The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • us imports from russia amid donald trump threatens india

आप करें तो 'रासलीला' और हम करें तो... रूस से अमेरिका खुद ये सब खरीदता है, उसका क्या?

Russia से तेल खरीदने पर धमकाने वाले Donald Trump का दोहरा रवैया India ने दुनिया के सामने उजागर कर दिया है. भारत ने कहा कि वो देश हमें धमका रहे हैं जो खुद रूस से व्यापार जारी रखे हुए हैं. Ukraine-Russia War के समय भी America ने रूस से खूब माल खरीदा है. पूरी जानकारी सामने आ गई है. अमेरिका की पोल खुल गई है.

Advertisement
US trade with russia
डॉनल्ड ट्रंप (बायें) व्लादिमीर पुतिन (दायें)
pic
राघवेंद्र शुक्ला
6 अगस्त 2025 (Updated: 6 अगस्त 2025, 11:00 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इन दिनों दो ही काम कर रहे हैं. या तो कहीं ‘सीजफायर’ करा रहे हैं. या फिर टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. भारत को तो कई बार ऐसी धमकियां मिलीं. ऐसी-ऐसी वजहों से मिलीं कि एक ‘मैच्योर दिमाग’ के लिए ये वजहें सिर्फ ‘मजाक’ हो सकती हैं. अब भारत रूस से तेल खरीद रहा है, इससे ‘ट्रंप भाई साहब’ को क्या दिक्कत होनी चाहिए? लेकिन उनको है दिक्कत. उन्होंने अपनी ‘दैनिक गतिविधि’ के अनुरूप यूक्रेन जंग की 'दुहाई देते हुए' भारत को धमकाया कि रूस से तेल खरीद रहे इंडिया पर वह 25 प्रतिशत टैरिफ लगा देंगे. 

इसके पहले की धमकियों पर तो भारत ने ज्यादा कुछ नहीं कहा लेकिन इस बार ‘सहनशक्ति का घड़ा’ भर गया. भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को तगड़ा जवाब देते हुए कहा कि भारत को अपने हित के लिए जो ठीक लगेगा, वो करेगा. रूस से तेल खरीदने की आलोचना कम से कम वो तो न करें, जो खुद उससे कारोबार कर रहे हैं और भारत की तरह ये उनकी मजबूरी भी नहीं है. भारत ने तो वो व्यापार भी गिना दिए जो यूक्रेन से जंग के बाद रूस और अमेरिका के बीच अभी भी चल रहे हैं. इनमें खासतौर पर न्यूक्लियर फ्यूल, फर्टिलाइजर और कीमती धातुओं का आयात शामिल है.

ये बात सही है कि यूक्रेन से जंग शुरू होने के बाद रूस से अमेरिका का व्यापार धड़ाम से नीचे गिरा था. 36 अरब डॉलर के व्यापार से मामला 3 अरब डॉलर के व्यापार पर आ गया, लेकिन अभी भी बहुत सी चीजें ऐसी हैं, जो अमेरिका रूस से खरीद रहा है.

अमेरिका-रूस व्यापार के आकंड़े 

इंडियन एक्सप्रेस ने अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग (USITC) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि रूस से फर्टिलाइजर और पैलेडियम अब अमेरिका के आयात में टॉप पर हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से मई 2025 के बीच अमेरिका ने रूस से 806 मिलियन (80 करोड़) डॉलर की खाद (fertiliser) खरीदी, जो पिछले साल की तुलना में 21 फीसदी ज्यादा है. इतना ही नहीं, यह 2021 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले इसी अवधि के मुकाबले 60 फीसदी अधिक है.

मतलब साफ है. अमेरिका रूस से अब भी बड़ी मात्रा में खाद खरीद रहा है और उसकी ये खरीद लगातार बढ़ भी रही है, लेकिन भारत रूस से तेल खरीद रहा है तो 'मिस्टर प्रेसिडेंट' छटपटाने लगे हैं.

अभी और सुनिए. 2025 में जनवरी से मई के बीच अमेरिका ने रूस से 586 मिलियन डॉलर का यूरेनियम भी मंगवाया है. पिछले साल के मुकाबले ये इंपोर्ट 28 फीसदी ज्यादा है और 2021 की इसी अवधि की तुलना में तो 147 फीसदी अधिक है.

फर्स्टपोस्ट में छपी रिपोर्ट के आधार पर नीचे एक लंबी लिस्ट दे रहे हैं, जो रूस से व्यापार को लेकर अमेरिका के ‘दोहरे रवैये’ की पोल खोलता है. इसके मुताबिक, 2024 में अमेरिका ने रूस से 

1.3 अरब डॉलर की खाद 

878 मिलियन डॉलर की कीमती धातुएं जैसे- पैलेडियम, प्लेटिनम

695.7 मिलियन डॉलर के रेडियोएक्टिव और अन्य रासायनिक पदार्थ 

न्यूक्लियर फ्यूल के लिए 624 मिलियन डॉलर की यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड

75 मिलियन डॉलर के विमान के पार्ट्स

89.4 मिलियन डॉलर के लकड़ी और लकड़ी से बने उत्पाद

80.8 मिलियन डॉलर के मशीनरी और रिएक्टर

39.9 मिलियन डॉलर के पशु आहार

37.3 मिलियन डॉलर के मेटल्स 

13.1 मिलियन के लोहा और स्टील

15 मिलियन डॉलर से ज्यादा के सब्जियां, फल और इनके प्रोडक्ट्स आयात कीं.

इनके अलावा रबर, प्लास्टिक, दवाइयां, कॉस्मेटिक्स, खुशबूदार तेल, जूते, कपड़े, खिलौने, घड़ियां, ऐल्युमिनियम, कॉपर, निकिल 15 मिलियन से ज्यादा समेत कई चीजों का कारोबार भी जारी है.

जंग के बाद थमा लेकिन बंद नहीं हुआ आयात

हालांकि, यूक्रेन से जंग शुरू होने के बाद रूस से व्यापार में अमेरिका ने भारी कटौती की. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में अमेरिका ने रूस से लगभग 30 अरब डॉलर मूल्य का सामान आयात किया. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद यह 2022 में आधा होकर 14 अरब डॉलर रह गया. इसके बाद 2023 में आयात घटकर 4.6 अरब डॉलर हो गया, जो 2024 में 3 अरब डॉलर पर आकर टिक गया. अमेरिका साल 2021 तक रूस से मुख्य रूप से कच्चा तेल आयात करता था, जिसका मूल्य 17 अरब डॉलर से अधिक था लेकिन अब यह बंद है.

क्या थी भारत-अमेरिका की बयानबाजी?

दरअसल, डॉनल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे ऊंची कीमतों पर बेच रहा है. इससे वो खूब मुनाफा कमा रहा है और उसे इस बात की कोई परवाह नहीं कि यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीनें कितने लोगों को मार रही हैं. डॉनल्ड ट्रंप ने भारत की आलोचना करते हुए टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी तो इस बार भारत ने भी करारा जवाब दे दिया. 

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का आयात भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा लागत को स्थिर और किफायती बनाए रखने के लिए है. यह एक मजबूरी है, जो वैश्विक बाजार की हालत के कारण हुई है. लेकिन यह चौंकाने वाली बात है कि वही देश जो भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं. हमारे मामले के उलट, उनका यह व्यापार किसी जरूरी राष्ट्रीय मजबूरी के कारण नहीं है.

वीडियो: ब्राजील: बस में महिला की मौत, शरीर से क्यों चिपके के आईफोन?

Advertisement