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जिन मांओं के पास नौकरी नहीं उन्हें हर साल मिलेंगे 40 हजार रुपये, सिक्किम सरकार का फैसला

सिक्किम में बिना नौकरी वाली मांओं को राज्य सरकार की ओर से 40 हजार रुपये दिए जाएंगे. ये पैसे दो चरणों में दिए जाएंगे और इसके साथ पात्र महिलाओं को गर्म पानी की एक बोतल भी दी जाएगी.

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Prem Kumar Tamang
सिक्किम में मनाया गया पहला अम्मा सम्मान दिवस (X)
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राघवेंद्र शुक्ला
11 अगस्त 2025 (Published: 06:39 PM IST) कॉमेंट्स
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सिक्किम की ‘मांओं’ के लिए सरकार ने बड़ी स्कीम शुरू की है. जो भी महिलाएं ‘मां’ हैं और उनके पास नौकरी (Non-Working) नहीं है, उन्हें सरकार अपनी ओर से हर साल 40 हजार रुपये देगी. स्कीम के मुताबिक, ये पैसे दो चरणों में दिए जाएंगे. पहले चरण में 20 हजार रुपये दिए जाएंगे और बाकी के 20 हजार रुपये दूसरे चरण में दिए जाएंगे. इसके अलावा, हर पात्र महिला को गर्म पानी की एक बोतल भी दी जाएगी. राज्य सरकार इस कार्यक्रम पर कुल 128 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार 10 अगस्त को सीएम प्रेम कुमार तमांग ने तकरीबन 32 हजार ऐसी पात्र महिलाओं को 20-20 हजार रुपये के चेक दिए. यह योजना तमांग सरकार के एक अभियान का हिस्सा है, जिसे 'अम्मा सम्मान दिवस' कहा जा रहा है. बताया गया कि ‘अम्मा सम्मान दिवस' प्रदेश की माताओं के त्याग, साहस और योगदान को सम्मान देने के लिए समर्पित एक दिन है. इस सिलसिले में रविवार, 10 अगस्त को रंगपो स्पोर्ट्स स्टेडियम में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें पूरे सिक्किम से 'माताओं' का जमावड़ा लगा था.

इस कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री प्रेम कुमार तमांग ने कहा कि अम्मा सम्मान दिवस शुरू करने का फैसला उनके लिए राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों है. माताओं ने सिक्किम के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. माताएं क्रांतिकारी साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही हैं और उनके संघर्ष तथा बलिदानों में उनका योगदान रहा है।

तमांग ने आगे कहा,

सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) पार्टी का सफर प्रदेश भर की माताओं के साहस और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है.

मुख्यमंत्री के मुताबिक, 10 अगस्त उनके लिए बेहद खास दिन है क्योंकि यह 'जन उन्मुक्ति दिवस' है. यह वो दिन है, जब उन्हें जेल से रिहा किया गया था.

उस दौर को याद करते हुए तमांग ने कहा कि जब वो जेल में थे तो अक्सर मांएं ही उनसे मिलने आती थीं. कभी उन्हें डांटने के लिए. कभी सलाह देने के लिए और अक्सर उन्हें लड़ते रहने का साहस देने के लिए. 

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