दुनिया छोड़ने से पहले फौजा सिंह अच्छी सेहत का राज बता गए
फौजा सिंह 114 साल के मैराथन रनर थे. वो टर्बन्ड टॉरनेडो के नाम से मशहूर थे. 14 जुलाई को उनकी मौत हो गई. उन्हें दुनिया का सबसे बुज़ुर्ग मैराथन रनर माना जाता है. उन्होंने कई ऐज कैटेगरी में मैराथन दौड़कर रिकॉर्ड बनाए.
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फौजा सिंह. 114 साल के एथलीट. 14 जुलाई को एक एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई. जालंधर में एक गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी. घायल फौजा सिंह को अस्पताल ले जाया गया. मगर उन्हें बचाया नहीं जा सका. फौजा सिंह ‘Turbaned Tornado’ के नाम से मशहूर थे.
जून 2025 में उन्होंने बीबीसी पंजाबी को एक इंटरव्यू दिया था. उसमें फौजा सिंह ने बताया था कि बचपन में पैर कमज़ोर होने की वजह से, गांववाले उन्हें चिढ़ाते थे. 5 साल की उम्र तक वो ठीक से चल नहीं पाते थे. लेकिन फिर वही लड़का, जिसकी कमज़ोरी का कभी लोग मजाक उड़ाया करते थे, उसने इतिहास रच दिया.
दरअसल, फौजा सिंह को दुनिया का सबसे बुज़ुर्ग मैराथन रनर माना जाता है. उन्होंने कई ऐज कैटेगरी में मैराथन दौड़कर रिकॉर्ड बनाए. उन्होंने 89 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया. साल था 2000. फिर 2013 में वो रिटायर हुए. तब तक फौजा सिंह ने 9 फुल मैराथन दौड़े. आपको बता दें कि एक फुल मैराथन करीब 42 किमी का होती है.
फौजा सिंह का जाना, हम सबके लिए बहुत दखद है. लेकिन वो हम सबके लिए एक मिसाल हैं. जिस उम्र में लोग बिस्तर से उठ नहीं पाते. उस उम्र में उन्होंने रनिंग शूज़ पहने. कड़ी मेहनत की और अपना नाम बनाया. उन्होंने लोगों को सिखाया कि दौड़ो, दौड़ना बहुत ज़रूरी है. इसके खूब फायदे हैं.
तो आज उनकी इस सीख पर बात करते हैं. Centre for Knee & Hip Care Clinic, Vaishali में Physiotherapy के हेड डॉक्टर इंद्रमणि उपाध्याय ने हमें बताया दौड़ना आपकी सेहत के लिए क्यों ज़रूरी है और इसके क्या फ़ायदे हैं.

रनिंग यानी दौड़ना एक तरह की एक्सरसाइज़ है. दौड़ने से दिल की बीमारियों का ख़तरा काफी हद तक कम हो जाता है. Journal of the American College of Cardiology में एक स्टडी छपी है. इसके मुताबिक, जो लोग रोज़ थोड़ी देर दौड़ते हैं. उनके दिल की बीमारियों और स्ट्रोक से मरने का रिस्क 45% तक कम हो जाता है. यही नहीं, अलग-अलग बीमारियों से मौत का रिस्क भी 30% तक घट जाता है.
दौड़ने से रेस्टिंग हार्ट रेट भी कम होता है. रेस्टिंग यानी आराम और हार्ट रेट यानी दिल का धड़कना. जब आप आराम कर रहे हैं. बैठे हैं या लेटे हैं. तब आपका दिल एक मिनट में जितनी बार धड़कता है. उसे रेस्टिंग हार्ट रेट कहते हैं. एडल्ट्स में नॉर्मल रेस्टिंग हार्ट रेट 60 से 100 धड़कन प्रति मिनट तक होता है. अगर आपका रेस्टिंग हार्ट रेट इस रेंज में है या इससे थोड़ा कम है. तो उसे आमतौर पर अच्छा माना जाता है. इसका मतलब है कि आपका दिल बढ़िया काम कर रहा है.
रोज़ दौड़ने से हड्डियां भी मज़बूत होती हैं. जब आप दौड़ते हैं, तो शरीर के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता है. इससे हड्डी बनाने वाले सेल्स, जिन्हें ऑस्टियोब्लास्ट कहा जाता है, वो एक्टिव हो जाते हैं. फिर ये नए बोन टिशूज़ यानी हड्डियों के ऊतक बनाते हैं. जिससे हड्डियां मज़बूत बनती हैं. साथ ही, ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों में फ्रैक्चर का ख़तरा भी कम होता है.
दौड़ने से आपके पैर, घुटनों और कमर को भी फायदा पहुंचता है. देखिए, जब आप दौड़ते हैं, तो पैरों, जांघों और कमर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं. इससे घुटनों और कमर पर कम दबाव पड़ता है. नतीजा? गठिया होने का रिस्क कम होता है. कमर में दर्द नहीं होता. दौड़ने से शरीर में खून का बहाव भी सुधरता है, जिससे घुटनों और कमर के जोड़ों में पर्याप्त पोषण पहुंचता है.

दौड़ने से वज़न घटाने और फिट रहने में भी मदद मिलती है. अगर किसी को अपना वज़न घटाना है. तो जितनी कैलोरी वो खाने से ले रहा है. उससे ज़्यादा खर्च करनी होगी. इसके लिए दौड़ना एक बहुत अच्छा ऑप्शन है. दौड़ने से शरीर की कई मांसपेशियां एक साथ मेहनत करती हैं. ज़्यादा एनर्जी लगती है. फिर शरीर ज़्यादा कैलोरी बर्न करता है और आपका वेट लॉस होता है. हां, ये ज़रूर है कि दौड़ने के साथ-साथ आपको अपनी डाइट पर भी ध्यान देना होगा.
दौड़ने से आपको अच्छी नींद आती है. दरअसल, रोज़ दौड़ने से शरीर में मेलाटोनिन हॉर्मोन सही मात्रा में बनता है. यही हॉर्मोन आपकी नींद कंट्रोल करता है. दौड़ने से शरीर में फील गुड हॉर्मोन, जैसे एंडॉर्फिन और सेरोटोनिन का लेवल बढ़ता है. इससे स्ट्रेस घटता है और दिमाग शांत होता है. रात में अच्छी नींद आती है. आपकी नींद का पैटर्न सुधरता है. दौड़ने से शरीर थकता भी है. इसकी वजह से भी रात में गहरी नींद आती है.
लिहाज़ा, आपको रोज़ करीब आधा घंटा दौड़ना चाहिए. अगर आप बिगिनर हैं, तो शुरुआत ब्रिस्क वॉकिंग से करें. यानी पहले तेज़ कदमों से चलें. फिर जॉगिंग करें और उसके बाद रनिंग. इसके लिए आप कुछ महीनों का समय ले सकते हैं. पहले 10-15 मिनट दौड़ें. फिर धीरे-धीरे करके अपना समय बढ़ाएं. दौड़ने के लिए सबसे बेस्ट टाइम है सुबह और शाम. जब भी दौड़ें, तो पहले थोड़ी देर स्ट्रेचिंग ज़रूर करें. पार्क में पहुंचते ही सीधे दौड़ना शुरू न करें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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