1999 में करगिल युद्ध हुआ और भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट एकदम बंद था. हिंदुस्तान ने लंबे वक्त तक अपने इस पड़ोसी के साथ क्रिकेट नहीं खेला था. फिर मौका आया साल 2004 का, जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोनों मुल्कों के रिश्तों की बहाली के लिए रास्ता चुना क्रिकेट का. इसी साल वाजपेयी पाकिस्तान में सार्क समिट के लिए गए और इसके बाद भारत सरकार ने सौरव गांगुली की कप्तानी वाली टीम को पाकिस्तान जाकर तीन टेस्ट और पांच वनडे मैचों की सीरीज खेलने की इजाजत दी. ये भारतीय टीम का 19 साल के लंबे अंतराल के बाद हो रही थी.
अटल बिहारी वाजपेयी का ये कदम सरहद के दोनों तरफ काफी सराहा गया. वो दौरा इतना पॉपुलर हुआ कि उस सीरीज में एक एक प्लेयर की एक एक पारी को आज भी याद किया जाता है. चाहे वो वीरेंद्र सहवाग के 309 रनों की पारी हो या फिर सचिन, द्रविड़ और गांगुली का बेहतरीन प्रदर्शन. सबसे खास ये कि टीम इंडिया ने वनडे और टेस्ट सीरीज जीती थी. उस टीम के साथ बतौर टीम मैनेजर गए रत्नाकर शेट्टी ने वाजपेयी को याद करते हुए इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि प्रधानमंत्री का टीम को यही संदेश था कि खेल ही नहीं, दिल भी जीतिए.
रत्नाकर बताते हैं कि जब टीम पाकिस्तान पहुंची थी तो वाजपेयी के इस कदम की वहां के लोगों ने काफी तारीफ की थी. हर कोई क्रिकेट संबध सुधारना चाहता था. रत्नाकर शेट्टी कहते हैं,”टीम से पहले मैं सुरक्षा का जायजा लेने पाकिस्तान गया था. उस वक्त लोग एयरपोर्ट, सड़कों और पब्लिक प्लेसेज पर वाजपेयी जी की तस्वीर लेकर खड़े थे. ये बात जब मैंने वाजपेयी जी को बताई कि लोग पाकिस्तान में आपसे कितने खुश हैं, उन्होंने हंसते हुए कहा – फिर तो पाकिस्तान में भी चुनाव लड़ना आसान होगा.”
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पाकिस्तान दौरे पर जाने से पहले टीम प्रधानमंत्री से उनके आवास पर मिलने गई थी. उस वक्त वाजपेयी ने टीम के साथ करीब एक घंटा बिताया था और टीम को एक बैट गिफ्ट किया था जिसपर यही संदेश लिखा था- खेल ही नहीं, दिल भी जीतिए-शुभकामनाएं. शेट्टी ने ये भी बताया है कि जब टीम प्रधानमंत्री आवास के लॉन से निकलने लगी तो हम होंगे कामयाब गाना भी गूंज रहा था. जब टीम ने पाकिस्तान में जीत हासिल की तो वाजपेयी ने शेट्टी को फोन कर टीम को बधाई दी थी. कप्तान सौरव गांगुली से भी बात की थी.
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