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मां-बच्चे की जान पर हावी 'शुभ समय', क्यों बढ़ रहा है मुहूर्त डिलीवरी का ट्रेंड?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कई अस्पताल बाकायदा 'Mahurat Delivery’ सर्विस ऑफर कर रहे हैं. मुहूर्त डिलीवरी मतलब जहां माता-पिता अक्सर किसी पुजारी या ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद अपने बच्चे के जन्म के लिए एक विशिष्ट दिन और समय चुनते हैं.

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Mahurat delivery craze in India: More and more people are opting for Mahurat Deliveries
अब बच्चे समय और तारीख देखकर पैदा होंगे (तस्वीरें AI से बनाई गई हैं)
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सूर्यकांत मिश्रा
19 फ़रवरी 2025 (Published: 05:44 PM IST)
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साल 2007 की बात है, तारीख थी 7 जुलाई. मध्यप्रदेश के इंदौर में तगड़ी बारिश हो रही थी. तभी मेरे एक सीनियर का फोन घनघनाया. सामने से उनके दोस्त का फोन था. वो उनको 'जहां हो, जैसे हो' वाली हालत में अपने पास बुला रहा था. सीनियर चले तो अपन भी उनके पीछे लटक लिए. अपन को लगा कि कोई दिक्कत हो गई है. मगर वहां पहुंचने पर माजरा कुछ अलग था. सीनियर के दोस्त सगाई कर रहे थे. सब अचानक से हुआ था, और इसकी वजह थी उस दिन की तारीख- 07/07/07. कलीग के दोस्त को इस खास तारीख पर ही सगाई करना थी, भले 'मुहूर्त' नहीं हो.

अब ‘मुहूर्त’ को मानने या ना मानने को लेकर आपके और हमारे मन अलग हो सकते हैं. मगर सगाई वाली स्टोरी आज बताने का ‘मुहूर्त’ अलग नहीं है. क्योंकि हम आज बात करने वाले हैं ‘Muhurat Delivery’ वाले ट्रेंड पर जो शायद इंडियन पेरेंट्स का नया क्रेज बन गया है.

बेबी ऑन डेट एंड टाइम

तारीख, नंबर, समय और मुहूर्त को लेकर लोगों में जिज्ञासा रहती है. इनसे जुड़े संयोगों को कोई धर्म से जोड़कर देखता है तो कोई वैज्ञानिक नजर से. मसलन शादी के लिए ‘शुभ दिन, शुभ समय’ निकालने की परंपरा सदियों पुरानी है. और अब तो मोबाइल के लिए स्पेशल नंबर निकाले जाते हैं. किसी विशेष तारीख पर खरीदारी का बाजार हमेशा गर्म रहता है. दिवाली के दिन की ‘मुहूर्त ट्रेडिंग’ इसका एक उदाहरण है. 

मगर यही चलन अब बच्चों के पैदा होने में भी देखा जा रहा है. इसकी एक बानगी पिछले साल 22 जनवरी को देखी गई थी, जब अयोध्या में राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया था. तब की रिपोर्ट्स के मुताबिक उस दिन बच्चों की डिलीवरी के लिए कई जोड़ों ने असल डिलीवरी डेट को आगे-पीछे किया था. 

हालांकि ‘बेबी ऑन बोर्ड’ की जगह ‘बेबी ऑन डेट’ का चलन कोई नया नहीं है. मसलन 12/12/12 को भी ऐसे ही देखा गया था. तब कई लोगों ने इस तारीख पर शादी की या फिर बच्चे को जन्म दिया था. क्योंकि ऐसी तारीख अगले सौ साल नहीं आने वाली थी. सवाल ये कि क्या अब ये एक बिजनेस बन रहा है?

Mahurat Delivery
सांकेतिक तस्वीर 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कई अस्पताल बाकायदा 'Muhurat Delivery’ सर्विस ऑफर कर रहे हैं. Gleneagles BGS Hospital, Bengaluru में सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट Dr Nirmala Chandrashekar बताती हैं,

“मुहूर्त डिलीवरी मतलब जहां माता-पिता अक्सर किसी पुजारी या ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद अपने बच्चे के जन्म के लिए एक विशिष्ट दिन और समय चुनते हैं. हालांकि, डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि गर्भ की आयु उचित है और आगे बढ़ने से पहले कोई चिकित्सीय आपात स्थिति तो नहीं होगी.”

लेकिन ऐसा होता कैसे है, क्योंकि बच्चे का जन्म तो एक नेचुरल प्रोसेस है. गर्भधारण का समय 9 महीने का होता है. गाइनेकोलॉजिस्ट जन्म की तारीख का एक अंदाजा ही बता पाते हैं. मतलब असल तारीख और जन्म का समय बताना असंभव है. ऐसे में काम आता है C-section.

C-sections ने ‘मुहूर्त’ बनाया है

कुछ सालों पहले तक C-sections, जिसे आम भाषा में सिजेरियन कहा जाता है, को एक बड़ी घटना मानी जाती थी. परिवार में थोड़ी निराशा से बोला जाता था कि बच्चा ऑपरेशन से हुआ है. लेकिन अब वही सिजेरियन ‘बेबी ऑन डेट’ का सबसे बड़ा साधन बन गया है. National Family Health Surveys (NFHS) के मुताबिक 2015-2016 में जहां 17.2 फीसदी बच्चे सिजेरियन से हुए थे, वहीं 2019-2021 तक ये आंकड़ा 21.5 फीसदी तक पहुंच गया था.

Mahurat Delivery
सांकेतिक तस्वीर 

आजकल तकनीक भी बहुत एडवांस हो गई है, इसलिए पहली बार मां-बाप बनने वाली दंपती भी C-sections से डिलीवरी कराने का विकल्प चुनते हैं. लेकिन कुछ लोगों ने सोचा कि जब ऑपरेशन ही होना है तो तारीख और वक्त भी तय कर लेने में क्या हर्ज है. भले तकनीक कितनी आधुनिक हो, लेकिन क्या ऐसा करना सेफ है? इसका जवाब दिया CARE Hospitals, Hyderabad की डायरेक्टर Dr Manjula Anagani ने,

“अधिक से अधिक लोग इसकी मांग कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि, अनिश्चित दुनिया में, वे बच्चे के भाग्य को प्रभावित कर सकते हैं - जो बिल्कुल उचित नहीं है. मुहूर्त डिलीवरी उन मामलों तक ही ठीक है जहां यह पहले से ही तय है कि बच्चे का जन्म सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से ही होगा.”

माने बच्चे की नॉर्मल डिलीवरी में दिक्कत होगी तो माता-पिता तारीख और समय तय कर सकते हैं. लेकिन इसमें भी गर्भ 37 हफ्ते से कम का नहीं होना चाहिए. अगर गर्भ का समय इससे कम है तो बच्चे में मस्तिष्क से जुड़ी गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं. ऐसे बच्चे को NICU केयर की जरूरत पड़ सकती है. Dr Manjula Anagani चेतावनी देते हुए कहती हैं,

“यदि प्रसव नेचुरल तरीके से हो सकता है, बावजूद इसके माता-पिता डिलीवरी के लिए इनकार करते हैं तो बच्चे और मां को गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं. जबरदस्ती के सर्जिकल प्रोसेस के गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं.”

कहने का मतलब भले पढ़ने में ये ट्रेंड रोचक लगे. हमारा बच्चा तो अमुक दिन, अमुक तारीख़ और अमुक समय में हुआ था, ये बताने में रौला जमे. लेकिन सिर्फ मुहूर्त के नाम पर C-section का कोई तुक नहीं. Dr Manjula Anagani के शब्दों में, “अच्छा स्वास्थ्य और उचित चिकित्सा देखभाल ही बच्चे का भाग्य बनाएगी. तारीख नहीं.”

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