क्या है NTRO, जिसकी बात एयर स्ट्राइक में मारे गए लोगों का सबूत मानी जा रही है
जानिए, इस खुफिया एजेंसी के बारे में बहुत कुछ...
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पाकिस्तान का बालाकोट, जिसके बारे में एनटीआरओ ने सूचनाएं जुटाईं. फाइल फोटो. रॉयटर्स.
इस एजेंसी का नाम NTRO है. एनटीआरओ केंद्र सरकार के अधीन एक संगठन है. इसका काम खुफिया जानकारी जुटाना है. एनटीआरओ के इस दावे के बाद ये संगठन अचानक सुर्खियों में आ गया है. एनटीआरओ क्या है? ये कैसे और क्या काम करता है? ये सीबीआई, रॉ और इंटेलिजेंस ब्यूरो से कैसे अलग है? आइए जानते हैं. एनटीआरओ को समझने से पहले सीबीआई, रॉ और इंटेलीजेंस ब्यरो को भी समझना जरूरी है.

सीबीआई केंद्र सरकार की जांच एजेंसी है. फाइल फोटो.
सीबीआई, रॉ और आईबी से कितना अलग है ये एनटीआरओ? # भारत में कई जांच और खुफिया एजेंसी हैं. इनमें सीबीआई, रॉ, आईबी और एनटीआरओ का नाम शामिल है. इन सभी एजेंसियां का काम अलग-अलग है. सभी का मकसद देश की सेवा करना है. सीबीआई केंद्र सरकार की एक मुख्य एजेंसी है. ये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों और राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की जांच करती है. ये मुख्य रूप से एक जांच एजेंसी है.
#आईबी यानी इंटेलिजेंस ब्यूरो एक खुफिया एजेंसी है. ये देश के अंदर आतंकवाद और उग्रवाद की समस्याओं से निपटने के लिए संदिग्ध लोगों पर नजर रखती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो का गठन ब्रिटिश शासन के वक्त किया गया था. इसका मकसद देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है. ये एजेंसी उन तत्वों पर नजर रखती है, जो देश को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आईबी मुख्य रूप से आतंकवाद के अलावा वीआईपी सुरक्षा, देश विरोधी गतिविधियों पर नियंत्रण, सीमावर्ती क्षेत्रों में खुफिया जानकारी जुटाना और बुनियादी संरचना के रखरखाव जैसे काम करती है. इंटेलिजेंस ब्यूरो, तकनीकी रूप से गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करता है.
#साल 1968 तक इंटेलिजेंस ब्यूरो ही भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी थी. यही एजेंसी भारत की आंतरिक और बाहरी खुफिया सूचनाएं उपलब्ध कराती थी. मगर जब 1962 और 1965 के युद्ध में भारत की खुफिया एजेंसी नाकाम हो गई. तो सरकार ने बाहरी माने भारत से बाहर खुफिया ऑपरेशनों के लिए 1968 में अलग से रॉ यानी रिसर्च एंड एनॉलिसिस विंग के नाम की एक नई खुफिया एजेंसी बनाई.
#रॉ, भारत के पड़ोसी देशों की गतिविधियों पर नजर रखती है. इसका मुख्य फोकस पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों पर रहता है. रॉ, भारत के नीति निर्माताओं और सेना को खुफिया जानकारी मुहैया कराता है. रॉ ने बांग्लादेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

NTRO सैटेलाइट के जरिए जल, थल और नभ में निगरानी करता है. फाइल फोटो.
और अब जानते हैं कि ये एनटीआरओ क्या होता है?#साल 1999 में कारगिल का युद्ध हुआ. ये युद्ध हमारी खुफिया एजेंसियों की नाकामी माना जाता है. कारगिल में पाकिस्तान के हजारों सैनिक भारतीय सीमाओं के अंदर तक आ गए. और उन्होंने यहां चौकियां और बंकर बना लिए. मगर रॉ और आईबी जैसी भारत की खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी.
#कारगिल युद्ध के बाद के सुब्रह्मण्यम की अगुवाई में एक कमेटी बनाई गई. लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केके हजारी, बीजी वर्गीज और सतीश चंद्रा जैसे नामचीन लोग इस कमेटी के सदस्य थे. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कारगिल युद्ध में खुफिया एजेंसियां बुरी तरह नाकाम रहीं.
#सुब्रह्मण्यम कमेटी की ऐसी रिपोर्ट के बाद उस वक्त के रक्षा सलाहकार डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने नैशनल टेक्निकल फसिलिटीज ऑर्गनाइजेशन यानी NTFO का रोडमैप तैयार किया. केंद्र सरकार आंतरिक सुरक्षा पर बनी एक कमेटी ने भी इसकी जरूरत महसूस की. इस कमेटी के अध्यक्ष उस वक्त के उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी थे. इसके बाद ही NTFO का के गठन का रास्ता साफ हुआ. साल 2004 में इसका संगठन NTRO यानी नेशनल टेक्निकल रिसर्स ऑर्गनाइजेशन के रूप में सामने आया.
क्या काम है एनटीआरओ का?#NTRO राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जानकारियां खुफिया तौर पर जुटाता है. फिर इन सूचनाओं को सरकार सेना और अन्य संगठनों के साथ साझा करता है. ये संगठन सर्विलांस और सैटलाइट के जरिए खुफिया निगरानी करता है. अंतरिक्ष में भेजे गए भारतीय सैटलाइट के जरिए ये देखते हैं कि धरती पर कहां क्या हो रहा है. इसके अलावा इंटरनेट और मोबाइल फोन आदि की मॉनीटरिंग भी इस संगठन का काम है.
#नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के तहत एक नेशनल क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर बनाया गया है. ये सेंटर सैटलाइट के जरिए देश के अहम बुनियादी ढांचों मसलन सैन्य प्रतिष्ठानों और केंद्रीय संस्थानों की 24 घंटे निगरानी करता है. सेंटर सैटलाइट के जरिए मॉनिटरिंग करता है. इस सेंटर के जिम्मे हवाई ड्रोन से लेकर समंदर के भीतर तक निगरानी करना है. देश भर में बिछाए गए इंटरनेट फाइबर नेटवर्क पर नजर रखना भी इसके जिम्मे है.
#NTRO भारत की ओर से अंतरिक्ष में भेजे गए टेक्नॉलजी एक्सपेरिमेंट सैटलाइट यानी TES और कार्टोसेट-2बी के जरिए निगरानी करता है. ये संगठन RISAT-1 और RISAT-2 नाम के दो रडार सैटलाइट के जरिए आने वाली तस्वीरों के जरिए भी खुफिया जानकारी जुटाता है.
#RISAT-1 सैटलाइट अप्रैल 2012 में भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में भेजा था. इसमें सी बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार यानी SAR पेलोड लगा है, जो अच्छी क्वॉलिटी की तस्वीरें भेजने में सक्षम है. RISAT-2 को भारत सरकार ने इजराइल से अधिग्रहीत किया है. इसे साल 2009 में अंतरिक्ष में भेजा गया था.
#इन दोनों सैटलाइट के जरिए ये संगठन जल, थल और नभ में निगरानी करता है. एजेंसी दूरदराज के इलाकों की हवाई निगरानी करती है. तरह-तरह के डेटा जुटाती है. फिर उनका विश्लेषण करती है. साइबर सुरक्षा संबंधी काम भी यही एजेंसी करती है. सामरिक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की निगरानी भी इसके जिम्मे है.

एनटीआरओ प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तहत काम करता है. सांकेतिक तस्वीर.
सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन काम#NTRO सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तहत काम करता है. देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस वक्त अजीत डोभाल हैं. जाहिर है वही इस संगठन के मुखिया हैं. संगठन देश की सेना, अर्धसैनिक बलों और दूसरे संगठनों को खुफिया सूचनाएं उपलब्ध कराता है.
#बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के कैंप में 300 मोबाइल फोन ऐक्टिव होने के बाबत NTRO की एक ऐसी ही रिपोर्ट है. इसमें सैटलाइट से मिली तस्वीरों और इंटरनेट-मोबाइल फोन के विश्लेषण के आधार पर NTRO की ओर से ऐसा दावा किया गया है.
NTRO की रिपोर्ट कितनी भरोसेमंद#दिसंबर, 2014 में NTRO की खुफिया सूचना पर कराची से भारत की ओर आ रही एक पाकिस्तानी बोट को पोरबंदर में भारतीय सीमा से 200 किलोमीटर दूर देखा गया. NTRO की सूचना पर भारतीय नेवी ने इस बोट का पीछा किया. इस पर ये कराची की ओर वापस लौटती दिखी. कुछ ही देर में इस बोट में आग लग गई. फिर ये पानी में डूब गई. इसमें 4 सवार भी दिखाई दिए थे. तो एनटीआरओ की रिपोर्ट देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए कारगर साबित हुई हैं. वैसे सीआरपीएफ जैसे अर्धसैनिक बल कई बार नक्सल एरिया के बाबत इस एजेंसी की रिपोर्ट को खारिज कर चुके हैं.
वीडियोः एयर स्ट्राइक के दौरान बालाकोट में ऐक्टिव थे 300 से ज्यादा मोबाइल फोन