प्रज्ञा ठाकुर के बरी होने पर ओवैसी के तीखे सवाल, पूछा- क्या सरकार इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी?
Asaduddin Owaisi ने आतंकवाद के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार के स्टैंड सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा कि क्या इस मामले की गलत जांच करने के लिए NIA/ATS के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई की जाएगी.

मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon Blast Case) में NIA की स्पेशल कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इस फैसले पर सवाल उठाया है. उनका कहना है कि इस हमले में धर्म के आधार पर लोगों को निशाना बनाया गया था. साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि क्या वो इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख करेगी, जैसा उसने मुंबई ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर किया था.
असदुद्दीन ओवैसी ने क्या-क्या सवाल उठाए हैं?असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर मालेगांव विस्फोट मामले में कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा,
मालेगांव विस्फोट मामले का फैसला निराशाजनक है. विस्फोट में छह नमाजी मारे गए. और लगभग 100 घायल हुए. उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया. इन आरोपियों के बरी होने के पीछे अभियोजन पक्ष जिम्मेदार है. उन्होंने सही तरीके से मामले की जांच नहीं की.
उन्होंने सवाल उठाया कि विस्फोट के 17 साल बाद सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया है. क्या मोदी और फड़णवीस सरकार इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी. इसके लिए उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोट का हवाला दिया जिसके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया है.
ओवैसी ने कांग्रेस और NCP को भी निशाने पर लिया है. उन्होंने पूछा कि क्या महाराष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल छल लोगों की हत्या की जवाबदेही तय करने की मांग करेंगे? ओवैसी ने NIA की जांच पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा,
याद कीजिए, 2016 में मामले की तत्कालीन अभियोजक (Prosecutor) रोहिणी सालियान ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि NIA ने साध्वी प्रज्ञा को बरी करवाने की कोशिश की थी, जोकि 2019 में बीजेपी से सांसद बनीं.
AIMIM चीफ ने प्रज्ञा ठाकुर पर निशाना साधते हुए कहा,
हेमंत करकरे ने मालेगांव में हुई साजिश का पर्दाफाश किया था. वो दुर्भाग्य से 26/11 के आतंकी हमले में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा मारे गए. इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था. और उनकी मृत्यु उसी श्राप का परिणाम था.
असदुद्दीन ओवैसी ने आखिर में आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार के स्टैंड पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा कि क्या इस मामले की गलत जांच करने के लिए NIA/ATS के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने आगे लिखा कि इसका जवाब सबको मालूम है. यह आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाली मोदी सरकार है. दुनिया याद रखेगी कि इसने आतंकवाद के एक आरोपी को सांसद बनाया.
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