हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस से GST तो हट गया, लेकिन प्रीमियम घटे, जरूरी नहीं, वजह ये रही
सरकार ने Health and Life Insurance पर लगने वाली GST को खत्म करके आम आदमी को बड़ी राहत देने की कोशिश की है. GST खत्म होने के बाद इसकी कीमतों में कमी की उम्मीद लगाई जा रही है. लेकिन हो सकता है कि ग्राहकों को अब इंश्योरेंस पर ज्यादा Premium चुकाना पड़े. ऐसा क्यों है? आइए जानते हैं.

जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने हालिया बैठक में 12% और 28% के स्लैब को खत्म करने का निर्णय लिया है, जिसे बड़े टैक्स सुधार के रूप में देखा जा रहा है. इसमें सबसे बड़ी राहत हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस (GST on Health and Life Insurance) पर दी गई है, जिसमें पूर्व में लगने वाली 18% जीएसटी को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है. यानी अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन जीएसटी घटने के बाद भी इंश्योरेंस की कीमतें बढ़ सकती हैं.
दरअसल अब तक इंश्योरेंस पर जीएसटी लगने के कारण कंपनियां ITC यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करती थीं. यह एक प्रकार का टैक्स छूट होती है, जिसे कंपनियां जीएसटी पर क्लेम कर सकती थीं. अब चूंकि जीएसटी खत्म हो गया है तो यह टैक्स छूट भी नहीं मिलेगी. ऐसे में कंपनियों के लिए कुल ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ जाएगी. इसलिए कंपनियां अब इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ाकर यह कॉस्ट रिकवर करना चाहेंगी.
तत्काल नहीं बढ़ेंगी कीमतेंहालांकि, फाइनेंसियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ग्राहकों को तत्काल इंश्योरेंस की कीमतों में इजाफा देखने को नहीं मिलेगा. अखबार से बातचीत में इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने बताया है कि कंपनियां अभी फैसले के प्रभाव का अध्ययन करेंगी, उसके बाद इस पर कोई फैसला लिया जाएगा. निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंकुर खरबंदा ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि कंपनी फिलहाल तत्काल कीमतें बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रही है. उन्होंने कहा,
2-4 फीसदी बढ़ सकती हैं कीमतें‘इंश्योरेंस करने वाले का दो-तिहाई खर्चा ऑपरेशन कॉस्ट और कमीशन के रूप में होता है, जबकि री-इंश्योरेंस इसका केवल केवल एक-तिहाई भाग है. ऐसे में कंपनी को दो तिहाई खर्चे पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा.’
वहीं एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर समीर शाह ने अखबार को बताया कि कंपनी ITC न मिलने से होने वाले प्रभाव का बारीकी से विश्लेषण कर रही है. उन्होंने कहा,
यह उम्मीद लगाई जा रही है कि टैक्स घटने की वजह से प्रीमियम के दामों में कमी आ सकती है , लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट कितना उपलब्ध है. इसकी तस्वीर आने वाले दिनों में साफ हो पाएगी.
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फिलहाल यह तो साफ है कि तत्काल में प्रीमियमों की कीमतों में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन आने वाले समय में नए ग्राहकों को इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है. फाइनेंसियल टाइम्स के अनुसार विश्लेषकों का मानना है कि ITC के नुकसान की भरपाई के लिए नए इंश्योरेंस की कीमतों में 2-4 फीसदी इजाफा देखने को मिल सकता है.
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