कुछ दिनों पहले लल्लनटॉप के खास शो ‘बरगद’ में एडिटर सौरभ द्विवेदी के साथ ‘अक्स’, ‘शूल’ और ‘लापतागंज’ जैसी फिल्मों और टीवी शोज़ से फेम हासिल कर चुके एक्टर विनीत कुमार ने बैठक जमाई. जहां विनीत कुमार ने अपने बचपन से लेकर जवानी, राजनीति से लेकर अभिनय और हिंदी सिनेमा से लेकर तमिल सिनेमा तक सब पर खूब तफसील से बात की. बातों के दौरान उन्होंने कई रोचक किस्से साझा किए. उन्हीं किस्सों में एक आपके साथ साझा कर रहे हैं.
कक्षा 6 में पढ़ने वाले विनीत कुमार के घर का माहौल किसी आर्मी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट से कम नहीं था. विनीत के पिताजी एक अनुशासनप्रिय इंसान थे. विनीत और उनके बड़े भैया को सख्त हिदायत थी कि स्कूल के बाद इधर-उधर मटरगश्ती करने की सोचें भी ना और सीधा घर आएं. रास्ता भी बताया कि इसी गली आएं कहीं और ना भटकें. यहां तक कि खुद जाकर स्कूल से घर तक की दूरी नाप 10 मिनट की समयसीमा भी तय कर दी थी. तो जैसे ही स्कूल की छुट्टी की घंटी बजती थी, विनीत के बड़े भैया उनको पकड़ सरपट घर को लपकते थे. कि कहीं लेट हुए तो पिताजी के सवालों की बौछार का सामना करना पड़ जाएगा.
कुछ साल तो ऐसे ही चलता रहा. फिर जब बड़े भाई बड़ी कक्षा में पहुंचे तो उनकी स्कूल की छुट्टी का समय बदल गया. अब विनीत अकेले स्कूल से घर आते थे. एक दिन विनीत को शरारत सूझी. सोचा ज़रा इस गली में भी जाकर तो देखें, ये रास्ता कहां खुलता है. लेकिन पिताजी की 10 मिनट की डेडलाइन की भी समस्या थी. पर मन में गली में घुसने की उत्सुकता अब जाग चुकी थी. तो समय बचाने के लिए लगा दी दौड़ और घुस गए गली में. थोड़ी दूर भागे ही थे, देखा कि सामने की दुकान पर बड़ा सा गोश्त का टुकड़ा टंगा हुआ है. बालक विनीत इतने बड़े मीट के टुकड़े को देख बड़े हैरान हुए. क्योंकि आज तक उन्होंने इतना बड़ा गोश्त का टुकड़ा कभी नहीं देखा था. उत्सुकतापूर्वक दुकानदार से पूछा ये क्या है? तो दुकानदार हौंकते हुए बोला ‘बड़े का है, चलो भागो’ और भगा दिया.
ये जवाब पाकर विनीत जो पहले से कन्फ्यूज़ थे और कंफ्यूज़िया गए और घर लौट गए. विनीत की स्कूल की दोस्तों की टोली में ज़्यादातर दोस्त मुस्लिम थे. जिसमे इनके परममित्र थे अली रज़ा. जिनके यहां ये अक्सर स्कूल से घर आकर खेलने जाते थे. तो आज जैसे ही अली के घर पहुंचे सवाल दागा ‘यार ये बड़े का गोश्त क्या होता है?’. अली बोला ‘फ्रिज में पड़ा है खुद देख ले’. विनीत ने फटाक से फ्रिज खोला, गोश्त निकाल गरम किया और रोटी संग खींच गए. फ़िर खेलने लगे.
कुछ देर बाद अली की मम्मीे जब घर आईं, तो कुछ ऐसा हुआ जिसकी स्मृति इतने सालों बाद भी विनीत के ज़हन में साफ़ है. जिसे याद कर आज भी उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. विनीत बताते हैं,
“थोड़ी देर बाद उसकी अम्मी आईं. अम्मी ने उससे पूछा, अरे ये गोश्त कहां गया? तो उसने कहा विनीत खा गया. दो-तीन सेकंड का काउंट बीता होगा. अचानक एक थप्पड़ पड़ा अली रज़ा को. अली रज़ा लुढ़क कर बिस्तर से गिर गया. हम बोले अरे मार काहे रहीं हैं. फिर हमको कहा खड़े हो. हमको खड़ा करके घर के बाहर ले आईं. बोलीं यहीं खड़े रहो. वो बगल में गयीं अड़ोस-पड़ोस में. थोड़ी देर में एक कटोरा उनके हाथ में था. वो लिए चली आयीं. उसमें पानी था, जो निश्चित रूप से गंगाजल रहा होगा. उन्होंने गंगाजल लिया और बाहर दरवाज़े पर मेरे ऊपर छिड़का. गंगाजल छिड़क के कुरान-ए-पाक की आयतें पढ़ी. मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं आज. उस समय तो हमें समझ ही नहीं आया था. आज हमें लगता है इस देश का जो स्ट्रक्चर है, वो कमाल है. कि एक मुस्लिम औरत ने अपने घर में एक हिंदू लड़के को अपवित्र होते हुए देखा और बाहर लाकर पवित्र किया. फिर घर के अंदर लेकर आई और कहा ‘खबरदार दुबारा उस चीज़ के ऊपर हाथ मत रखना’. अब कोई कहे कि आपको हिंदू-मुसलमान समझाएंगे. कैसे संभव है!”
ये स्टोरी दी लल्लनटॉप में इंटर्नशिप कर रहे शुभम ने लिखी है.
इसी किस्से का वीडियो देख लीजिए: