राजस्थान के गवर्नर का दावा, "न्यूटन का ग्रैविटी नियम वैदिक ग्रंथों में पहले से", एचसी वर्मा ने बताया था सच
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का दावा है कि 1687 में आइज़क न्यूटन द्वारा गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिए जाने से बहुत पहले वैदिक ग्रंथों में उसका वर्णन था.

वैदिक ग्रंथों में कही गई बातें और साइंस के नियमोें को लेकर अक्सर डिबेट देखने को मिलती है. साइंटिस्ट और साइंस में विश्वास रखने वाले लोग कई धार्मिक दावों को नहीं मानते. वहीं, ग्रंथों को फॉलो करने वाली पब्लिक साइंस के कुछ नियमों को झुठलाती है. ग्रंथ, या कहें धर्म और विज्ञान की इस डिबेट में एंट्री हुई है राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की. उनका दावा है कि 1687 में आइज़क न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत देने से बहुत पहले वैदिक ग्रंथों में उसका जिक्र था.
बुधवार, 5 मार्च को गवर्नर हरिभाऊ बागड़े इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) के जयपुर रीजनल सेंटर के दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक यहां बागड़े ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ज्ञान और विज्ञान का केंद्र रहा है और नालंदा विश्वविद्यालय जैसे प्रसिद्ध संस्थान दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित करते रहे हैं. राज्यपाल ने न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर भी बात की. उन्होंने कहा,
"न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के बारे में बहुत बाद में बात की. भारत में इसका उल्लेख वैदिक ग्रंथों में बहुत पहले से है."
उन्होंने कहा कि दशमलव प्रणाली (डेसिमल सिस्टम) भारत में ही आई. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के प्राचीन ज्ञान को मिटाने के लिए लगातार प्रयास किए गए. हरिभाऊ बागड़े ने 1190 के दशक में नालंदा लाइब्रेरी को जलाए जाने की घटना का जिक्र भी किया. ये भी कहा कि जब अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया, तो उन्होंने भी प्राचीन भारतीय ज्ञान को दबाने की कोशिश की.
यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स से बागड़े ने कहा कि इसलिए देश के स्टूडेंट्स की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना और उन्हें भारतीय ज्ञान-विज्ञान से जोड़ना आवश्यक है.
'न्यूटन-आइंस्टीन का काम हमारे ग्रंंथों में नहीं है"आइज़क न्यूटन के योगदान को लेकर हरिभाऊ बागड़े का दावा कोई नया नहीं है. हिंदू ग्रंथों पर विश्वास करने वाले कई आम-ओ-खास लोग यही बात कहते रहे हैं. लेकिन वैज्ञानिक अप्रोच वाले इसे सही नहीं मानते. इनमें से एक नाम हैं मशहूर भौतिकशास्त्री, लेखक और IIT कानपुर के प्रोफेसर एचसी वर्मा. वे कुछ समय पहले लल्लनटॉप के चर्चित शो 'गेस्ट इन द न्यूजरूम' में आए थे.
शो के दौरान एचसी वर्मा ने न्यूटन के योगदान पर मुहर लगाई थी. और साफ कहा था कि न्यूटन या आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिकों के काम हमारे ग्रंथों में नहीं हैं. ‘कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स’ नामक किताब लिखने वाले एचसी वर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो वो बोले,
“दोनों बहुत अलग-अलग विषय हैं. जो न्यूटन-आइंस्टीन ने काम किया है, वो हमारे ग्रंंथों में नहीं है. कतई नहीं है. इसलिए हम ऐसा नहीं कह सकते कि ये सब पहले से मौजूद है.”
न्यूटन के काम के बारे में बताते हुए प्रोफेसर वर्मा ने कहा,
“न्यूटन का काम 17वीं शताब्दी का है. और उनसे बहुत पहले भास्कराचार्य का एक श्लोक बहुत प्रसिद्ध हुआ. जिसमें उन्होंने बताया है कि धरती में स्वाभाविक रूप से आकर्षण करने की शक्ति होती है. इसी कारण चीजें गिरती हैं. भास्कराचार्य की इस बात का हमारे यहां काफी प्रचार किया जाता है. लेकिन न्यूटन की महानता इस बात में नहीं है.. ये कहना अत्याचार है कि न्यूटन को सेब को गिरते देखकर ध्यान आया कि धरती चीजों की खींचती है. ये खयाल तो बच्चे-बच्चे को आता है. और आज से नहीं आ रहा, जब से लोग सोचने-समझने लायक हुए हैं तब से आता है.”
प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि न्यूटन को इसलिए क्रेडिट देना है क्योंकि उन्होेंने वो फॉर्मूला निकाला, जो कि भास्कराचार्य के श्लोक में नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जो भी मॉर्डन थ्योरीज बन रही हैं, उनके बारे में ऐसा कहना कि वो ग्रंथों में हैं, बिल्कुल गलत है.
एचसी वर्मा ने आगे ये भी बताया कि हमारे ग्रंथों और पुराणों में जितनी विज्ञान की व्याख्याएं हैं, उस काल खंड में उनका कोई भी जवाब नहीं है. दूसरे देशों के मुकाबले वो बहुत आगे था. हमारा विज्ञान काफी विकसित था.
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