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मोदी सरकार ने माफ किया 34000 करोड़ का ट्रांसमिशन चार्ज, तब जाकर हुई अडानी ग्रीन से आंध्र की डील

ISTS (इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम) चार्ज में छूट मिलने से 80 पैसे प्रति यूनिट (सालाना 1,360 करोड़ रुपये) की बचत हुई है. जिसने Andhra Govt. को अडानी ग्रीन से बिजली खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया.

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Adani Green solar project andhra pradesh
अडानी ग्रीन के साथ जगनमोहन रेड्डी की सरकार ने डील की थी. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
6 दिसंबर 2024 (Updated: 6 दिसंबर 2024, 10:03 AM IST) कॉमेंट्स
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केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अडानी ग्रीन (Adani Green Solar Project) और एज्योर पावर से बिजली खरीदने वाले राज्यों के लिए ट्रांसमिशन शुल्क माफ किया. और इसके 24 घंटे के भीतर जगन मोहन रेड्डी की नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ एक समझौता किया था. जिसके तहत इन दोनों कंपनियों को कुल 12 गीगा वाट (GW) के प्रोजेक्ट दिए गए.

एक अनुमान है कि ISTS (इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम) चार्ज में छूट मिलने से 80 पैसे प्रति यूनिट (सालाना 1,360 करोड़ रुपये) की बचत हुई है. जिसने राज्य को अडानी ग्रीन और एज्योर पावर से बिजली खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया. ISTS चार्ज तब लगाया जाता है, जब बिजली को नेशनल ग्रिड की मदद से एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 नवंबर 2021 को ऊर्जा मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया. जिसमें इसने एक सप्ताह पहले के जारी किए गए अपने आदेश में तय की गई दो शर्तों को आसान बना दिया. इनमें पहली शर्त थी कि प्रोजेक्ट 30 जून 2025 से पहले चालू हो जाए. और दूसरी प्रोजेक्ट से मिलने वाली वाली बिजली राज्य के नवीकरणीय ऊर्जा दायित्व (RPO) के भीतर हो. RPO के तहत राज्यों को अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का एक निश्चित प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों (Renewable sources) से खरीदना होता है.

ऊर्जा मंत्रालय के 30 नवंबर 2021 के आदेश के एक दिन बाद आंध्र प्रदेश ने 1 दिसंबर 2021 को अक्षय ऊर्जा के लिए देश की नोडल एजेंसी SECI के साथ एक पावर सेल एग्रीमेंट (PSA) पर हस्ताक्षर किए.

आंध्र प्रदेश सरकार के एक सूत्र ने बताया कि अडानी ग्रीन पावर अप्रैल 2025 तक 1000 मेगावाट बिजली सप्लाई करने की स्थिति में आ जाएगा. जबकि बाकी उत्पादन जून 2025 के बाद होगा. अडानी ग्रीन के प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 

 SECI ने विनिर्माण (Manufacturing) से जुड़े टेंडर में ISTS छूट को शामिल किया था. ताकि इसे उस समय की दूसरी अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के टेंडर के बराबर रखा जा सके. और इसको ध्यान में रखना जरूरी है कि ISTS चार्ज में छूट से डिस्कॉम को लाभ होता है न कि प्रोजेक्ट डेवलपर को. जिसे केवल एक निश्चित टैरिफ मिलता है.

अडानी ग्रीन के प्रवक्ता ने आगे कहा कि प्रोजेक्ट में देरी होने में डेवलपर की कोई भूमिका नहीं है. अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह दूसरे लोगों पर अमेरिकी न्याय विभाग ने राज्य से आकर्षक बिजली अनुबंध हासिल करने के लिए 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने या देने की पेशकश करने का आरोप लगाया है.

आंध्र प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि यदि ISTS चार्ज माफ नहीं किया गया होता तो राज्य को बिजली के लिए 2.49 रुपये प्रति यूनिट के अलावा अतिरिक्त 80 पैसे का भुगतान करना पड़ता. क्योंकि फिर गुजरात से बिजली लानी पड़ती.

उन्होंने आगे बताया कि SECI से 1,700 करोड़ यूनिट बिजली खरीदने पर सहमति बनी थी. इसलिए ऊर्जा मंत्रालय के हस्तक्षेप से सरकार को 1,360 करोड़ रुपये की छूट मिल गई. और यह PSA 25 साल के लिए है. इसलिए इस अवधि में छूट से कुल 34,000 करोड़ रुपये बचेंगे.

इस मामले से जुड़े आंध्र प्रदेश के एक और अधिकारी ने बताया, आंध्र सरकार ने SECI से बिजली खरीदने के लिए जो शर्त रखी थी. उनमें से एक यह थी कि कोई ट्रांसमिशन चार्ज नहीं होना चाहिए. और जब ट्रांसमिशन चार्ज माफ कर दिया गया तो सरकार ने समझौता कर लिया.

TDP की नेतृत्व वाली एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार पिछली YSRCP सरकार के तहत किए गए समझौते की जांच कर रही है. यह जांच अडानी पर हुए अमेरिकी खुलासे के बाद शुरू हुई है.

अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया था कि रिश्वत के तौर पर दी गई 2,029 करोड़ रुपये में से 1,750 करोड़ रुपये आंध्र प्रदेश सरकार के एक शीर्ष अधिकारी को दिए गए. अडानी समूह ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए इससे इनकार किया है.

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