AMCA का फ्यूचर जेट अटका इंजन पर! यूके के Rolls-Royce और फ्रांस के Safran में किसे चुनेगा इंडिया?
भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के Fighter Jet AMCA पर काम तो रहा है, पर गरारी अटक जाती है विमान के इंजन पर. अब खबर आई है कि सरकार ने DRDO से जल्द इंजन बनाने के लिए एक पार्टनर ढूंढ़ने को कहा है. इस पार्टनर के तौर पर 2 कंपनियों का नाम सामने आया है. पहली है ब्रिटेन की Rolls Royce, और दूसरी है फ्रांस की Safran.

बीते दिनों खबर आई कि इंडियन एयरफोर्स का एक जगुआर फाइटर जेट (Jaguar Crash) राजस्थान में क्रैश हो गया. इसके साथ एक बार फिर से पुराने हो चुके इंडियन फाइटर जेट्स की समस्या सामने आई. भारत के मिग और जगुआर जेट्स 3 दशक से ज्यादा पुराने हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि तेजस फाइटर जेट्स (Tejas Fighter Jets) और AMCA का जल्द से जल्द प्रोडक्शन हो और उन्हें एयरफोर्स में शामिल किया जा सके. जेनरेशन के मामले में भारत का चीन और पाकिस्तान से पिछड़ना भी चिंता का विषय है.
भारत अपने 5th जेनरेशन विमान AMCA पर काम तो रहा है, पर गरारी अटक जाती है विमान के इंजन पर. अब खबर आई है कि सरकार ने DRDO से जल्द इंजन बनाने के लिए एक पार्टनर ढूंढ़ने को कहा है. इस पार्टनर के तौर पर 2 कंपनियों का नाम सामने आया है. पहली है ब्रिटेन की रोल्स-रॉयस, और दूसरी है फ्रांस की साफरान. तो जानते हैं कि कौन से इंजन बनाती हैं ये कंपनियां और क्या ऑफर किया है इन्होंने. लेकिन उससे पहले समझते हैं कि जेट इंजन क्या है जिसकी तकनीक भारत के पास नहीं है.
जेट इंजनआज के जमाने में उड़ रहे लगभग सभी फाइटर जेट्स में 'टर्बोफैन इंजन' का इस्तेमाल होता है. इन इंजनों में एक बाईपास फैन और कोर इंजन का इस्तेमाल किया जाता है. बाईपास फैन इंजन के अंदर हवा भेजता है जिससे विमान को एक्सट्रा थ्रस्ट मिलता है. थ्रस्ट वो पावर होती है जो किसी चीज को आगे धकेलती है. और थ्रस्ट की तकनीक का बेसिक Isaac Newton की उस थ्योरी से आता है जिसमें उन्होंने कहा था, Every Action has Equal and Opposite Reaction. यानी जितना थ्रस्ट इंजन लगाएगा, उतनी ही ताकत से जेट ऊपर या आगे जाएगा.

टर्बोफैन इंजन वाले विमानों में एयर इंटेक माने एक तरह की खिड़की होती है जो हवा को इंजन के अंदर भेजती है. इंजन के सबसे आगे के हिस्से में पंखे होते जो बाहर से आई हवा को इंजन के कोर और इर्द-गिर्द तक पहुंचाते हैं. इतने हाई प्रेशर पर जब हवा इंजन में जाती है, तब वो फ्यूल माने ईंधन के साथ मिक्स होती है और इंजन में कंबशन यानी एक तरीके का इग्निशन पैदा करती है. इससे इंजन में गर्म हवा या गैस बनती है जो टर्बाइन को घूमने की ताकत देता है.
टर्बाइन घूमने के साथ इंजन के अगले भाग पर लगे पंखे और कंप्रेसर घूमते हैं. जैसे ही ये प्रोसेस शुरू होता है, इंजन के पिछले भाग से उसके अंदर की गैस बाहर निकलने लगती है. इसी से पैदा होता है थ्रस्ट. और यहां काम करता है न्यूटन का लॉ. जितना अधिक थ्रस्ट होगा, विमान को उतनी ही अधिक ताकत मिलेगी. अब ये तो हुई इंजन की बात. अब जानते हैं ब्रिटिश कंपनी Rolls Royce और फ्रेंच कंपनी Safran के इंजन के बारे में.
ब्रिटिश बनाम फ्रेंच इंजनफाइटर जेट इंजन की तकनीक जानने के बाद ये तो साफ है कि ये एक मुश्किल और महंगी तकनीक है. भारत अपना खुद का कावेरी नाम का इंजन बना रहा है. इसके पूरी तरह बनने में अभी समय है. लेकिन चुनौतियां इस देरी को देख कर रुक तो नहीं जाएंगी. पहलगाम हमला, फिर ऑपरेशन सिंदूर इस बात के गवाह हैं. इसलिए भारत ने पहले अमेरिकन कंपनी GE Aerospace से तेजस के इंजन के लिए करार किया था. लेकिन अमेरिकन कंपनी ने कई कारणों का हवाला देकर लगातार इसकी डिलीवरी में देरी की. यही वजह है कि आज तक तेजस की सिर्फ 2 squadron ही वायुसेना में कमीशन हो पाई हैं. इसलिए अब भारत फ्रेंच और ब्रिटिश विकल्प पर विचार कर रहा है. तो पहले समझते हैं कि क्या फीचर्स हैं फ्रेंच इंजन के.
Safran जेट इंजनSafran फ्रांस की कंपनी है जो जेट्स के लिए इंजन बनाती है. इससे पहले भी भारत ने HAL ध्रुव के इंजन के लिए Safran के साथ करार हुआ था. ये वही कंपनी है जिसने दसॉ एविएशन के रफाल विमान के इंजन बनाए हैं. लेकिन यहां एक अंतर है. रफाल 2 इंजन वाला विमान है जबकि तेजस एक सिंगल इंजन विमान है. इसलिए जो इंजन Safran तेजस के लिए बनाएगी, उनकी क्षमता अधिक हो सकती है ताकि विमान को जरूरी थ्रस्ट मिल सके. Safran ने तेजस के लिए M88-4 इंजन बनाने का प्रस्ताव रखा है.

ये रफाल को पावर देने वाले M88 इंजन का ही एक उन्नत वेरिएंट है. मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की तस्दीक की गई है कि Safran ने इस इंजन के साथ जॉइंट डेवलपमेंट और एडवांस टेक्नोलॉजी शेयरिंग का भी प्रस्ताव रखा है. यानी अभी तक ये इंजन अस्तित्व में नहीं है. क्योंकि अभी तक M88 इंजन रफाल या अन्य डबल इंजन विमानों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. और तेजस है सिंगल इंजन विमान. इसलिए अगर Safran से ये डील होती है तो तेजस के Mk-2 में यही इंजन लगाया जा सकता. अगर पुराने माने रफाल में लगने वाले इंजन को देखें तो-
- ये इंजन अधिकतम 75kN का थ्रस्ट पैदा करता है.
- तेजस Mk2 के लिए इसके M88-4 वेरिएंट का इस्तेमाल होना है जो 95-105kN तक का थ्रस्ट जेनरेट करेगा.
- मौजूदा M88 इंजन की लंबाई 353.8 सेंटीमीटर है.
- इसमें 65 किलोग्राम/प्रति सेकेंड के हिसाब से हवा फ्लो करती है.
- M88 इंजन का अधिकतर डायमीटर 69.6 सेंटीमीटर है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रोल्स रॉयस ने जो इंजन ऑफर किया है वो एक टर्बोफैन इंजन है. रोल्स रॉयस ने इसे DRDO की गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैबलिशमेंट (GTRE) के साथ मिलकर डेवलप करने का ऑफर दिया है. इस इंजन का थ्रस्ट 110Kn-139Kn तक हो सकता है. DRDO का कहना है कि इसके लिए जल्द ही एक कैबिनेट नोट जारी किया जाएगा और डीआरडीओ द्वारा प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. चाहे किसी भी कंपनी के इंजन को चुना जाए, दोनों को DRDO के साख ToT यानी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और इंटेलेक्चुअल प्रोटेक्टिव राइट्स (IPR) का करारा भी करना होगा. इस मामले पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए DRDO के एक अधिकारी कहते हैं
RFI जारीबहुत कम भारतीय कंपनियों के पास वास्तव में इंजन तकनीक है. विमानों, जहाजों या यहां तक कि ऑटोमोबाइल के लिए भी, इंजन तकनीक पूरी तरह से हमारी नहीं है. इंजन विदेशों में डिजाइन किए जा रहे हैं. किर्लोस्कर प्रोजेक्ट (समुद्री जहाज का इंजन) देश में समुद्री इंजन विकास में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू करेगा. हम विमान इंजनों के क्षेत्र में भी ऐसा ही करने के इच्छुक हैं.
एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने AMCA इंजन के लिए रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (RFI) जारी कर दिया गया है और संभावित कंपनियों के साथ शुरुआती दौर की चर्चा भी हो चुकी है. AMCA के लिए नया इंजन, जिसका थ्रस्ट 110-130 kN है, विमान की सुपरक्रूज़ और स्टेल्थ ऑप्टिमाइज़ेशन जैसी क्षमताओं के लिहाज से काफी अहम है. सुपरक्रूज़ वो क्षमता है जिससे बिना आफ्टरबर्नर का इस्तेमाल किए बिना विमान सुपरसॉनिक स्पीड पर जा सकता है. आफ्टरबर्नर विमान के पिछले हिस्से में होता है जहां से ईंधन जलने के बाद आग सा निकलता हुआ दिखाई देता है. स्टेल्थ विमानों में आफ्टरबर्नर का इस्तेमाल उनके हीट सिग्नेचर (गर्मी) की वजह से रडार पर लोकेट कर सकता है. इसलिए ये जरूरी है कि स्टेल्थ विमानों में सुपरक्रूज़ क्षमता हो.
AMCA प्रोजेक्ट को देखें तो इसकी पहली उड़ान 2029-2030 तक, और इंडक्शन 2035 तक पूरा होने का टारगेट रखा गया है. शुरुआती AMCA प्रोटोटाइप और पहले प्रोडक्शन बैच (Mk1) में तो अमेरिकन GE F414 इंजन का ही इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन AMCA Mk2 के लिए ज्यादा पावर वाले भारत में ही बने इंजनों को लगाने की योजना बनाई जा रही है.
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