मकबरे को मंदिर बता तोड़फोड़ की, फिर दो तरफ से पत्थरबाजी, फतेहपुर में हुए हंगामे की पूरी कहानी
Fatehpur Tomb Controversy: विवाद सदर तहसील के रेडिया इलाके के अबू नगर में मौजूद ढांचे पर है. मामला तब बिगड़ना शुरू हुआ जब हिंदू संगठन के लोग नवाब अब्दुल समद के मकबरे में पूजा-पाठ करने पहुंच गए.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में बने नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर इलाके में भारी तनाव है. सोमवार 11 अगस्त की सुबह हिंदू संगठनों के लोग मकबरे पर भगवा झंडा फहराने के लिए पहुंच गए. उन्होंने जमकर बवाल काटा और मकबरे में तोड़फोड़ भी की. इसका वीडियो भी सामने आया है. इसमें मकबरे के चारों तरफ कई लोग भगवा झंडे लेकर ओर 'जय श्री राम' का नारा लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोग भी भड़क गए और पत्थरबाजी करने लगे. हालात की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने भारी पुलिस बल और PAC फोर्स को तैनात कर दिया है.
इंडिया टुडे से जुड़े संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, हंगामे के बाद इलाके में दंगा नियंत्रण स्कीम लागू कर दी गई है. फतेहपुर के शहरी इलाके में सेक्टर स्कीम के साथ पुलिस फोर्स तैनात की गई है. प्रशासन दोनों पक्षों के साथ बातचीत कर रहा है. यूपी पुलिस डीजीपी मुख्यालय से भी पूरे मामले पर नजर रखी जा रही है.
डीजीपी राजीव कृष्ण ने एडीजी जोन (प्रयागराज) संजीव गुप्ता, आईजी रेंज (प्रयागराज) अजय मिश्रा को फतेहपुर भेजा है. एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अमिताभ यश ने उपद्रवियों की शिनाख्त कर सख्ती से निपटने का आदेश दिया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक हालात इतने बिगड़ गए थे कि फतेहपुर के 22 थानों की पुलिस फोर्स के अलावा हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रतापगढ़ समेत आसपास के कई जिलों की पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी. अब प्रशासन एक और बैरिकेडिंग खड़ी कर रहा है, ताकि लोगों को रोका जा सके.
यह विवाद सदर तहसील के रेडिया इलाके के अबू नगर में स्थित एक ढांचे को लेकर है, जिसे नवाब अब्दुल समद का मकबरा बताया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह ढांचा सरकारी रिकॉर्ड में खसरा नंबर 753 के तहत मकबरा मंगी राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में आधिकारिक रूप से रजिस्टर्ड है.

उत्तर प्रदेश सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट 'भूलेख' पर खसरा/गाटा संख्या 753 पर भी प्रॉपर्टी मकबरा मंगी राष्ट्रीय संपत्ति के नाम पर दर्ज है, जिसके मुतवल्ली मोहम्मद अनीश हैं.
मठ मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति और भारतीय जनता पार्टी (BJP) समेत अन्य हिंदू समूह इस मकबरे को कथित तौर पर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना ठाकुरजी और भगवान शिव को समर्पित मंदिर घोषित करने की मांग कर रहे हैं.
मकबरे में तोड़फोड़ और उपद्रवियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के सवाल पर फतेहपुर के डीएम रविंद्र सिंह ने कहा,
"अभी हमारी प्राथमिकता ये है कि सबसे पहले शांति व्यवस्था बनी रहे और लोगों में प्रशासन को लेकर कॉन्फिडेंस बना रहे. इसलिए हम लोगों से बातचीत भी कर रहे हैं... काफी संख्या में लोग आए थे, लेकिन सबसे शांतिपूर्वक बात की गई और वापस भेजा गया... कोई अफवाह फैलाएगा तो कार्रवाई करेंगे."
वहीं, जिले की कानून व्यवस्था पर फतेहपुर एसपी अनूप कुमार ने मीडिया को बताया,
"सभी लोगों को समझा बुझा दिया गया है. लोग अपने-अपने घरों में चले गए हैं और अभी मौके पर स्थिति सामान्य है. कुछ लोग आए हुए थे, उन सभी लोगों से वार्ता की गई है. अब यहां से दोनों पक्षों के लोग जा चुके हैं... करीब 10 थानों की पुलिस टीमें तैनात हैं, PAC की एक कंपनी और स्थानीय प्रशासन भी मौजूद है."
एसपी अनूप सिंह ने बताया कि लगातार वीडियोग्राफी की गई है और ड्रोन का भी इस्तेमाल हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि जो लोग भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. भगवा झंडे के सवाल पर उन्होंने कहा कि मकबरे से भी झंडे हटवा दिए गए हैं, अब वहां कोई झंडा नहीं है.
बीजेपी नेता का आह्वानरिपोर्ट के मुताबिक मकबरे में पूजा-पाठ करने की मुहिम में BJP के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल सबसे आगे रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सदर तहसील क्षेत्र में नवाब अब्दुल समद का मकबरा असल में मकबरा नहीं, बल्कि एक मंदिर है, जिसे समय के साथ बदला गया है. उनका दावा है कि यह हजार साल पुराना ठाकुर जी और भगवान शिव का मंदिर है.
इसके सबूत के तौर पर मुखलाल पाल ने ढांचे के अंदर मौजूद कमल के फूल और त्रिशूल का जिक्र किया. इस दावे के बाद एक हिंदू संगठन के सदस्य कब्र परिसर में घुस गए और मकबरे के बाहर के हिस्से में तोड़फोड़ की. मकबरे में पूजा करने की योजना बन रही थी, जिससे मामला और बिगड़ गया.
मुखलाल पाल ने पहले से प्रशासन को ज्ञापन दे कर सोमवार, 11 अगस्त को पूजा-पाठ करने का एलान किया था. इस पर अमल करते हुए हिंदू संगठन के लोग भारी संख्या में इकट्ठा होकर मकबरे पर पहुंच गए.
प्रशासन ने बैरिकेडिंग लगाई थी, लेकिन पुलिस फोर्स कम थी. इस वजह से हिंदू संगठन के लोग मकबरे में घुसकर पूजा-पाठ करने लगे और तोड़फोड़ शुरू कर दी. आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस के नाकाफी इंतजाम के चलते पूरा माहौल खराब हो गया.
बीजेपी जिला अध्यक्ष ने जोर देकर कहा था कि प्रशासन ने स्वीकार किया है कि यह ढांचा कभी मंदिर था. उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर पूजा करने से रोका गया तो सरकार ज़िम्मेदार होगी. उन्होंने आगे कहा था,
"हम शांतिप्रिय लोग हैं, लेकिन अगर हमें अपने धर्म के लिए लड़ना पड़ा, तो हम हर तरह से तैयार हैं."
बजरंग दल के फतेहपुर जिले के सह-संयोजक धर्मेंद्र सिंह ने भी मकबरे पर पूजा करने का संकल्प लेते हुए कहा था,
"हम दोपहर में यहां प्रार्थना करेंगे. प्रशासन हमें रोक नहीं पाएगा."
बीजेपी जिला अध्यक्ष और हिंदू संगठनों के दावों की नेशनल उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय सचिव मो. नसीम ने कड़ी निंदा की. उन्होंने इसे इतिहास और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश बताया था. उन्होंने कहा,
"यह सदियों पुराना मकबरा है, जिसके अंदर कई कब्रें हैं. यह जगह सरकारी रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से मकबरे के रूप में दर्ज है. क्या अब हम हर मस्जिद और मकबरे के नीचे मंदिर ढूंढेंगे?”
नसीम ने चेतावनी दी थी कि अगर जिला प्रशासन 11 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम को नहीं रोकता, तो उलेमा काउंसिल विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी. उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया था कि वो केवल एकतरफा बातों को सुन रहा है और धर्म के नाम पर तनाव फैलाने वाले लोगों को बढ़ावा दे रहा है.
हिंदू संगठन की ओर से मकबरे में पूजा-पाठ की चेतावनी को देखते हुए जिला प्रशासन ने अपनी तरफ से सुरक्षा इंतजाम किए थे. बैरिकेडिंग लगाई गई और पुलिस ने गश्त भी की. नगर पालिका परिषद के जूनियर इंजीनियर अविनाश पांडे ने पुष्टि की थी कि बैरिकेडिंग जिला अधिकारी के आदेश पर हुई, ताकि कोई भी विवादित क्षेत्र में दाखिल ना हो सके.
लेकिन 11 अगस्त को जिला प्रशासन और पुलिस के तमाम इंतजाम के बावजूद हिंदू संगठन के लोग मकबरे में दाखिल हो गए. जहां उन्होंने धार्मिक नारे लगाते हुए जमकर तोड़फोड़ की. आरोप है कि पूरा बवाल पुलिस की मौजूदगी में हुआ.
वीडियो: तारीख: कहानी उस मकबरे की जिसे भारत का सबसे पुराना मकबरा कहा जाता है?