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अडाणी के मुंद्रा पोर्ट पर 3000 किलो ड्रग्स मंगाने वालों पर बड़ा खुलासा!

NIA के मुताबिक इस केस में देशभर से गिरफ्तारियां हुई हैं.

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mundra port
मुंद्रा पोर्ट (फोटो: सोशल मीडिया)
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अभिनव पाण्डेय
20 फ़रवरी 2023 (Updated: 20 फ़रवरी 2023, 09:03 PM IST)
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हिंदुस्तान के नक्शे में पश्चिमी छोर पर अंतिम राज्य गुजरात है. गुजरात के कच्छ और जामनगर जिले के बीच में अरब सागर का हिस्सा है. इसी को कहते हैं कच्छ की खाड़ी यानी गल्फ ऑफ कच्छ. सदियों से ये समुद्री रास्ता मसालों और नमक के व्यापार का ये बड़ा केंद्र रहा है. जो अब दुनिया से तमाम जरूरत की चीजों के आयात-निर्यात का सेंटर बन गया है. कच्छ की खाड़ी में तीन बड़े बंदरगाह हैं. पहला कांडला पोर्ट, दूसरा मांडवी और तीसरा जो इनमें सबसे बड़ा है. मुंद्रा पोर्ट.

मुंद्रा पोर्ट का नाम आते ही जहन में एक घंटी बजती है. दो वजहे हैं. पहला तो ये गौतम अडानी के स्वामित्व वाला पोर्ट है, दूसरी वजह ये कि बीते दिनों यहां हजारों करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई.

तारीख 16 सितंबर 2021. इस दिन अडानी पोर्ट पर तैनात DRI और कस्टम की टीमें कुछ ज्यादा ही चौकन्ना नजर आ रही थीं. हर आने-जाने वाले जहाज पर लदे कंटेनर पर बारीकी से नजर रखी जा रही थी. दोनों टीम इसलिए भी ज्यादा चौकन्नी थीं कि क्योंकि आजतक के सूत्रों के मुताबिक जून के महीने में एक बड़ी चूक हुई थी जिससे हेरोइन की बड़ी खेप उनकी नजरों से बच निकली थी. ऐसे में दोनों ही एजेंसियां दबाव में थीं. उन्हें पता चला कि एक ईरानी टैल्कम पाउडर की बड़ी खेप भारत ला रही है. इसे आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के पते पर भेजा जाना है. टैल्कम पाउडर और हेरोइन दोनों ही देखने में लगभग एक जैसे लगते हैं. सफ़ेद पाउडर. अब जैसे ही चिन्हित कंटेनर मुंद्रा बंदरगाह पर पहुंचे, DRI और कस्टम की जॉइंट टीम हरकत में आ गई. जब बताए गए टेल्कम पाउडर वाले कंटेनर की जांच की गई तो एजेंसियों के होश उड़ गए. 2 कंटेनरों में करीब 3000 किलो हेरोइन. एग्जैक्ट कहेंगे तो 2 हजार 988 किलो 210 ग्राम हीरोइन.

इसे भारत क्या दुनियाभर में ड्रग्स की सबसे बड़ी बरामदगी बताया जा रहा है. ड्रग्स की ये खेप कितनी बड़ी थी इसे ऐसे समझा जा सकता है कि इसकी सही कीमत का पता लगाने में ही एजेंसियों को कई दिन लग गए. पहले इसकी कीमत इंटरनेशनल मार्केट में 9000 करोड़ रुपए बताई गई. बाद में पता चला कि इसकी कीमत 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकती है. बाद में जांच NIA को सौंप दी गई. चूंकि पोर्ट को चलाने की जिम्मेदारी बड़े बिजनेसमैन गौतम अडानी की कंपनी की है. तो सोशल मीडिया पर हेरोइन की खेप मिलने को अडानी की कंपनी से जोड़ा-घटाया जाने लगा. कई तरह की अटकलें भी लगाई गईं. लेकिन अब धुंधली तस्वीर कुछ हद तक साफ हो गई है. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA ने दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दालिख कर दी है.

NIA की तरफ से जारी प्रेस रीलीज में बताया गया है, 

"आज  यानी 20 फरवरी 2023 को NIA ने मुंद्रा पोर्ट, गुजरात में 2988.210 किलोग्राम हेरोइन की जब्ती से संबंधित मामले में दूसराआरोप पत्र दायर किया. ड्रग्स की खेप अफगानिस्तान से बंदर अब्बास और ईरान के रास्ते भेजी गई थी. चार्जशीट के मुताबिक अहमदाबाद की विशेष अदालत में धारा 120B, NDPS अधिनियम(1985) की 4 धाराओं में आरोपी बनाया."

इस बड़ी ड्रग्स खेप के मामले में कुल 22 आरोपी हैं. जिनमें कई व्यक्ति हैं और कुछ कंपनियां भी. कौन हैं वो लोग, नोट कीजिए
1- हरप्रीत सिंह तलवार, निवासी, दिल्ली
2- प्रिंस शर्मा, निवासी, दिल्ली
3- रहमतुल्लाह, अफगान नागरिक
4- ईश्विंदर सिंह, निवासी, पानीपथ, हरियाणा
5- जसबीर , निवासी, दिल्ली
6- शाहीनशाह ज़हीर, अफगान नागरिक
7- सुशांत सरकार, निवासी मालदा, पश्चिम बंगाल
आरोप पत्र में कंपनियों के भी नाम हैं.
8- आशी ट्रेडिंग कंपनी
9-  जीसस क्राइस्ट इंपेक्स
10- मैजेंट इंडिया
11- वीके एंटरप्राइजे़ज
12-  व्योम फैशन्स
13- हसन हुसैन लिमिटेड
14-हबीब साहब टैल्क एंड मार्बल प्रोसेसिंग कंपनी
कंपनियों के अलावा कुछ और व्यक्तियों के नाम हैं.
15- वित्याश कोसर, निवासी, दिल्ली
16- फरीदून अमानी, अफगान नागरिक
17- अब्दुल सलाम,अफगान नागरिक
18- मो.अमान,अफगान नागरिक
19- मो. हुसैन,अफगान नागरिक
20- मो. हसन शाह,अफगान नागरिक
21- सुधाकर, निवासी, चेन्नई
22- राजकुमार पेरूमल, निवासी कोयंबटूर, तमिनलाडु

हमने नाम के साथ पता इसलिए भी बताया, ताकि आप अंदाजा लगा सकें कि ये नेक्सेस, ये जाल पूरे देश में किस तरह से फैला है और किस तरह से अफगानिस्तान के लोग भी इसमें इन्वॉल्व हैं. हमने थोड़ा इनके बारे में और सर्च किया.

मुंद्रा पोर्ट ड्रग्स केस में NIA की चार्जशीट में पहले नंबर पर हरप्रीत सिंह तलवार का नाम है. इस ड्रग्स का सिरा खोजने के लिए  NIA ने 24 अगस्त 2022 को दिल्ली, गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल समेत कई जगहों पर छापेमारी की. NIA की इस कार्रवाई में हरप्रीत सिंह तलवार समेत इसी केस के दूसरे आरोपी प्रिंस शर्मा गिरफ्तार हुए. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में हरप्रीत सिंह का नाम रहा... वो इसलिए क्योंकि ये नाम दिल्ली के नामी-गिरामी बिजनेस मैन की फेहरिस्त में शामिल था.

उस वक्त की मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि हरप्रीत दिल्ली के सम्राट होटल में प्लेबॉय नाम से नाइट क्लब चलाता है. पिछले साल 25 अगस्त को इंडिया टुडे में छपी कमलजीत कौर संधू की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी हरप्रीत शेल कंपनियों के जरिए ड्रग्स का आयात करता था. हरप्रीत ने अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल में दावा किया था कि वो सात पबों का मालिक है. सिर्फ इतना ही नहीं हरप्रीत सोशल मीडिया अकाउंट्स पर महंगी कारों और सेलिब्रिटीज़ के साथ तस्वीरें भी शेयर करता रहा है. NIA के मुताबिक हरप्रीत दिल्ली में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के नाम पर कई इंपोर्ट फर्म चलाता है. और इन फर्म्स का इस्तेमाल ड्रग्स के कारोबार में करता है.

अब बात इस केस के दूसरे आरोपियों की. पिछले साल सितंबर में NIA ने दिल्ली के मालवीय नगर में रहने वाले अफगानी नागरिक रहमतुल्लाह और  दिल्ली के ही जसबीर सिंह और हरियाणा के रहने वाले ईश्विंदर सिंह को गिरफ्तार किया था. इनमें से कई नाम ऐसे भी हैं, जिनके बारे में बहुत खोजने पर भी नहीं मिल रहा है. मगर कुछ और के बारे में पता चला. वित्येश कोसर उर्फ राजू. दिल्ली के पीतमपुरा का निवासी और अभी दुबई में है. लिस्ट में अफगानी नागरिक फरिदून अमानी, अब्दुल सलाम नूरजई, मोहम्मद हुसैन और मोहम्मद हसन के नाम शामिल हैं. मोहम्मद हसन और मोहम्मद हुसैन दो भाई हैं जो हसन हुसैन लिमिटेड नाम की फर्म चलाते हैं. इस फर्म को NIA ने पूरे मामले में बड़ा मास्टरमाइंड बताया है. अगला नाम है मोहम्मद इकबाल. इकबाल POK का रहने वाला है. लिस्ट में एम सुधाकर और राजकुमार पेरुमल का नाम भी है. दोनों का संबंध आशी ट्रेडिंग कंपनी से है और इस कंपनी पर अफगानिस्तान से हेरोइन मंगाने का आरोप है.

जिन कंपनियों का नाम है. उसे आपको फिर से रिमांइड कराते हैं.
1. आशी ट्रेडिंग
2. जीसस क्राइस्ट इंपेक्स
3. मैजेंट इंडिया
4. वीके एंटरप्राइजेज
5. व्योम फैशन्स
6. हसन हुसैन लिमिटेड
7. हबीब साहब टैल्क एंड मार्बल प्रोसेसिंग कंपनी

हमने इन सात कंपनियों के बारे में इंटरनेट पर सर्च किया. इनमें से कुछ कंपनियों के बारे में इंटरनेट पर जानकारी लेकिन बाकी की कंपनियां इंटरनेट पर गुमनाम हैं. सबसे पहले बात आशी ट्रेडिंग की. ये कंपनी आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में रजिस्ट्रेड है मामले में आशी ट्रेडिंग कंपनी के मालिक चेन्नई के एम सुधाकर और उनकी पत्नी गोविंदराजू दुर्गा पूर्ण वैशाली को हिरासत में लिया जा चुका है.  

दूसरी कंपनी है जीसस क्राइस्ट इंपेक्स. पश्चिम बंगाल में मालदा के बिजनेसमैन सुशांत सरकार इस कंपनी को चलाते थे. मामले में 26वीं गिरफ्तार के रूप में सुशांत को गिरफ्तार किया गया था. NIA के मुताबिक कंपनी पर भारत में आतंकी गतिविधियों के समर्थन में हेरोइन की अवैध आपूर्ति का आरोप है. NIA ने बताया था कि अफगानिस्तान से ड्रग्स की तस्करी के लिए जीसस क्राइस्ट इम्पेक्स का इस्तेमाल हुआ और ड्रग्स की खेप को दिल्ली में दूसरे आरोपी कबीर तलवार की फर्म तक पहुंचाया गया था.

सातों कंपनियों में सबसे अहम कंपनी है हसन हुसैन लिमिटेड. हसन हुसैन लिमिटेड अफगानिस्तान के कंधार में मौजूद एक कंपनी है. इसे हसन और हुसैन दो भाई मिलकर चलाते हैं. NIA के मुताबिक, इस  कंपनी के जरिए भारत में नवंबर 2020 से सितंबर 2021 के बीच हेरोइन की पांच खेपें भेजी गई थीं. सितंबर 2022 में जब NIA ने दिल्ली से एक अफगान नागरिक रहमतुल्लाह समेत तीन और लोगों को गिरफ्तार किया था, तब इस कंपनी के बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई थी. हसन हुसैन लिमिटेड ने भारत में लगभग 3 हजार किलो हेरोइन भेजने के लिए भारतीय कंपनी आशी ट्रेडिंग का सहारा लिया था. कंपनी की तरफ से हेरोइन को टेल्कम पाउडर बताया गया था. और ड्रग्स भी उसी की तरह सफेद होती है.

NIA ने अपनी अब तक की जांच में पाया है कि
>>हेरोइन की अवैध खेप को भारत में अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गाों के जरिए लाना एक संगठित आपराधिक है, जिसके अभियुक्तों के द्वारा रचा गया था.
>>जांच में इस अपराध में शामिल पूरे नेटवर्क को उजागर किया गया है. साथ ही य भी पता चला है कि हेरोइन को भारत में कई नकली कंपनियों के जरिए आयात किया जा रहा था.
>>मुख्य आरोपी हरप्रीत सिंह तलवार उर्फ कबीर तलवार कई मौकों पर दुबई, यूएई गया और उसने भारत में हेरोइन की तस्करी के लिए भारत के कमर्शियल समुद्री रूट का साजिशन फायदा उठाया.
>>कबीर के दिल्ली में क्लब, खुदरा शोरूम और इम्पोर्ट फर्म जैसे कई बिजनेस हैं. इन धंधों को कबीर ने अपने कर्मचारियों, रिश्तेदारों और दोस्तों के नाम पर खोला है.
>>कबीर की कंपनियों का उपयोग नशीले पदार्थ, प्रतिबंधित सामानों के आयात को वैध सामान दिखाकर भारत में लाने के लिए किया जाता था. जांच ऐसी एक दर्जन से ज्यादा फर्म सामने आई हैं जिनमें इस तरह का काम होता था.

जांच के दौरान यह सामने आया है कि भारतीय बंदरगाहों में हेरोइन से लदी खेपों के आयात और नई दिल्ली स्थित कई गोदामों में इसकी डिलीवरी के लिए विदेश में मौजूद ड्रग्स व्यापारियों द्वारा एक संगठित नेटवर्क चलाया जाता था. भारत में मौजूद अफगान नागरिकों का नेटवर्क इन गोदामों को किराए पर लेने और यहां से हेरोइन के डिस्ट्रब्यूशन  का काम करता था. इसके अलावा भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के गुर्गों को हेरोइन की ब्रिकी से मिली राशि दी जाती थी. टेरर और ड्रग्स के सीधे लिंक की बात NIA ने अपनी जांच रिपोर्ट में कही है.

एक बात तो है. लोगों की रगों में नशीले पदार्थ घोलने वाला कारोबार भारत ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है. आज तक की साल 2021 की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में पिछले कुछ सालों में ड्रग्स का कारोबार 455 फीसदी तक बढ़ गया है. इसी रिपोर्ट के मुताबिक गया कि यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग एंड कंट्रोल की रिपोर्ट में बतायागया  था कि साल 2016 में पूरी दुनिया में सप्लाई होने वाले कुल गांजे का 6 प्रतिशत यानी लगभग 300 टन गांजा अकेले भारत में जब्त किया गया था. साल 2017 में ये मात्रा बढ़कर 353 टन हो गई थी. वहीं, अगर चरस की बात की जाए तो 2017 में 3.2 टन चरस जब्त की गई थी.

हांलाकि इतना सबकुछ होने के बाद भी ये बात भी तथ्य है. कि इस केस के बाद भी ड्रग्स हिंदुस्तान में आई. मुंद्रा पोर्ट और दूसरे पोर्ट्स पर आगे के दिनों में भी ड्रग्स पकड़ी गई. और हो सकता है कुछ ना भी पकड़ में आई हो. क्योंकि कई राज्यों के युवाओं में नशे की लत बढ़ने की बात कई रिपोर्ट्स में सामने आई. ड्रग्स के खिलाफ जंग जीतना महादुष्कर काम है. कितना, इसको एक मानिखेज़ स्टेटमेंट से समझिए. ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन महकमे के हेड ने कभी बहुत हताश स्वर में कहा था, It's not a question of winning this war, It's a question of how slowly we can lose it. यानी, "सवाल ये नहीं है कि ये जंग कैसे जीती जाए, सवाल ये है कि हम इस जंग को कितनी धीमी रफ़्तार से हार सकते हैं". मगर ये दुनिया उम्मीद पर कायम है और हम उम्मीद करते हैं कि इस तरह की कार्रवाइयां होती रहेंगी और आरोपी पकड़े जाएंगे. सजा होगी तो शायद ये जंग जीती भी जा सके.

वीडियो: अडानी के मुंद्रा पोर्ट पर जांच एजेंसियों के महीने भर चले ऑपरेशन में क्या खुलासा हुआ?

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