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सेना की भर्ती में बड़ा घोटाला, कई बड़े ऑफिसर्स पर केस

करीब आधा दर्जन लेफ्टिनेंट कर्नल लेवल के अधिकारियों के नाम आए हैं.

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सेना में भर्ती के नाम पर जिस तरह के घोटाले के आरोप लग रहे हैं वो हैरान करने वाले हैं. 6 लेफ्टिनेंट कर्नल लेवल के अधिकारियों के नाम आ रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीरें: PTI)
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अमित
16 मार्च 2021 (Updated: 16 मार्च 2021, 01:21 PM IST) कॉमेंट्स
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हमारे देश में एग्जाम में पेपर लीक, भर्ती के लिए सिफारिश, घूस देकर नौकरी लेने जैसे मामले अक्सर सुनने में आते हैं. लेकिन सेना एक ऐसी संस्था मानी जाती है, जहां इस तरह के हथकंडे नहीं चलते. यहां उच्च पदों पर ऐसे मामले कम ही जानने में आते हैं. हालांकि इस सच्चाई से मुंह नहीं फेरा जा सकता कि भ्रष्टाचार के घुन से सेना भी बची नहीं है. एक नया मामला इसकी मिसाल है. खबर है कि सेना में भर्ती के नाम पर कैंडिडेट्स से घूस ली गई. इस घोटाले में सेना के 17 अधिकारियों का नाम आया है. इनमें लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर जैसे पदों पर बैठे बड़े अधिकारी शामिल हैं. कैसे सामने आया घोटाला? हर विभाग की तरह सेना में भी एक विजिलेंस विभाग होता है. इसे ब्रिगेडियर लेवल का अधिकारी हेड करता है. सेना के ऐसे ही विजिलेंस ऑफिसर हैं ब्रिगेडियर वीके पुरोहित. उन्हें 28 फरवरी 2021 को यह जानकारी मिली कि सेना में भर्ती के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है. ब्रिगेडियर पुरोहित को सूत्रों ने बताया कि कुछ ऐसे लोग हैं जो पहले मेडिकल एग्जाम में फेल हो चुके हैं और अब 'सेटिंग' से पास करवाए जा रहे हैं. यह सारा गोरखधंधा दिल्ली के बेस हॉस्पिटल में चल रहा था. वीके पुरोहित को यह जानकारी भी मिली कि इस काम में सेना के कई सीनियर अधिकारी शामिल हैं.
जांच में एक एक नायब सूबेदार का नाम सामने आया है. उस पर आरोप है कि एक हवलदार के बेटे का एसएसबी (सेना में अधिकारियों का फाइनल चयन करने वाला बोर्ड) में सेलेक्शन कराने के लिए हवलदार से पैसे लिए. यह बात भी पता चली कि एक लेफ्टिनेंट कर्नल ने भी अपने सेलेक्शन के लिए इसी नायब सूबेदार और एक अन्य लेफ्टिनेंट कर्नल को 10 लाख रुपये की घूस दी थी.
घोटाले के बारे में जानकर साफ पता चलता है कि करप्शन के इस सिस्टम की जड़ें काफी गहरी हैं. चूंकि भर्ती की प्रक्रिया में आम लोग शामिल हैं, ऐसे में ब्रिगेडियर पुरोहित ने इस पूरे मामले की जानकारी सीबीआई को दी. 3 मार्च 2021 को मामला दर्ज करके सीबीआई ने मौजूदा जानकारी के आधार पर जांच की और बड़ा एक्शन लिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सीबीआई को मिली जानकारी के हवाले से रिपोर्ट दी है कि मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान और नायब सुबेदार कुलदीप सिंह के नाम मुख्य रूप से सामने आ रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान को पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. बताया गया है कि वे फिलहाल शैक्षिक अवकाश पर हैं.
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सेना में भर्ती के नाम पर जिस तरह के घोटाले के आरोप लग रहे हैं वो हैरान करने वाले हैं. 6 लेफ्टिनेंट कर्नल लेवल के अधिकारियों के नाम आ रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: एएनआई)
30 जगहों पर छापेमारी सेना में हुए भर्ती घोटाले की जानकारी मिलने के 10 दिन बाद सीबीआई ने सोमवार को कई राज्यों की 30 जगहों पर छापेमारी की. इनमें दिल्ली, पंजाब (कपूरथला और बठिंडा), हरियाणा (कैथल और पलवल), उत्तर प्रदेश (लखनऊ, बरेली और गोरखपुर), आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम), राजस्थान (जयपुर) और असम (गुवाहाटी, जोरहाट और चिरंगांव) जैसे राज्यों के ठिकाने शामिल हैं. सीबीआई ने बताया है कि इन छापों में कई कागजात मिले हैं जिनकी जांच की जा रही है. उसके मुताबिक, सेना भर्ती घोटाला मामले के संबंध में तलाशी अभियान चलाया गया था. जांच एजेंसी ने बताया कि इस केस में लेफ्टिनेंट कर्नल, मेजर, नायब सूबेदार, सिपाही सहित 17 आर्मी ऑफिसर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. कौन से अधिकारियों के नाम आए? पीटीआई के मुताबिक, सेना मुख्यालय की शिकायत के आधार पर सीबीआई की FIR में जिन बड़े अधिकारियों के नाम शामिल हैं, उनमें मेजर भावेश कुमार, लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल वाई एस चौहान, लेफ्टिनेंट कर्नल सुखदेव अरोड़ा, लेफ्टिनेंट कर्नल विनय, लेफ्टिनेंट नवजोत सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान, नायब सूबेदार कुलदीप सिंह, कैडेट हेमंत डागर, कैडेट इंद्रजीत, हवलदार पवन कुमार, सिपाही रोहित कुमार, हवलदार राजेश कुमार, हवलदार हरपाल सिंह के अलावा मेजर भावेश कुमार की पत्नी देवयानी, उनके पिता सुरेंद्र कुमार, उनकी मां उषा कुमावत, लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह की पत्नी के भाई भूपेंद्र बजाज आदि के नाम शामिल हैं. सीबीआई की FIR में 17 सैन्य कर्मियों सहित कुल 23 लोगों के नाम हैं. इसके अलावा अन्य अज्ञात लोगों के नाम भी शामिल किए गए हैं. बड़े पदों पर तैनात हैं आरोपी अधिकारी घोटाले में कथित रूप से शामिल कई अधिकारी सेना में बड़े और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त हैं. मसलन मेजर भावेश कुमार नॉर्थ कपूरथला में सेना की भर्ती शाखा में ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर के पद पर तैनात हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल सुखदेव अरोड़ा नई दिल्ली में महानिदेशक भर्ती के ऑफिस में जॉइंट डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं. आरोप है कि इन लोगों ने भर्ती में आए अलग-अलग लोगों से रिश्वत की रकम ली थी. सीबीआई ने इनके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र समेत भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. चेक और UPI से दी गई घूस इस केस में एक और बात हैरान करती है. इसमें घूस भी बहुत लीगल तरीके से दी गई है. खबर के मुताबिक, कई मामलों  में यह घूस नगद के अलावा चेक के जरिए भी दी गई थी. बैंक से बैंक में पैसा भी ट्रांसफर किया गया था.इस तरह के भी सबूत मिले हैं कि रुपए डिजिटल पेमेंट मोड यूपीआई के जरिए ट्रांसफर किए गए. इस तरह के ट्रांजैक्शन का पता आसानी से लगाया जा सकता है.
मामले में चौंकने वाली बात यह भी रही कि घूस कैश लेने के अलावा चेक और बैंक ट्रांस्फर के जरिए भी ली गई. (सांकेतिक तस्वीर)
मामले में चौंकने वाली बात यह भी रही कि घूस कैश लेने के अलावा चेक और बैंक ट्रांस्फर के जरिए भी ली गई. (सांकेतिक तस्वीर)
अधिकारियों के परिवारवाले भी शामिल इस पूरे मामले में सेना के अधिकारियों के परिवारवालों का नाम भी सामने आया है. खबर के मुताबिक, 10-15 कैंडिडेट से घूस की रकम लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेंद्र सिंह और मेजर भावेश कुमार के रिश्तेदारों ने जमा की. सीबीआई ने मेजर भावेश कुमार की पत्नी देवयानी, पिता सुरेंद्र कुमार और मां ऊषा कुमावत को भी स्कैम का पैसा लेने के लिए नामजद किया है. इसी तरह से सुरेंद्र सिंह की पत्नी के भाई भूपेंद्र बजाज को कथित रूप से कैंडिडेट्स से पैसे वसूलने के लिए आरोपी बनाया गया है. मुख्य आरोपी नायब सुबेदार कुलदीप के लिए प्रगति सिंह नाम की महिला ने कथित रूप से घूस की रकम वसूली थी.
सेना ने अपनी शिकायत में कहा है कि घोटाले में जिन अधिकारियों और आम लोगों का नाम लिया गया है उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. मंगलवार को खबर लिखे जाने तक सेना की तरफ से इस मामले पर कोई स्टेटमेंट नहीं दिया गया था.

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