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अब CAA का फायदा 2024 तक आए इन देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को

CAA के तहत, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को अब अलग से लाभ मिलेगा. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यक, जो 2024 से पहले भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार होगा.

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CAA cut-off date extended Minorities from Afghanistan Pakistan Bangladesh who came by 2024 can stay
नीति का उद्देश्य उन लोगों को राहत देना है, जो अपने देशों में धार्मिक हिंसा और भेदभाव का शिकार हुए हैं. (फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
3 सितंबर 2025 (Published: 05:18 PM IST)
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भारत सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को लेकर एक अहम फैसला लिया है. उत्पीड़न से बचने के लिए 31 दिसंबर, 2024 तक भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों (CAA cut-off date extended Minorities) को भारत में रहने की अनुमति होगी. इन सदस्यों को पासपोर्ट या अन्य ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स के बिना ही देश में रहने की इजाजत दी जाएगी. 

पिछले साल लागू हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए इन उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाती है. लेकिन अब CAA के तहत, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को अलग से लाभ मिलेगा. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यक, जो 2024 से पहले भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार होगा.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय ने इसको लेकर एक आदेश भी जारी किया है. जिसमें कहा गया,

"अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय - हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई - से संबंधित कोई व्यक्ति, जो धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर के कारण भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हुआ और 31 दिसंबर, 2024 को या उससे पहले वैलिड डॉक्यूमेंट्स के बिना देश में आया है, ऐसे लोगों को पासपोर्ट और वीजा रखने के नियम से छूट दी जाएगी. इन सभी को पासपोर्ट या अन्य ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स के साथ, या उसके बिना भी देश में रहने की अनुमति होगी. इन सभी को वैलिड डॉक्यूमेंट्स और वीजा रखने के नियम से छूट दी जाएगी.”

इस नीति का उद्देश्य उन लोगों को राहत देना है, जो अपने देशों में धार्मिक हिंसा और भेदभाव का शिकार हुए हैं. उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद कई सिख और हिंदू परिवारों ने भारत में शरण ली थी. इसी तरह, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों को अक्सर हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. 

वीडियो: CAA के तहत 14 लोगों को बंटे सर्टिफिकेट, भारतीय नागरिकता पाकर क्या बोले प्रवासी?

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