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पत्नी की मौत पर चुप होकर बैठ गया पति, आधे घंटे बाद उसने भी दुनिया छोड़ दी

फूल सिंह ने बताया कि सुबह करीब सात बजे उनकी पत्नी, मां को दोबारा चाय देने पहुंची. लेकिन इस बार उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने मां को पकड़कर हिलाया तो उनके शरीर में कोई हलचल नहीं दिखी. उसने घबराकर सभी को बुलाया.

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Family Decorates Parents Pyre with Balloons
गुब्बारे से सजी दिलीप-सूरजी की अर्थी. (क्रेडिट - इंडिया टुडे)
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सौरभ शर्मा
31 जुलाई 2025 (Updated: 31 जुलाई 2025, 11:05 PM IST) कॉमेंट्स
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हरियाणा के रेवाड़ी में पत्नी की मौत की खबर सुनकर पति ने कुर्सी पर बैठे-बैठे ही प्राण त्याग दिए. पत्नी सूरजी देवी की उम्र 90 साल थी जबकि पति दिलीप सिंह की उम्र 93 साल थी. बुजुर्ग माता-पिता के प्यार को देखते हुए परिवार ने उनकी अर्थी को रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाकर धूम-धाम से निकाला और आखिर में एक ही चिता में दोनों का अंतिम संस्कार किया. 

इंडिया टुडे से जुड़े देशराज सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला रेवाड़ी के पिथनवास गांव का है. यहीं दिलीप और सूरजी अपने बच्चों के साथ रहते थे. बुजुर्ग दंपती के दो बेटे और तीन बेटियां हैं. बड़े बेटे राजेंद्र सिंह सेना में थे, लेकिन 20 साल पहले उनकी मौत हो गई थी. छोटे बेटे फूल सिंह गांव में रहकर खेती का काम करते हैं. दिलीप और सूरजी भी छोटे बेटे के साथ रहते थे.

फूल सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि बुधवार, 30 जुलाई की सुबह उनकी पत्नी, माता-पिता के कमरे में चाय देने गई. सूरजी देवी ने चाय पीने से इनकार कर दिया, वहीं दिलीप चाय का कप लेकर बाहर चले गए.

फूल सिंह ने बताया कि सुबह करीब सात बजे उनकी पत्नी, मां को दोबारा चाय देने पहुंची. लेकिन इस बार उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने मां को पकड़कर हिलाया तो उनके शरीर में कोई हलचल नहीं दिखी. उसने घबराकर सभी को बुलाया. परिवार के लोगों ने गांव के डॉक्टर को बुलाया जिसने सूरजी देवी को मृत घोषित कर दिया. फूल सिंह ने बताया कि इस दौरान उनके पिता दिलीप बाहर कुर्सी पर बैठे थे. जब ये बात उन्हें पता चली तो वे चुप से हो गए और कुर्सी में बैठे रह गए. फूल सिंह ने बहनों को फोन कर मां के गुजर जाने की जानकारी दी, लेकिन जब तक वे घर पहुंचे तब तक पिता ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे. ये सब आधे घंटे के दौरान हुआ. 

बुजुर्ग माता-पिता की अंतिम यात्रा को बच्चों ने धूमधाम से निकाला. अर्थी को रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया और ढोल के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली.

दिलीप और सूरजी के तीन पोते और चार परपोते हैं. बुजुर्ग दंपती के बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता अपने पीछे एक खुशहाल परिवार छोड़कर गए हैं.

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