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भारत ने इस बार अमेरिका को सेक दिया, ट्रंप की टैरिफ धमकी पर सरकार का करारा जवाब

Donald Trump ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत को निशाने पर लिया था. भारत ने अपने जवाब में कहा कि अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए देश सभी जरूरी कदम उठाएगा.

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप. (India Today)
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मौ. जिशान
4 अगस्त 2025 (Updated: 4 अगस्त 2025, 12:02 AM IST) कॉमेंट्स
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नई टैरिफ धमकी पर भारत ने कड़ा जवाब दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि अमेरिका-यूरोप खुद रूस से सामान खरीदते हैं. विदेश मंत्रालय का कहना है कि अगर भारत भी रूस से सामान खरीदता है, तो अमेरिका या यूरोप को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. भारत ने दो टूक कहा कि वो अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा.

दरअसल, डॉनल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर फिर निशाना साधा. उनका कहना है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे ऊंची कीमतों पर बेच रहा है, जिससे वो मुनाफा कमा रहा है. ट्रंप ने Truth Social पर एक पोस्ट में कहा,

“भारत न सिर्फ भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए ज्यादातर तेल को खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेच भी रहा है. उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीन कितने लोगों को मार रही है.”

डॉनल्ड ट्रंप ने भारत की आलोचना करते हुए टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी. लेकिन इस बार भारत ने भी ट्रंप को आईना दिखा दिया. विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा,

"भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने को लेकर निशाना बनाया है. असल में भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पहले के रूट की सप्लाई यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी. उस समय अमेरिका ने खुद भारत को ऐसे आयात करने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजारों में स्थिरता बनी रहे."

भारत ने डॉनल्ड ट्रंप के आरोपों का जवाब सिलसिलेवार तरीके से दिया-

  • भारत का आयात भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा लागत को स्थिर और किफायती बनाए रखने के लिए है. यह एक मजबूरी है, जो वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण हुई है. लेकिन यह चौंकाने वाली बात है कि वही देश जो भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं. हमारे मामले के उलट, उनका यह व्यापार किसी जरूरी राष्ट्रीय मजबूरी के कारण नहीं है.
  • यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस के साथ 67.5 अरब यूरो के सामान का द्विपक्षीय व्यापार किया. इसके अलावा 2023 में सेवाओं का अनुमानित व्यापार 17.2 अरब यूरो था. यह भारत के कुल व्यापार से काफी ज्यादा है, जो उस साल या उसके बाद रूस के साथ हुआ. 2024 में यूरोप का रूस से LNG आयात 1.65 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो 2022 के 1.52 करोड़ टन के पिछले रिकॉर्ड से भी ज्यादा है.
  • यूरोप-रूस व्यापार में सिर्फ ऊर्जा ही नहीं, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात, मशीनरी और परिवहन उपकरण भी शामिल हैं.

भारत ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए याद दिलाया कि अमेरिका खुद अब भी रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपनी ईवी इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता है.

भारत ने साफ तौर पर कहा कि भारत को निशाना बनाना गलत और अव्यावहारिक है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि किसी भी बड़े आर्थिक देश की तरह भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा.

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