साल 1996. श्रीलंका पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बना. लंका की ये जीत एशियन क्रिकेट का चेहरा बदलने वाली थी. लेकिन इससे पहले यह जीत वनडे क्रिकेट को बदल गई. अब वनडे में कोई भी स्कोर सुरक्षित नहीं माना जा सकता था. ना ही अब वनडे में ओपनर्स का काम गेंद को छोड़कर पुराना करना होता था. उन्हें मार-मारकर धागे खोलने का काम सौंपा जा चुका था. वनडे क्रिकेट एक नई दुनिया में प्रवेश कर रहा था. और इस यात्रा के सारथी थे सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूविथरना.
साल 1996 में बनी इस जोड़ी ने तमाम बोलर्स का वो हश्र किया कि वे लाइन-लेंथ छोड़िए, अपनी बोलिंग स्टाइल तक भूल गए. क्रिकेट के क़िस्सों में आज बात होगी ऐसे ही एक अभागे बोलर की. नाम मनोज प्रभाकर. पहचान क्रिकेट की दुनिया में मौजूद हर तरह की स्विंग बोलिंग. बनाना स्विंग से लेकर रिवर्स और लेट स्विंग तक. प्रभाकर के तरकश में वो सारे तीर थे जो बल्लेबाजों को छकाकर डंडे उखाड़ जाते थे. लेकिन 2 मार्च 1996 को ऐसा नहीं हुआ. और जो हुआ, उसने प्रभाकर का करियर खत्म कर दिया.
# दोनों पारियों के ओपनर प्रभाकर
विल्स वर्ल्ड कप का 24वां मैच. श्रीलंकाई कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने टॉस जीता और पहले बोलिंग का फैसला कर लिया. भारत के लिए ओपनिंग करने आए सचिन तेंडुलकर और मनोज प्रभाकर. जी हां, प्रभाकर ने लंबे वक्त तक भारत के लिए बैटिंग और बोलिंग दोनों की शुरुआत की थी. वो भी तब, जब बल्ला भी उनका नहीं था . हां तो प्रभाकर और सचिन ओपनिंग करने उतरे.
27 के टोटल पर प्रभाकर 36 गेंदों पर सिर्फ सात रन बनाकर आउट हो गए. लेकिन सचिन ने 100 की स्ट्राइक रेट से 137 और अज़हरुद्दीन ने 90 की स्ट्राइक रेट से 72 रन बनाकर भारत को 50 ओवर्स में 271 तक पहुंचा दिया. उस दौर तक इस टोटल को चेज करना बेहद मुश्किल माना जाता था. साल 1978 से 1996 के बीच 86 बार पहले बैटिंग करते हुए टीमों ने 270 से ज्यादा रन बनाए थे. और इनमें से 70 बार उन्हें जीत मिली थी.
टीम इंडिया भी जीत के लिए लगभग आश्वस्त थी. लेकिन शायद वो भूल गए थे कि श्रीलंका के लिए ओपनिंग करने आत्मघाती सूर्या-रोमेश आते हैं. भारत ने अपनी पारी के आखिरी ओवर में 23 रन बनाए थे. पुष्पकुमारा के इस ओवर में बरसे रनों ने भारतीय दर्शकों को खूब उत्तेजित किया था. इसी उत्तेजना में उन्होंने साथ बैठे श्रीलंकाई फैंस को खूब ट्रोल किया. और इस ट्रोलिंग का खामियाजा भुगता मनोज प्रभाकर और जवागल श्रीनाथ ने.
# पिट गए प्रभाकर
प्रभाकर के पहले ओवर में 11 और श्रीनाथ के पहले ओवर में नौ रन आ गए. सिर्फ दो ओवर में श्रीलंका ने 20 रन जोड़ लिए थे. अब आया तीसरा ओवर. प्रभाकर की पहली ही गेंद पर जयसूर्या ने आगे निकलकर इनसाइड आउट शॉट जमाया और चार रन बटोर लिए. अगली गेंद ऑफ स्टंप की लाइन पर पड़ी फुललेंथ डिलिवरी. जयसूर्या ने उसे लपेटते हुए लॉन्ग ऑन बाउंड्री के बाहर छक्के के लिए तैरा दिया. तीसरी गेंद डॉट रही. फिर आई चौथी गेंद. एंगल बनाती हुई लेग स्टंप की ओर बढ़ रही इस गेंद को जयसूर्या ने चौके के लिए बाहर भेज दिया. कॉमेंटेटर ने कहा,
‘प्रभाकर को नहीं पता कि अब वो क्या करें. उन्होंने ओवर द विकेट ट्राई कर लिया, राउंड द विकेट ट्राई कर लिया. और अब श्रीलंकाई झंडे फहरा रहे हैं.’
अगली गेंद फिर से राउंड द स्टंप फेंकी हुई. ऑफ स्टंप के बाहर की इस गेंद को जयसूर्या ने कट कर चौका बटोर लिया. कॉमेंटेटर ने कहा,
‘यह मैच 15 ओवर्स में खत्म हो सकता है’
अगली गेंद, प्रभाकर ने यॉर्कर फेंकने की कोशिश की. सफल भी रहे लेकिन इसके बाद भी रिजल्ट श्रीलंका के ही फेवर में रहा. फिर उसी दिशा से चार रन मिल गए. पारी के तीसरे ओवर में 22 यानी तीन ओवर्स में कुल 42 रन आ चुके थे. और कॉमेंटेटर्स की बातें डरावने सच जैसी लगने लगी थीं. दिल्ली के फिरोज़शाह कोटला में बैठे फैंस अपने लाडले मनोज प्रभाकर को गालियां दे रहे थे. उन पर चिल्ला रहे थे.
In reply to Sachin’s 137…came THE most unbelievable innings I had seen in my life, to watch what was unfolding on tv was breathtaking.
Never had this carnage been seen, Sanath Jayasuriya just brutally destroyed India to pieces, in a display that was a sign of things to come pic.twitter.com/nhMwikXT3y
— Rob Moody (@robelinda2) March 2, 2021
कैप्टन अज़हर ने दो ओवर बाद ही अपने स्ट्राइक बोलर से गेंद ले ली. फर्स्ट चेंज आए वेंकटेश प्रसाद ने कालूविथरना को कुंबले के हाथों लपकवा दिया. लेकिन तब तक डैमेज हो चुका था. श्रीलंका को वो शुरुआत मिल चुकी थी जिसे अंग्रेजी में Flying Start कहते हैं. यहां से श्रीलंका को कहां रुकना था. अनिल कुंबले और सचिन तेंडुलकर ने बीच के ओवर्स में कोशिश जरूर की. लेकिन रणतुंगा और हसन तिलकरत्ने ने अटूट साझेदारी कर आठ गेंदें बाकी रहते ही श्रीलंका को छह विकेट से जीत दिला दी.
अपने पहले दो ओवर में 33 रन देने वाले प्रभाकर ने बाद में दो ओर और फेंके. लेकिन इस बार वो मीडियम पेसर नहीं, ऑफ-स्पिनर थे. उस मैच में अपने 4 ओवर में 47 रन देने वाले प्रभाकर दोबारा भारत की जर्सी में नहीं दिखे. उन्हें अगले मैच से बाहर किया गया और इसके बाद उन्होंने अपने 33वें बर्थडे से ठीक पहले क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
# किस्मत का खेल
प्रभाकर ने अपने करियर के आखिरी मैच से तकरीबन चार साल पहले एक बोलर के साथ कुछ ऐसा ही किया था. बात साल 1992-93 के साउथ अफ्रीका टूर की है. 2-6 जनवरी 93 को खेले गए सीरीज के चौथे टेस्ट में एलन डॉनल्ड, ब्रायन मैकमिलन और क्रेग मैथ्यूज के आगे टीम इंडिया की हालत पतली थी. तब प्रभाकर ने पांच घंटे से ज्यादा बैटिंग कर 62 रन बनाए. अपनी इस पारी के दौरान वह लगातार मैकमिलन से बोल रहे थे,
‘तुम आधे अंधे हो क्या?’
काफी देर तक यह सवाल सुनने के बाद गुस्साए मैक्मिलन ने उनसे पूछ ही लिया?
‘ये क्या बेहूदगी है?’
जवाब में प्रभाकर ने कहा,
‘गेंद मेरे हाफ में भी गिराओ. तुम्हें पिच का ये वाला हिस्सा नहीं दिख रहा क्या?’
किस्मत का खेल देखिए. मैदान पर अपनी कला और एटिट्यूड, दोनों से विपक्षियों को इरीटेट करने वाले प्रभाकर के आखिरी मैच में ना तो उनकी कला काम आई और ना ही एटिट्यूड. जयसूर्या और कालूविथरना ने उनकी कला और एटिट्यूड दोनों को ऐसा लथेरा (घसीटा) कि प्रभाकर का करियर ही खत्म हो गया.
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