DRDO से लेकर फैक्ट्री तक, अब हथियार निर्माण में निजी कंपनियां साझेदार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़ा बदलाव
Operation Sindoor के बाद Defence Manufacturing में प्राइवेट सेक्टर को ज़्यादा काम मिल सकता है. अधिकारी इस पर काम कर रहे हैं.

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद सरकार डिफेंस के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. एक दशक पहले तक भारत डिफेंस से जुड़ी ज़रूरतों के लिए ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) और विदेशी आयातों पर निर्भर था. लेकिन अब स्वदेशी हथियारों को बनाने पर ज़्यादा जोर दिया जा रहा है. ये कोशिश भी की जा रही है कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां सरकार की हथियार ख़रीदने की ताकत का फ़ायदा उठा सकें.
भविष्य के ऑर्डर्स के लिए प्राइवेट सेक्टर को मदद मिल सके, इसके लिए सरकार छोटे उपकरणों की खरीद के मॉडल की तरफ़ बढ़ रही है. वहीं, ख़रीद के प्रोसेस में आने वाली रुकावटों से निपटने के लिए डीम्ड लाइसेंसिंग का सहारा लिया जा रहा है.
एक सरकारी अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इसके अलावा भी कई उपाय किए जा रहे हैं. जैसे बड़े ऑर्डर्स की खरीद से जुड़े प्रोग्राम को वर्तमान के औसतन छह साल से घटाकर दो साल करने की प्लानिंग चल रही है. जैसा कि नैवी ने राफेल समुद्री विमान ख़रीदने के लिए किया था.
सरकार से जुड़ी संस्थाएं प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को डिज़ाइन में भी मदद कर रही है. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) निजी क्षेत्र की कंपनियां साथ आ रही हैं. फिर उत्पादन के लिए काम को निजी कंपनी को सौंप दिया जा रहा है. इसका एक उदाहरण 5.56x45 मिमी सीक्यूबी कार्बाइन है. इसको डिजाइन करने के लिए DRDO ने मदद की थी. टेंडर प्रोसेस के बाद अब इसे भारत फोर्ज नाम की कंपनी बना रही है.
मई में पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था. एक अधिकारी ने बताया कि तब प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा गया था. ऐसे में कई कंपनियों ने तीन शिफ्टों में उत्पादन शुरू किया. अब भी घरेलू डिफेंस मेनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए नए सिरे से प्रयास किए जा रहे हैं. अधिकारी ने कहा,
ख़रीद के प्रोसेस में बदलावसरकार ने इरादा जताया है कि वो हथियार ख़रीदने में बिल्कुल भी अपने आपको रोकेगी नहीं. हमें इसका फ़ायदा उठाना होगा. चाहे वो PSU हो, निजी क्षेत्र की कंपनियां हों या स्टार्टअप हों. सबको सरकार के इंटेंशन को समझना होगा. निजी निवेश को बढ़ावा मिलना चाहिए, ख़ासकर छोटे हथियारों के निर्माण के लिए. डिफेंस मेनुफैक्चरिंग को सिर्फ़ सार्वजनिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा जा सकता.
डिफेंस की ख़रीद प्रक्रिया को कारगर बनाया जा सके, इसके लिए सरकार डिफेंस इक्विजिशन प्रोसिज़र (DAP), 2020 में बदलाव करने पर विचार कर रही है. DAP, 2025 लगभग आठ महीनों में तैयार होने की संभावना है. जिसके तहत डॉक्यूमेंट्स मैनुअल (दस्तावेज नियमावली) को आसान बनाया जाएगा. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइज़ेशन (DRDO) के साथ बोली खरीद प्रक्रिया पर फोकस होगा, ना कि नामांकन पर. ये कोशिश हो रही है कि DAP, 2025 ज़्यादा व्यावहारिक होगा.
अब दुनियाभर में युद्ध की प्रकृति बदल रही है. ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे ज़्यादा ज़ोर मिसाइलों और ड्रोन समेत स्टैंडऑफ़ हथियारों पर दिया जा रहा है. सरकार खरीद प्रक्रिया को व्यवस्थित करने और समयसीमा को कम करने के लिए भी काम कर रही है.
ड्रोन के मामले में तीन से पांच मेनुफैक्चरिंग कंपनियां ही हैं, जिनके पास नागरिक ड्रोन से सैन्य-ग्रेड वाले ड्रोन तक बनाने की क्षमता है. ऐसे में ड्रोन के क्षेत्र में भी सरकार निजी कंपनियों के साथ काम कर रही है.
डिफेंस बजट क्या कहता है?अधिकारियों का कहना है कि अगले बजट में डिफेंस के क्षेत्र में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है. क्योंकि इस बजट में भी डिफेंस सेक्टर का पर्याप्त ध्यान दिया गया है. एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
हम पहली तिमाही (2025-26 बजट) में डिफेंस खर्च में सही रास्ते पर हैं. वैसे भी बड़ी खरीद में समय लगता है. कॉन्ट्रैक्ट लगभग 5 साल की अवधि के होते हैं. जून के आख़िर तक डिफेंस बजट का लगभग 17-18 प्रतिशत खर्च हो चुका है. आगे इस खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है.
कंट्रोलर जनरल ऑफ़ अकाउंट्स के आंकड़ों के मुताबिक़, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल बजटीय पूंजीगत व्यय 1.8 लाख करोड़ रुपये है. डिफेंस मंत्रालय ने इसमें से मई के अंत तक 14 प्रतिशत या 24,730 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. बीते वित्त वर्ष में इसी समय में मंत्रालय ने अपनी बजटीय राशि का सिर्फ़ 4 प्रतिशत ही खर्च किया था. इस साल आपातकालीन खरीद भी कुल आवंटन का लगभग 15 प्रतिशत होने की संभावना है. जिसमें से ज़्यादातर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शुरू किया गया था.
वीडियो: भारत के एयर चीफ मार्शल ने डिफेंस इंडस्ट्री पर उठाए गंभीर सवाल, क्या कहा?