The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Avadh Ojha Sir interview with Lallantop: Gonda and his 'dabang' mother

अवध ओझा की मां ने वकील को किस बात पर कूट दिया था?

ओझा सर पर 19 साल की उम्र में 19 केस क्यों थे?

Advertisement
avadh ojha lallantop
फोटो - सोशल मीडिया
pic
लल्लनटॉप
12 नवंबर 2022 (Updated: 13 नवंबर 2022, 01:43 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

गेस्ट इन द न्यूज़रूम में लल्लनटॉप के मेहमान बने अवध ओझा. अवध ओझा (Ojha Sir) एक लोकप्रीय टीचर, आंत्रप्रेन्यॉर और काउंसलर हैं. यूट्यूब पर इनके वीडियोज़ भयंकर वायरल रहते हैं. लेकिन, सबसे ज़रूरी बात एकदम लल्लनटॉप आदमी हैं. GITN की इस कड़ी में हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने अवध ओझा (Avadh Ojha) ने हर मसले पर तबियत से बात की. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर नेहरू और महात्मा गांधी तक.

सवाल-जवाब के इसी सिलसिले में अवध ओझा ने अपने इलाक़े के बारे में बताया. और, बताया कि उस दौर में उनकी मां को अपने पेशे की वजह से कैसे संघर्ष करने पड़े.

"मैं गोंडा जनपद से हूं. हमारा इलाक़ा बहुत सामंतवादी है. और, हमारे इलाक़े में रहने के लिए दो एलिजिबिलिटी हैं - या तो आप IAS अफ़सर हैं या अपराधी, क्योंकि आपको अपनी ज़मीन बचानी है. सबसे ज़्यादा लड़ाई ज़मीन की ही है. गांवदारी के विवाद के चक्कर में हमारे माता-पिता लंबे समय तक बाहर रहे. गांव नहीं जा पाए. जबकि हमारी माता जी वक़ील थीं, लेकिन बाहुबली वक़ील नहीं थीं. हालांकि, उन्हें भी अपने शुरुआती दिनों में किसी को मारना पड़ा था..."

इतना सुन न्यूज़रूम में घुप्प सन्नाटा. फिर दबी हुई हंसी. इसके बाद सौरभ ने पूछा, "भाई साहब, ये लघु-उत्तरीय नहीं, दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न है. खुलकर बताएं."

"असल में, 1980 में मेरी मां ने प्रैक्टिस शुरू की थी और उस समय गोंडा जैसे शहर में लड़कियों के लिए वक़ालत अभिशाप माना जाता था. उस शहर में 1980 में वो इकलौती महिला वक़ील थीं. और, लोग मज़ाक बनाते थे कि महिला कचहरी जा रही हैं. तो शायद ऐसा किसी ने कह दिया था कि अरे तुम्हारा तो काम है लाली लिपस्टिक लगाकर घर में बैठने का तुम कहां कचहरी आ रही हो मुक़दमा लड़ने के लिए तो फिर कूटना पड़ा उसे. उसको मारने के बाद ही मम्मी का कैरियर शुरू हुआ. नाम करने के दो ही तरीक़े हैं. या तो पॉज़िटिवली कर लो, या इस तरह से नेगेटिवली. लेकिन ये क़दम उनके लिए बड़ा काम आया. बात फैल गई कि बड़ी-बड़ी दबंग वक़ील, डेयरिंग महिला हैं."

अवध ओझा ने बताया कि आपसदारी के विवाद और झगड़े की वजह से जब वो 19 साल के हुए, तब तक उनपर 19 केस थे. लेकिन फिर आश्रमों में आने-जाने और अध्ययन की तरफ़ रुझान ने उनका जीवन बदला.

पूरा इंटरव्यू यहां देख लीजिए

Advertisement