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400 किमी ऊंचाई पर चक्कर, धरती पर सुरक्षित लैंडिंग, गगनयान क्रू मॉड्यूल का ड्रॉप टेस्ट सफल

ISRO ने ये टेस्ट किया है कि धरती के Atmosphere में एंट्री लेने के बाद Gaganyaan का Crew कैसे सुरक्षित लैंडिंग करेगा. इसके लिए इसरो ने Indian Air Force, Indian Navy और Indian Coast Guard की मदद से एक Chinook Helicopter से Crew Module को हवा से समुद्र में ड्रॉप किया.

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Isro conducts air drop test ahead of  Gaganyaan launch in december 2025
चिनूक हेलीकॉप्टर से गगनयान का ड्रॉप टेस्ट किया गया (PHOTO-ISRO)
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मानस राज
25 अगस्त 2025 (Published: 02:37 PM IST)
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इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) की तरफ से गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) की तैयारी जोरों पर है. इसी क्रम में ISRO ने 24 अगस्त को पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-1) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. गगनयान मिशन में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की धरती पर वापसी के लिहाज से ये टेस्ट काफी अहम है. इस टेस्ट में ये देखा जाता है कि गगनयान के क्रू मॉड्यूल (Crew Module) का पैराशूट धरती पर आने के दौरान असली कंडीशन में ठीक तरह से काम करे.

क्या है गगनयान मिशन?

गगनयान मिशन का लक्ष्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाना है और भारत की मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजने की क्षमता का प्रदर्शन करना है. गगनयान मिशन के सफल होने पर भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश बन जाएगा, जिसने अंतरिक्ष में मानवयुक्त मिशन भेजा हो. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ये उपलब्धि हासिल कर चुके हैं.

इसरो के मुताबिक, यह मिशन तीन दिनों का होगा. इस मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ-साथ घरेलू स्तर पर विकसित तकनीक की मदद ली जा रही है. मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खास प्रबंध किए गए हैं. स्पेसक्राफ्ट में ऐसी परिस्थितियां बनाई गई हैं, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसा वातावरण महसूस कराया जा सके.

गगनयान जिसे कहा जा रहा है, वो दरअसल उस हिस्से यानी क्रू मॉड्यूल को कहा जा रहा है जिसमें अंतरिक्ष यात्री बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएंगे. क्रू मॉड्यूल डबल दीवार वाला अत्याधुनिक केबिन है, जिसमें कई प्रकार के नेविगेशन सिस्टम, हेल्थ सिस्टम, फूड हीटर, फूड स्टोरेज, टॉयलेट आदि सब होंगे. इस मिशन के लिए असफलता से ज्यादा सुरक्षा पर ध्यान दिया गया है. ऐसी व्यवस्था की गई है कि खतरे की किसी भी स्थिति में क्रू मॉड्यूल हमारे अंतरिक्ष यात्रियों को वापस सुरक्षित ले आएगा. अगर किसी तरह की इमरजेंसी आती है तो क्रू मॉड्यूल अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर समुद्र में गिर जाएगा. 

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इंटीग्रेटे़ एयर ड्रॉप टेस्ट (PHOTO-India Today/Graphics by Arun Uniyal)
इसरो का एयर ड्रॉप टेस्ट क्या है?

गगनयान की लैंडिंग के बाद उसे समुद्र से रिकवर करने के लिए भारतीय नौसेना और इसरो 2024 से ही लगातार सर्वाइवल टेस्ट कर रहे हैं. ये टेस्ट अलग-अलग जगहों पर किए जा रहे हैं. क्रू मॉड्यूल का अंदर का हिस्सा लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त होगा. यह ज्यादा से ज्यादा और कम से कम तापमान को बर्दाश्त करेगा. साथ ही अंतरिक्ष यात्रियों को रेडिएशन से भी बचाएगा. 

हालिया टेस्ट में इसरो ने ये टेस्ट किया है कि धरती के वायुमंडल (Atmosphere) में एंट्री लेने के बाद गगनयान का क्रू कैसे सुरक्षित लैंडिंग करेगा. इसके लिए इसरो ने इंडियन एयरफोर्स, इंडियन नेवी और इंडियन कोस्ट गार्ड की मदद से एक चिनूक हेलीकॉप्टर से क्रू मॉड्यूल को हवा से समुद्र में ड्रॉप किया. क्रू मॉड्यूल एक तरह का चैम्बर है जिसमें गगनयान के अंतरिक्ष यात्री वापस आएंगे. इस क्रू मॉड्यूल को पैराशूट की मदद से ड्रॉप किया गया. ड्रॉप के दौरान ये सुनिश्चित किया गया कि जब असल में गगनयान की लैंडिंग हो, तब सब कुछ सही ढंग से हो. 

जैसे-जैसे दिसंबर की समय-सीमा नजदीक आ रही है, इसरो और उसकी पार्टनर एजेंसियां ​​अब तैयारियों के आखिरी चरण में प्रवेश कर रही हैं. सभी यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं कि भारत का पहला मानव मिशन तकनीकी कौशल और सुरक्षा की नजर से एक सफल मिशन साबित हो.

वीडियो: आसान भाषा में: Gaganyaan मिशन में स्पेस में जाने वाले Astronauts कौन हैं?

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