अमेरिकी दबाव के बाद भी नहीं रुका रूस से तेल आयात, सितंबर का आंकड़ा चौंका देगा
Russia Oil Import In September: ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर के अंत में आने वाले रूस से तेल की आपूर्ति यह साफ करेगी कि ट्रंप की ओर से जुलाई में दिए गए बयान और अगस्त में भारतीय सामानों पर लगाए गए टैरिफ का भारतीय तेल आयात पर कोई असर पड़ा या नहीं.

रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका समेत वेस्ट के देश भारत को लगातार निशाने पर लेते रहे हैं. इसकी परवाह किए बगैर भारत, रूस से तेल खरीद जारी रखे हुए है. खबर है कि सितंबर के शुरुआती 15 दिनों के आंकड़े बताते हैं कि अपनी जरूरतों से समझौता किए बगैर भारत, रूस से लगातार तेल खरीद रहा है. टैंकर डेटा और इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के हवाले से इसे लेकर अहम जानकारी सामने आई है.
सितंबर में रूसी तेल की सप्लाईइंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट में दावा किया गया कि सितंबर के पहले 15 दिनों में रूसी तेल की आपूर्ति मजबूत रही है. इतना ही नहीं यह आपूर्ति बीते कुछ महीनों की तुलना में काफी बढ़ी भी है. इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका की आलोचना का भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. न ही भारत इसकी परवाह करते दिख रहा है. रूस के बंदरगाहों से तेल लोडिंग भी सितंबर में भले ही पहले से कुछ कम रही हो. लेकिन कुल मिलाकर सप्लाई स्थिर दिख रही है.
अमेरिका के दबाव का असर?रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से भारत को सप्लाई होने वाले तेल के कॉन्ट्रैक्ट आमतौर पर 6 से 8 हफ्ते पहले तय होते हैं. इसका मतलब है कि सितंबर के पहले हफ्ते में आयात होने वाली तेल की मात्रा मुख्य रूप से जुलाई में हुए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर है. अहम बात यह है कि जुलाई महीने में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर निशाना साधा था.
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ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर के अंत में आने वाले रूस से तेल की आपूर्ति यह साफ करेगी कि ट्रंप की ओर से जुलाई में दिए गए बयान और अगस्त में भारतीय सामानों पर लगाए गए टैरिफ का भारतीय तेल आयात पर कोई असर पड़ा या नहीं.
रूसी तेल का कितना हुआ एक्सपोर्टरिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर के पहले 16 दिनों में भारत का औसत आयात 1.73 मिलियन बैरल प्रति दिन (BPD) रहा. जबकि जुलाई में यह आयात 1.59 मिलियन BPD और अगस्त में 1.66 मिलियन BPD था.
साथ ही रूस से लोड होने वाली तेल की आपूर्ति भी सितंबर के पहले 16 दिनों में 1.22 मिलियन BPD रही. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि असल में यह आंकड़ा 1.6 मिलियन BPD के आसपास हो सकता है क्योंकि कई टैंकरों को इस समय मिस्र के पोर्ट सईद की ओर जा रहे हैं. लेकिन उनकी मंजिल क्या है फिलहाल यह तय नहीं है. माना जा रहा है कि इन टैंकरों में से ज्यादातर भारतीय बंदरगाहों पर ही तेल उतारेंगे क्योंकि इनमें से कई टैंकर पिछले कुछ महीनों में नियमित रूप से भारतीय बंदरगाहों पर कच्चा तेल उतारते रहे हैं.
भारत कम करेगा रूसी तेल का आयात?हम जानते ही हैं कि रूस से तेल खरीद को लेकर अमेरिका भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहा है. अमेरिका की ओर से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का यह भी एक कारण रहा है. ऐसे में यह सवाल लगातार बना हुआ है कि क्या अमेरिका के दबाव में भारत रूस से तेल खरीद में कमी लाएगा या नहीं?
इस बीच यह खबर भी है कि जुलाई और अगस्त में भारतीय बंदरगाहों पर रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति में पिछले महीनों की तुलना में गिरावट देखी गई. लेकिन इसके लिए रूस की ओर दिए जाने वाले डिस्काउंट को कारण बताया गया न कि अमेरिकी दबाव को. भारत सरकार का पक्ष भी इस दावे को और मजबूत करता रहा है. सरकार कई मौकों पर कह चुकी है कि जहां से भी उसे सबसे अच्छी डील मिलेगी, वहीं से तेल खरीदा जाएगा.
इतना ही नहीं, भारत के पब्लिक सेक्टर की रिफाइनरियों का कहना है कि उन्हें इस मुद्दे पर सरकार से कोई संकेत या निर्देश नहीं मिला है. जब तक यह आर्थिक और व्यावसायिक रूप से जरूरी रहेगा, वे रूसी तेल खरीदना जारी रखेंगे.
वीडियो: तेल खरीदने पर भारत की तारीफ में क्या बोला रूस?