम करता है. बैरी गार्डिनर BCP के प्रचार-प्रसार के लिए भी काम कर चुके हैं. MI5 का अलर्ट आने वाले दिनों में क्या गुल खिलाने वाला है, ये देखने वाली बात होगी.

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