दिल्ली में CBI अफसर बनकर लुटेरों ने व्यापारी को दो बार लूटा, घर और ऑफिस से 2.3 करोड़ रुपये लेकर भागे
गिरफ्तार आरोपियों के पास से 1.08 करोड़ रुपये नकद भी बरामद किए गए हैं. पापोरी बरुआ एनजीओ का सचिव है और असम का रहने वाला है.
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दिल्ली पुलिस ने ‘फर्जी CBI गैंग’ के दो लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि इस गैंग ने पूर्वी दिल्ली के शाहदरा में ‘CBI अधिकारी’ बनकर गाजियाबाद के एक व्यापारी से करीब 2.3 करोड़ रुपये लूट लिए. आरोप है कि उन्होंने बिजनेसमैन के साथ काम करने वाले लोगों से मारपीट भी की.
इंडिया टुडे के अरविंद ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक गैंग में शामिल लोगों में एक महिला भी है. दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनकी पहचान पापोरी बरुआ (31) और दीपक (32) के रूप में हुई है. इन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर विवेक विहार इलाके में मनप्रीत नाम के एक व्यापारी के ऑफिस पर ‘छापा मारा’ और उनके दोस्त रविशंकर पर हमला किया, जो ऑफिस की देखभाल कर रहा था.
पुलिस का कहना है कि ऑफिस की जगह सात महीने पहले एक प्रोजेक्ट के लिए लीज पर ली गई थी. इस प्रोजेक्ट से 2.5 करोड़ रुपये कमाए गए थे, जो ऑफिस में ही रखा गया था. शाहदरा के DCP प्रशांत प्रिय गौतम ने बताया कि मंगलवार, 19 अगस्त की शाम को मनप्रीत को कोई जरूरी काम पड़ा. ऐसे में उसने अपने दोस्त रविशंकर से कहा कि वो ऑफिस से 1.10 करोड़ रुपये लेकर इंदिरापुरम में मौजूद उसके घर पहुंचे.
रविशंकर ने घर से रकम तो ले ली. लेकिन जब वो बाहर निकला और अपनी बाइक पर सवार हुआ, तो एक महिला समेत चार लोगों ने दो अर्टिगा कारों की मदद से उसका रास्ता रोक लिया. इन लोगों ने रविशंकर से कहा कि वो CBI से हैं और छापा मारने जा रहे हैं. आरोपियों ने रवि की पिटाई की और उससे पैसों से भरा बैग छीन लिया.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, DCP प्रशांत प्रिय गौतम ने आगे बताया कि इसके बाद वो सभी ऑफिस में घुस गए. उन्होंने रविशंकर के कर्मचारी दीपक माहेश्वरी को धमकाना और पीटना शुरू कर दिया. और खुद को CBI अधिकारी बताकर बाकी रकम भी लूट ली. इसके बाद वे सारा पैसा लेकर वहां से निकल गए, जो लगभग 2.3 करोड़ रुपये था. इस तरह पीड़ित को एक ही दिन दो बार लूटा गया.
इसके बाद दीपक और रविशंकर को जबरन कार में बिठाया गया और कुछ किलोमीटर तक बंधक बनाकर रखा गया. फिर रविशंकर को चिंतामणि अंडरपास और दीपक को जामनगर बाजार के निगमबोध घाट के पास छोड़ दिया गया. पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने उन्हें घटना के बारे में किसी को न बताने की धमकी दी थी.
पुलिस का कहना है कि घटना की सूचना मिलने के बाद उन्होंने कार की नंबर प्लेट का पता लगाया. जांच में पता चला कि गाड़ी फरीदाबाद के एक व्यक्ति की थी. जिसने पुलिस को बताया कि उसने साकेत में मौजूद एक NGO को कार किराए पर दी थी. पुलिस ने NGO पर छापा मारा. जहां से पापोरी बरुआ और दीपक को गिरफ्तार किया गया.
गिरफ्तार आरोपियों के पास से 1.08 करोड़ रुपये नकद भी बरामद किए गए हैं. पापोरी बरुआ एनजीओ का सचिव है और असम का रहने वाला है. आरोपी दीपक दिल्ली के तुगलकाबाद का रहने वाला है. पुलिस ने कहा है कि डकैती का मामला दर्ज किया गया है. अन्य आरोपियों को पकड़ने और बाकी धनराशि बरामद करने के लिए तलाश जारी है.
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