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'बिग बैंग' थ्योरी को नकारने वाले वैज्ञानिक जयंत नार्लीकर का निधन

Dr. Jayant Vishnu Narlikar passed away: पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डॉ. नार्लीकर का मंगलवार, 20 मई की सुबह नींद में ही निधन हो गया. हाल ही में उनके कूल्हे की सर्जरी हुई थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनके निधन पर दुख जाहिर किया और एलान किया कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.

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डॉ जयंत नार्लीकर का 87 साल की उम्र में निधन हो गया (फोटो: सोशल मीडिया)
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अर्पित कटियार
20 मई 2025 (Published: 05:24 PM IST) कॉमेंट्स
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खगोल वैज्ञानिक डॉ. जयंत नार्लीकर (Dr Jayant Narlikar) ने 87 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. वे उन वैज्ञानिकों में से थे जिन्होंने लोगों की विज्ञान से दोस्ती कराने के लिए साइंस फिक्शन लिखा. PM मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं ने डॉ. जयंत नार्लीकर को श्रद्धांजलि दी.

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डॉ. नार्लीकर का मंगलवार, 20 मई की सुबह नींद में ही निधन हो गया. हाल ही में उनके कूल्हे की सर्जरी हुई थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनके निधन पर दुख जाहिर किया और एलान किया कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. 

PM मोदी ने भी ‘X’ पर लिखा कि डॉ. नार्लीकर का निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है. वे एक महान शख्स थे, खासकर खगोल भौतिकी के क्षेत्र में. उन्होंने लिखा,

डॉ. जयंत नार्लीकर ने एक संस्थान निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाई. साथ ही युवाओं के लिए सीखने और इनोवेशन के लिए सेंटर्स तैयार किए. उनके लेखन ने साइंस को आम आदमी तक पहुंचाने में भी बहुत मदद की है. इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदना है.

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जन खड़गे ने लिखा कि डॉ. नार्लीकर भारतीय विज्ञान में एक महान हस्ती थे, जिन्हें वैज्ञानिक सोच को लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता था. 

डॉ. नार्लीकर इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) के संस्थापक निदेशक और एक साइंस कम्युनिकेटर थे. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ‘हॉयल-नार्लीकर’ थ्योरी है, जिसे 1960 के दशक में उन्होंने ब्रिटिश खगोलशास्त्री सर फ्रेड हॉयल की मदद से विकसित किया था. इस थ्योरी ने ‘बिग बैंग मॉडल’ को नकार दिया. इसकी जगह उन्होंने एक ऐसी स्थिर अवस्था वाले ब्रह्मांड का प्रस्ताव रखा, जहां पदार्थ की लगातार उत्पत्ति होती रहती है.

ये भी पढ़ें: जयंत नार्लीकरः एक ऐसे साइंटिस्ट जो साइंस के साथ फिक्शन भी प्रूफ करते चले

जयन्त विष्णु नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई, 1938 को कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में हुआ था. बीएचयू से ग्रेजुएशन करने के बाद वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए. उन्होंने कैम्ब्रिज से गणित में डिग्री लेने के बाद एस्ट्रो फिजिक्स और एस्ट्रोलॉजी में दक्षता हासिल की. इंग्लैंड जाकर जयंत नार्लीकर ने मशहूर साइंटिस्ट फ्रेड हॉयल के गुरुत्वाकर्षण के नियम पर काम किया. इसके साथ ही उन्होंने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और नॉरमेटिव थ्योरी का अध्ययन करते हुए हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत गढ़ा. 

1970 के दशक में नार्लीकर भारत वापस लौट आए और टाटा फंडामेंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट में कार्य करने लगे. वह 2003 में रिटायर हो गए. उन्हें स्मिथ पुरस्कार (1962), पद्म भूषण (1965), एडम्स पुरस्कार (1967), शांतिस्वरूप पुरस्कार (1979), इंदिरा गांधी पुरस्कार (1990), कलिंग पुरस्कार (1996), पद्म विभूषण (2004) और महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार (2010) से नवाजा गया.

वीडियो: साइंसकारी: आसानी से समझिए लीप ईयर के नियम, गणित और खगोल-विज्ञान

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