गुजरात की 'गुमनाम' पार्टियों को 4300 करोड़ का चंदा मिलने का दावा, राहुल गांधी ने क्या कहा?
Rahul Gandhi vs ECI: पांच सालों में इन पार्टियों ने गुजरात में सिर्फ तीन चुनाव लड़े, जिनमें 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव और 2022 का विधानसभा चुनाव शामिल हैं. इन चुनावों में इन पार्टियों ने केवल 43 प्रत्याशी मैदान में उतारे.

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनावी चंदे को लेकर एक पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने लिखा कि गुजरात में कुछ अनाम राजनीतिक पार्टियां हैं, जिन्हें ‘4,300 करोड़ रुपये का चंदा’ मिला है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इन पार्टियों ने बहुत कम चुनाव लड़ा और चुनावी खर्चा किया है. कांग्रेस सांसद ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) से मामले की जांच करने की मांग की है.
राहुल गांधी बिहार में कथित 'वोट चोरी' और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया के खिलाफ 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं. अब उन्होंने चुनावी चंदे का मुद्दा भी उठा दिया है. उन्होंने एक्स पर लिखा,
"गुजरात में कुछ ऐसी अनाम पार्टियां हैं, जिनका नाम किसी ने नहीं सुना - लेकिन 4300 करोड़ का चंदा मिला!
इन पार्टियों ने बहुत ही कम मौकों पर चुनाव लड़ा है, या उन पर खर्च किया है.
ये हजारों करोड़ आए कहां से? चला कौन रहा है इन्हें? और पैसा गया कहां?
क्या चुनाव आयोग जांच करेगा - या फिर यहां भी पहले एफिडेविट मांगेगा? या फिर कानून ही बदल देगा, ताकि ये डेटा भी छिपाया जा सके?"
राहुल के दावे के अनुसार जिन पार्टियों को 4,300 करोड़ रुपये चंदा मिला है, उनका ताल्लुक गुजरात से है. इस पर उन्होंने गुजरात मॉडल पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा,
"गुजरात मॉडल आर्थिक मॉडल नहीं है. गुजरात मॉडल वोट चोरी करने का मॉडल है. इस मॉडल को ये 2014 में नेशनल लेवल पर लाए. आप देखिए मध्यप्रदेश का चुनाव चोरी किया. हरियाणा का किया. महाराष्ट्र का किया. हम कुछ बोलते नहीं थे, क्योंकि सबूत नहीं था. मगर महाराष्ट्र में सबूत मिल गया."
दरअसल, राहुल के दावे हिंदी अखबार दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट पर आधारित हैं, जिसे उन्होंने एक्स पर शेयर किया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गुजरात में रजिस्टर्ड 10 ‘गुमनाम’ राजनीतिक दलों को 5 सालों में कुल 4,300 करोड़ का चंदा मिला है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2024 तक के पांच सालों में इन दलों ने गुजरात में सिर्फ तीन चुनावों में हिस्सा लिया, जिनमें 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव और 2022 का विधानसभा चुनाव शामिल हैं. इन चुनावों में इन पार्टियों ने केवल 43 प्रत्याशी मैदान में उतारे और उन्हें महज 54,069 वोट मिले.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि इन पार्टियों ने चुनाव आयोग को जो चुनावी खर्च की जानकारी दी है, उसमें केवल 39.02 लाख रुपये खर्च दिखाया गया है, जबकि ऑडिट रिपोर्ट में खर्च का आंकड़ा 3,500 करोड़ रुपये है.
इन पार्टियों को मिला चंदा
- भारतीय जनपरिषद: 177 करोड़ रुपये
- सौराष्ट्र जनता पक्ष: 141 करोड़ रुपये
- सत्यावादी रक्षक: 10.53 करोड़ रुपये
- लोकशाही सत्ता पार्टी: 22.82 करोड़ रुपये
- मदर लैंड नेशनल पार्टी: 86.36 लाख रुपये
बाकी बची पार्टियों ने या तो खर्च का ब्योरा नहीं दिया या तय फॉर्मेट के अनुसार जानकारी नहीं दी.
सवाल उठे तो क्या बोले अधिकारी?
दैनिक भास्कर ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग और आयकर विभाग से जानकारी निकालने की कोशिश की. गुजरात चुनाव कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा,
"आयकर विभाग को खर्च की जानकारी देने में हमारा कोई रोल नहीं. पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है. हम सिर्फ को-ऑर्डिनेशन की भूमिका में हैं."
वहीं नाम ना छापने की शर्त पर आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया,
"कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट डिपार्टमेंट में जमा कराई या नहीं, हम इसका खुलासा नहीं कर सकते. यह कॉन्फिडेंशियल है. क्योंकि, जिनके खिलाफ जांच चल रही है, इससे वे सतर्क हो सकते हैं."
रिपोर्ट में बेंगलुरु की इन्वेसिस टेक्नो को सबसे बड़ा दानदाता बताया गया है. इन्वेसिस टेक्नो ने न्यू इंडिया यूनाइटेड पार्टी को 3 करोड़ 2 हजार रुपये दान किए हैं. वोट चोरी और SIR के बाद चुनावी चंदे का ये मुद्दा भी कांग्रेस और राहुल गांधी की झोली में आ गया है.
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