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'बीवी के कपड़ों पर ताना मारना, खाने पर तंज कसना क्रूरता नहीं... ' हाईकोर्ट ने पति को बरी कर दिया

कोर्ट ने कहा है कि पति अगर 'बीवी के कपड़ों पर ताना मारता' है या ‘खाना बनाने पर तंज कसता’ है, तो ये क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता. बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. लेकिन ये पूरा मामला है क्या?

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bombay high court said taunt on clothes and food cooking is not brutality under section 498a
बॉम्बे हाईकोर्ट (PHOTO-Wikipedia)
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मानस राज
9 अगस्त 2025 (Published: 11:22 AM IST)
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी द्वारा पति और ससुराल वालों पर दर्ज कराई गई एक एफआईआर के मामले में अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि पति अगर 'बीवी के कपड़ों पर ताना मारता' है या ‘खाना बनाने पर तंज कसता’ है, तो ये क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता. बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक कपल की शादी 24 मार्च 2022 को हुई थी. यह महिला की दूसरी शादी थी. महिला ने 2013 में आपसी सहमति से अपने पहले पति को तलाक दिया था. महिला ने अपने दूसरे पति और ससुराल वालों पर आरोप लगाया था कि शादी से पहले उससे कई बातें जैसे उसके पति की बीमारी और मानसिक स्थिति को लेकर झूठ बोला गया.

लेकिन, कोर्ट ने पाया कि पुलिस की चार्जशीट में शादी से पहले की चैट का जिक्र है. उस चैट में महिला को ये बताया गया था कि उसके होने वाले पति को बीमारी है और वो दवाईयों पर हैं. लिहाजा कोर्ट ने यह माना कि महिला को पहले से इस बात की जानकारी थी. पत्नी ने यह भी आरोप लगाया था कि उससे फ्लैट खरीदने के लिए दिवाली के समय 15 लाख की डिमांड की गई थी. लेकिन कोर्ट ने इस आरोप पर संदेह जताते हुए कहा कि पति के पास पहले से अपना फ्लैट है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक महिला ने अपने पति और ससुराल वालों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A के तहत क्रूरता का आरोप लगाया था. महिला का कहना था कि पति उसके कपड़ों और खाना बनाने पर तंज कसता है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या कहा?

बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस संजय ए देशमुख कर रहे थे. मामले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा,

जब रिश्ते बिगड़ते हैं, तो अक्सर आरोप बढ़ा-चढ़ाकर लगाए जाते हैं. यदि शादी से पहले सारी बातें स्पष्ट की गईं थीं और आरोप सामान्य या कम गंभीर हैं, तो 498A की परिभाषा में यह क्रूरता नहीं मानी जाएगी. ऐसे मामलों में पति और उसके परिवार को ट्रायल का सामना कराना कानून का दुरुपयोग है.

क्या है धारा 498A?

आईपीसी की धारा 498-ए पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला के प्रति की गई क्रूरता से संबंधित है. यह एक संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-समझौता योग्य अपराध है, जिसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है. जमानत मिलना अधिकार नहीं है, और मामले को अदालत के बाहर सुलझाया नहीं जा सकता. 

वीडियो: बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला 'रुम बुक करने का मतलबये नहीं कि...'

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