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कोविड-19 के लक्षण कुछ में हल्के तो कुछ में गंभीर क्यों होते हैं?

कोविड-19 उन लोगों में गंभीर रूप ले लेता है, जो पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं. मसलन डायबिटीज़, दिल, फेफड़े या किडनी की बीमारी.

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why covid 19 symptoms are severe in some people while mild in some
कोविड-19 के मामले देश के कई राज्यों में बढ़ रहे हैं (फोटो: Freepik)
29 मई 2025 (Published: 04:29 PM IST) कॉमेंट्स
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Ministry Of Health And Family Welfare के मुताबिक, देश में कोविड-19 के 1010 एक्टिव मामले हैं. वहीं 6 लोगों की मौत हुई है. इस बार कोरोनावायरस के जो लक्षण देखने को मिल रहे हैं, वो हल्के हैं. जैसे सर्दी-खांसी, ज़ुकाम और बुखार. ज़्यादातर लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं. अस्पताल में एडमिट करने की नौबत नहीं आ रही. पर कुछ लोगों में, कोविड गंभीर रूप ले रहा है. उन्हें अस्पताल में एडमिट कराना पड़ रहा है.

अब ऐसा क्यों है? वायरस तो वही है. मगर कुछ लोगों को कोविड होने पर सिर्फ़ सर्दी-ज़ुकाम होता है और वो ठीक हो जाते हैं. वहीं, कुछ लोग क्रिटिकल हो जाते हैं. इस बात का जवाब दिया है आकाश हेल्थकेयर में रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के हेड डॉक्टर अक्षय बुधराजा ने.

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डॉ. अक्षय बुधराजा, हेड, रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन, आकाश हेल्थकेयर

कोविड-19 उन लोगों में गंभीर रूप ले लेता है, जो पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं. मसलन डायबिटीज़, दिल, फेफड़े या किडनी की बीमारी. इन बीमारियों के चलते शरीर पहले से ही कमज़ोर होता है और वो कोरोनावायरस से लड़ नहीं पाता.

कुछ खास कंडीशंस में भी कोविड-19 ज़्यादा गंभीर हो सकता है. जैसे कैंसर के मरीज़ों में, खासकर जो कीमोथेरेपी ले रहे हैं. उनकी इम्यूनिटी काफी कमज़ोर होती है. HIV के मरीज़ भी क्रिटिकल होने के ज़्यादा रिस्क पर हैं क्योंकि HIV में वायरस सीधे इम्यून सिस्टम पर हमला करता है और उसे कमज़ोर बना देता है. इसके अलावा, प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर की इम्यूनिटी थोड़ी कमज़ोर हो जाती है, जिससे प्रेग्नेंट महिलाओं में कोविड सीरियस हो सकते हैं. इन हाई-रिस्क पेशेंट्स को निमोनिया हो सकता है. शरीर में खून के थक्के भी जम सकते हैं. इसलिए, इन लोगों को खास सावधानी बरतने की ज़रूरत है.

covid 19
बुज़ुर्गों को कोविड-19 होने का ज़्यादा ख़तरा है (फोटो: Getty Images)

जिन लोगों की उम्र 55 साल से ज़्यादा है. उनमें कोविड-19 के गंभीर होने का ज़्यादा ख़तरा होता है. क्योंकि, उनकी इम्यूनिटी पहले से कमज़ोर हो चुकी होती है. रिसर्च में देखा गया है कि 18 से 29 साल के लोगों की अपेक्षा में, 55 साल से ज़्यादा उम्र के लोग कोविड से गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं. उनमें ऐसा होने का रिस्क 40 से 100 गुना ज़्यादा होता है.

साथ ही, जिन्होंने अब तक कोविड-19 की एक भी वैक्सीन नहीं लगवाई है. या जिन्हें अब तक कोविड नहीं हुआ है. उनके शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ बनी ही नहीं हैं. इसलिए, ऐसे लोग भी ज़्यादा बीमार पड़ने के रिस्क पर हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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