महीने भर 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा, 1 करोड़ रुपये ठग लिए, रिटायर्ड डिफेंस अफसर बने शिकार
ठगों ने पीड़ित को ये कहकर डराया कि CBI की रेड में 247 आधार कार्ड बरामद हुए हैं, जिनमें पीड़ित का आधार कार्ड भी है.

महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे में 83 साल के एक रिटायर्ड डिफेंस अधिकारी को साइबर ठगों ने निशाना बनाया. अपराधियों ने पीड़ित को लगभग एक महीने तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर सर्विलांस में रखा. 22 जुलाई से 19 अगस्त के बीच अपराधियों ने पीड़ित से 1 करोड़ रुपये की ठगी की.
रिटायर्ड डिफेंस अधिकारी कोंढवा इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं. 22 जुलाई को पीड़ित के पास फोन आया. कॉल करने वाले ने कहा कि वो CBI अधिकारी है. उसने कहा कि पीड़ित का नाम 400 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में आया है. ठगों ने कहा कि उनका नाम संदिग्धों की सूची में है. पीड़ित को डराने के उद्देश्य से अपराधियों ने कहा कि CBI की रेड में 247 आधार कार्ड बरामद हुए हैं, जिनमें पीड़ित का आधार कार्ड भी है.
साइबर ठगों ने पीड़ित को सहयोग करने को कहा. उसने कहा कि रिटायर्ड अधिकारी अगर कॉपरेट नहीं करेंगे तो उनको गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इसके बाद एक ठग ने पीड़ित को डरा-धमका कर उनके बैंक अकाउंट की जानकारी निकलवा ली. अपराधियों ने उनसे उनका बैंक बैलेंस भी पूछ लिया.
अगले कुछ दिनों तक, अपराधी उनको डराते रहे. पीड़ित को फर्जी दस्तावेज दिखाए गए और अलग-अलग बैंक खातों में पैसे जमा करने को कहा गया. ठगों ने उनका विश्वास जीतने के लिए, उन्होंने उन्हें तीन दिनों के भीतर पैसे वापस करने का वादा किया. धमकियों से डरकर, सेवानिवृत्त अधिकारी ने 28 जुलाई से 19 अगस्त के बीच पांच अलग-अलग बैंक खातों से एक करोड़ रुपये की राशि निकाल ली और ठगों को भेज दिया.
वादे के मुताबिक, जब पैसे वापस नहीं आए तो उन्होंने कॉल करने वाले से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद पीड़ित को एहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हुई. फिर उन्होंने पुलिस से संपर्क किया.
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जांच अधिकारियों ने बताया है कि ठगी के पैसों को कई शहरों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया है. इनमें गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश), हैदराबाद (तेलंगाना), अहमदाबाद (गुजरात), चंडीगढ़ (पंजाब), रायपुर (छत्तीसगढ़), धनबाद (झारखंड) और नागांव (असम) भी शामिल है. पुलिस ने आगे की जांच के लिए इन बैंकों से लेन-देन की जानकारी मांगी है.
ध्यान दें- 'डिजिटल अरेस्ट' जैसा कुछ नहीं होता. पुलिस व्यवस्था में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है. इसलिए ठगों के जाल में न फंसें. साइबर ठगों से सावधान रहें और इसकी सूचना तुरंत ही पुलिस को दें.
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